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मसीही सेवकाई

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    चिंता करना छोड़ दो

    बात तब बिगड़ती है, जब काम करने वाले पूरी तरह से काम के प्रति समर्पित नहीं होते। षायद आप ऐसे समयों पर आँसू बहा सकते हो। किन्तु चिंतामत करो क्योंकि आषिशित गुरू अपना काम षुरू से लेकर अंत तक अपनी देख-रेख में पूरा करता है। वो केवल ये चाहता है कि सेवकों को उसके पास आना चाहिये ताकि उससे आदेश पा सकें, उसके निर्देशों का पालन करें। सब कुछ हमारी कलीसियायें, मिशन्स सब्बत स्कूल हमारी संस्थायें, सब के लिये उसके हृदय में स्थान है। चिंता क्यों करें? कलीसिया को एक जीवित व चमकती हुई रौशनी के रूप में देखने की एक तीव्र इच्छा जो परमेश्वर ने खुद तैयार की है, उसे पूरी तरह परमेश्वर पर पूरा भरोसा एवं मन की स्थिरता से किया जाना चाहिए।ChsHin 188.3

    (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 14 नवम्बर 1893) अपने आप में स्थिरता को बढ़ाना और अपनी आत्मा को पूरी तरह से परमेश्वर के हाथों में रखना चाहिये, जो हमारा भरोसेमंद रचियता है। वह उसकी रक्षा करेगा जो उसके भरोसे सौंपा गया है। वह कभी नहीं चाहता कि उसकी वेदी हमारे आंसूओं और षिकायतों से भरी हो, तुम्हें प्रभु ने पहले से ही पर्याप्त आशीशें दी हैं, जिनके लिये तुम्हें उसकी तारिफ करना चाहिये। क्योंकि तुम किसी अन्य व्यक्ति का जीवन बदलते नहीं देखते किन्तु भले और अच्छे काम तो होते रहेंगे यदि तुम लगातार आगे बढ़ते रहोChsHin 189.1

    और केवल अपनी ही इच्छा या विचारों को पूरा न करों प्रभु की षान्ति तुम्हारे हृदयों को कायल करें, तुम उसके प्रति धन्यवादी हो। प्रभु को अपने जीवन में काम करने दो, उसको अपने जीवन में आने से मत रोको। वह काम कर सकता और अवश्य करेगा यदि हम उसे अपने हृदय में जगह दें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 9:136)ChsHin 189.2

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