आराम और प्रभाव
प्रभु यीशु के शिष्यों को शिक्षित होने की आवश्यकता है कि कब काम करें और कब व कैसे आराम करें। आज जरूरत है कि प्रभु के चुने हुये लोग उसके काम को करने में प्रभु की आज्ञा के अनुसार काम पर निकल जायें और कुछ समय आराम भी करें। कई किमती जीवन बलिदान हो गये है जिनको बलिदान नहीं होना था। क्योकि वे इस आज्ञा से अंजान थे। यद्यपि की फसल अधिक है और मजदूर कम है फिर भी स्वास्थ्य और जीवन का बलिदान कर कुछ नहीं मिलता। ऐसे कई कमजोर, थके-हारे कार्यकर्ता हैं जो बड़े निराष होते है, जब वे देखते हैं कि कितना काम बाकी है और अभी तक बहुत कम काम हुआ है। किस प्रकार वे चाहते है कि उन्हें षारीरिक ताकत प्राप्त हो और वे और काम कर सके। किन्तु ऐसे लोगों के लिये प्रभु यीशु कहता है, “तुम सब जो थके हुये हो मेरे पास आओ, और आराम पाओ।” (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 07 नवम्बर 1893)ChsHin 196.3
मसीही जीवन लगातार काम करने से नहीं बना है न ही लगातार प्रार्थना करने से बना है। एक मसीही को ईमानदारी से खोई हुई आत्माओं को उद्धारकर्ता के पास उद्धार पाने के लिये लाना है ताकि वे भी अपना समय प्रार्थना करने और बाइबल का अध्ययन करने में लगायें। लगातार काम की धुन में लगे रहना या चिंता करने से कुछ नहीं होगा। ऐसा करने से व्यक्तिगत धार्मिकता, स्वास्थ्य आदि को नकार दिया जाता है जिससे षारीरिक व मानसिक नुकसान होता है। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 07 नवम्बर 1893)ChsHin 197.1
वे सब जो प्रभु के अधीन काम करने का प्रशिक्षण ले रहे और सीख रहे हैं, उन्हें कुछ समय षान्ति से अपने आपसे मनन करने, प्रकृति के साथ तथा परमेश्वर के साथ समय बिताने की जरूरत है। उनमें एक ऐसा जीवन दिखाई देना चाहिये जो संसार का नहीं, न ही इसके रीति-रिवाज व नियमों का पालन करने वाला हो। और उन्हें जरूरत है कि वे व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर की इच्छा को जाने और ज्ञान प्राप्त करें। हमें व्यक्तिगत रूप से प्रभु के द्वारा हमारे हृदय से की गई बात को सुनना चाहिये। जब कई अन्य आवाजें होती हैं किन्तु हम प्रभु की आवाज सुनने को आतुर होते है तब हमारी नितान्त षान्ति प्रभु परमेश्वर की आवाज साफ सुनाने में मदद करती है। वह कहता है, षांत रहो और जानो कि मैं यहोवा हूँ।” यह एक प्रभावकारी तैयारी है सभी परमेश्वर में परिश्रम करने वालों के लिये दुनिया की दौड़-भाग में और जीवन की तनावभरी गति विधियों से होकर गुजरने वाला, जल्दी ही एक हल्के-फुलके और षांत वातावरण से घिर जायेगा। उसे एक नई भरपूरी से षारीरिक और मानसिक सामर्थ भेंट की जायेगी और उसके जीवन से एक खुषबू प्रगट होगी, एक स्वर्गीय सामर्थ जो उन व्यक्तियों के हृदय तक पहुँचेगी। (द मिनिस्ट्री ऑफ हीलिंग- 58)ChsHin 197.2