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मसीही सेवकाई

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    पारिवारिक वेदी का महत्व

    तुम जो कहते हो कि प्रभु से प्रेम करते हो, जहाँ भी जाओं वहाँ प्रभु यीषु के साथ हो। और प्राचीन लोगों की तरह जहाँ भी अपना तम्बू गाड़ो, वहाँ एक वेदी की स्थापना करों । इस तरह से सुधार लाना जरूरी है। एक ऐसा बदलाव जो स्थायी और विस्तप्त होगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 5:320, 321)ChsHin 282.2

    षैतान हर संभव कोषिष करता है कि वह लोगों को परमेष्वर से दूर कर दें। और वो ऐसा करने में कामयाव भी होता है जब लोगों का धार्मिक जीवन काम-काज की चिंताओं में डूब जाता है, जब उसका दिमाग व्यवसाय में इस तरह व्यस्त हो जाता है कि उसे बाईबल पढ़ने, एकान्त में प्रार्थना करने प्रभु का धन्यवाद रूपी दान उसकी प्रंषसा के गीत गाकर और उसकी वेदी पर सबह षाम धन्यवाद रूपी बलिदान चढाने का समय नहीं मिलता । (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 5:426)ChsHin 282.3

    पारिवारिक प्रार्थना को रोचक और मन को खुष करने वाली बनाओं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 5:335)ChsHin 282.4

    उन्हें (बच्चों को) प्रार्थना के समय का सम्मान करना सिखना चाहियें। उन्हें सुबह जल्दी उठना सिखना चाहिये ताकि वे पारिवारिक आराध ना में षामिल हो सकें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 5:424)ChsHin 282.5

    बच्चों के लिये धर्म को आकर्शक बनाना चाहिये न कि घष्णा करने वाला। पारिवारिक प्रार्थना का समय होना चाहिये। बाईबल से पढ़ा गया वचन सामान्य व चुना हुआ होना चाहियें। बच्चों की षक्ति गीत गाने में षमिल करना चाहिये। प्रार्थनायें छोटी हो और सीधे विशय से संबंधित होना चाहियें। (द सदर्न वॉचमेन 13 जून 1905)ChsHin 282.6

    पारिवार की सभा में और परिवार की वेदी के समक्ष मेहमनों का स्वागत करना चाहियें। प्रार्थनाओं का समय उन लोगों पर एक विषेश प्रभाव डालता है, जो प्रसन्नता प्राप्त करते हैं, और केवल ही मुलाकात किसी को जान बचाने के लिये काफी होती है। इसी काम के लिये तो प्रभ बार-बार कहता है, मैं उसे लोटाऊंगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:347)ChsHin 283.1

    बच्चों को प्रार्थना करने के समय का आदर करना और प्रतिश्ठा देना सिखाना चाहिये किसी भी प्रकार के काम पर जाने से पहले परिवार के सभी सदस्यों को इकट्ठा किया जाना चाहियें और पिता को या फिर की अनुपस्थिति में माता से परमेष्वर पिता से विनति करना चाहिये कि परमेष्वर दिन भी के लिये घर के सदस्यों की रखवाली करें। बड़ी नम्रता से, हष्दय की गहराई और अपने सामने आने वाले खतरे और परिक्षाओं की घड़ी में उन्हें बड़े विश्वास से परमेष्वर की वेदी को पास लायें और परमेष्वर से गिड़गिड़ाकर उनकी सुरक्षा के लिये प्रार्थना करें। सेवा करने व सहायता करने व सहायता करने वाले स्वर्गदूत बच्चों की सुरक्षा करेंगे, जो इस प्रकार परमेष्वर को समर्पित किये गये है। ये हर एक मसीही माता पिता का कर्तव्य है कि सुबह षाम प्रार्थना व विनती पूरे विष्वास के साथ कर बच्चों के चारों तरफ सुरक्षा का बाड़ा बांध दे। उन्हें बड़े धीरज से सिखायें। दखलुता व ६ पीरज से उन्हें सिखायें कि परमेष्वर को खुष कैसे किया जाता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 1:337, 398) ChsHin 283.2

    अब्राहम “परमेष्वर के मित्र ने’ एक आदर्ष उदाहरण हमारे सामने रखा है। उसका जीवन प्रार्थना का जीवन था। उसने जहाँ भी अपना तम्बू खड़ा किया, ठीक उसी के पास उसने प्रभु की वेदी बनाई और सभी को सुबह व षाम बलिदान बढ़ाने के लिये बुलाता था। उसका निर्देष लिया करते थे। और जब भी कोई इस वेदी के पास आता था तो वह जान जाता था कि उसके वहाँ कौन आया था। और जब वह भी अपना तम्बू वहाँ गाड़ते थे, उसने उस वेदी की मरम्मत की और वहाँ जीवते परमेष्वर की उपासना की। (प्रोफिसिक एण्ड प्रोफेट्स 128)ChsHin 283.3

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