Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents

मसीही सेवकाई

 - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    धन्यवाद और प्रषंसा

    प्रभु की महिमा पूरे हष्दय की गेहराई से और वफादरी से की जाना ही अपना कर्तव्य पूरा करने जैसा कार्य है जो प्रार्थना से होता है। हमें जगत को यह दिखाना है और स्वर्गीय ताकतों को बताना है कि हम परमेष्वर के अद्भुत प्रेम को जो उसने पाप में गिरी हुई मानव जाति से किया। उसकी प्रषंसा करते हैं। क्योंकि हम उसकी उन बड़ी आषिशों को उससे प्राप्त करें, जिनकी कोई सीमा नहीं है। और तब पवित्र आत्मा की जोरदार बारिष से प्रभु मैं हामरी प्रसन्नता और उसकी सेवा की परिपूर्णता में बहुत ही वषद्ध होगी, जिसमें उसकी संतान के द्वारा उसकी अनगिनत भलाई और उसके अद्भुत कार्य किये। ये प्रक्रियायें पैतान की षक्ति को कमजोर कर पीछे ६ केलती है वे बुड़बुड़ाने वाली और षिकायत करने वाली आत्मा को भगा देते हैं। और षैतान भी मैदान छोडकर भाग जाता है। वे प्रभ के गणो को बढावा देते जो इस पष्थ्वी के रहवासियों को स्वर्गीय स्थानों में रहने के योग्य बनायेंगे। इस प्रकार की गवाही दूसरों पर काफी प्रभाव डालती है। इससे ज्यादा प्रभावषाली तरीके या साधन और कोई नहीं अपनाया जा सकता प्रभु यीषु के लिये आत्माओं को जीतने के लिये । (क्राइस्ट्रस ऑब्जेक्ट लैसन्स 299,300)ChsHin 287.1

    प्रभु चाहता है कि हम उसकी भलाई का बखान करें, उसकी सामर्थ के बारे में लोगो को बताये। व उसकी प्रषंसा और धन्यवाद के कामों से सम्मानित होता है। वह कहता है जो भी प्रषंसा करता वह मेरी महिमा करता है। इजारइल के लोग जब वे जंगल में होकर गुजर रहे थे। तब प्रभु की प्रषंसा पवित्रत गीतों को गाकर की प्रभु की आज्ञायें और उसके वायें संगीत से जुड़ गये थे, और सारी यात्रा के दौरान ये गीत उन यात्रियों ने गायें और कनान में, जब उन्हें उनका पवित्र भोजन मिला, प्रभु के अद्भुत कार्यो को लोगो ने गिना और धन्यवाठी प्रार्थना उसके नाम से की गई। प्रभु चाहता था कि उसके लोगो को सम्पूर्ण जीवन प्रषंसा से पूर्ण हो। (क्राइस्ट्रस ऑब्जेक्ट लैसन्स 298, 299) ChsHin 287.2

    एक खतरनाक नीति कुछ लोग सोचते है कि वे पथ्वी का सारा खजाना खो देंगे। इसलिये उन्होंने प्रार्थना करना और एक साथ मिलकर उपासना करना छोड़ दिया कि अपना व्यवसाय और खेती बाड़ी को ज्यादा समय दे सकें। वे अपने कार्यो से यह दर्षातें है कि कौन से स्थान को सर्वोच्च सम्मान देते हैं। वे धार्मिक अवसरों को बलिदान कर देते हैं। जो उनके आत्मिक बढ़ोत्तरी के लिये आवष्यक था। उस जीवन की वस्तुओं के लिये और अपने लिये ज्ञान प्राप्त करे कि स्वर्गीय इच्छा पूरी करने में असफल होते है मसीही चरित्र पूर्णता में कम पड़ते है। और परमेष्वर की नजरों में उच्च स्तर को नहीं पा सकते। वे अपने सांसारिक, कुछ समय के रूचियों को प्रथम स्थान न देकर प्रभु की प्रषंसा और उसकी सेवा करने के लिये को चुराते है। ऐसे लोगो को परमेष्वर देखता है। क्योंकि वे आषिशों के बदले श्राप पायेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 2-654)ChsHin 288.1

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents