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मसीही सेवकाई

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    प्रारंभिक वर्शों में

    एक प्रभु के सेवक की दयालुता और सनम्रता बच्चों के साथ उसके व्यवहार में दिखाई देना चाहिए। उन्हें हमेषा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अभी कम उम्र के स्त्री व पुरूश हैं, परमेश्वर के राज्य के छोटे सदस्य । ये परमेश्वर के काफी करीब एवं उसके प्रिय हो सकते हैं बषर्ते कि उन्हें सही निर्देश व तालिम दी जाये, व्यवहार करना सिखाया जाये, जिससे वे परमेश्वर की सेवा अपनी जवानी में ही करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 4:397, 398)ChsHin 40.3

    नौजवानों को नकारा नहीं जाना चाहिए। उन्हें परिश्रम में और जिम्मेदारियों में षामिल होने दो। उन्हें ये महसूस होना चाहिए कि उन्हें दूसरों की सहायता करना और उन्हें आषिशित करना है। बच्चों को यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वे प्रेम व दया के छोटे-छोटे काम उन लोगों के लिये करें, जो उनसे कम किस्मत वाले हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:345)ChsHin 41.1

    माता-पिता को अपने बच्चों को समय की किमत और सही उपयोग करना सीखाना चाहिए। उन्हें परमेश्वर की महिमा करना और परमेश्वर की आशिशों से रहित लोगों को परमेश्वर के करीब लाना चाहिए। और ऐसा करके वे प्रभु के सच्चे कार्यकर्ता एक छोटी उम्र में ही बन सकते हैं। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स- 345)ChsHin 41.2