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मसीही सेवकाई

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    युगों-युगों का संकट

    हम युगों से चले आ रहे संकट का अंत होने के कगार पर आ खड़े हुये हैं। एक के बाद दूसरा लगातार परमेश्वर का न्याय पष्थ्वी पर होगा, आग और बाढ़ और भू—कम्प, युद्ध और खून-खराबा। हमें इस समय घटित होने वाली महान व धोखे से भरी घटनाओं से आष्चर्यचकित नहीं होना चाहिये, क्योंकि महिमामय स्वर्गदूत ज्यादा समय तक उन लोगों को जिन्होंने अभी तक पापों से क्षमा नहीं पाई है, बचाये रखेगा। (प्रोफेट्स एण्ड किंग्स - 278) ChsHin 67.1

    यह संकट हम पर चोरी-छिपे धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। सूर्य अभी भी अपनी परिक्रमा पूरी कर जगत को रौशन कर रहा है, प्रभु की महिमा अभी भी आकाश मण्डल में दिखाई देती है। मनुश्य अभी भी अपने सांसारिक क्रिया कलापों खाना-पीना बोना, निर्माण करना, विवाह करना, विवाह के लिये देना आदि में व्यस्त हैं। व्यापारी लेन-देन में लगे हैं, मनुश्य एक दूसरे को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने की होड़ में लगा है। जीवन की लालसाओं को पूरा करने वाले रंगमंच, घुड़-दौड़ और जुआ खेलने में लगे है। लोग सर्वोच्च स्थान पाने के जोश से संसार में मशगूल हैं जबकि प्रभु की रहमत का दरवाजा बंद होने वाला है। हर एक केस का निर्णय आखिरकार सुनाया जाने वाला है। पैतान को पता है कि उसके पास कम समय ही बाकी रह गया है, अतः उसने अपने सारे मध्यस्थों को काम पर तैनात कर दिया है कि वह हर एक आदमी को धोखे में, छल करने में, दूसरे कामों में व्यस्त रहने और अपनी रूचियों को पूरा करने में लगा रहे जब तक कि आखिर में अनुग्रह का द्वार उसके लिये हमेषा-हमेशा के लिये बंद न हो जाये। (द सदर्न वॉचमेन- 3 अक्टूबर, 1905) ChsHin 67.2

    अनाज्ञाकारिता उसकी उत्कष्श्ट सीमा तक पहुंच चुकी है, लोगों के सोचने समझने की षक्ति खत्म हो चुकी है। उन पर बहुत भयानक संकट अचानक आ पड़ने वाला है, अंत करीब है। हम जो सत्य जानते हैं, हमें तैयार रहना है, उस घबरा देने वाले घटना का सामना करने के लिये। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 8:28) ChsHin 68.1

    इस समय जो पाप और अपराध इतने बढ़ गये है, इससे हमें जान लेना चाहिए कि हम अंतिम विपत्तियों के आने के कितने करीब हैं। जब परमेश्वर के नियमों को पूरा जगत पालन नहीं करता, जब उसके लोगों को संसार के अन्य लोग दबाते और चोट पहुंचाते हैं तभी हमारे न्यायी प्रभु का आगमन होगा। (क्राईस्ट ऑबजेक्ट लैसन्स- 178)ChsHin 68.2

    हम एक बड़ी ही महान व निश्चित घटना के होने के देहलीज पर खड़े हैं। सारी भविश्यवाणियाँ पूर्ण होती जा रही हैं, स्वर्गीय किताबों में अजब घटनाओं का ब्योरा लिखा जा रहा है। संसार में उथलपुथल मची हुई है। युद्ध और युद्ध की अफवाहें, फैल रही है। सारे राश्ट्र नाराज हैं और उन मष्तकों का समय आ चुका है कि उनका न्याय किया जाये। प्रभु के दिन को जो आने पर ही है कुछ घटनायें भी हो रही हैं। केवल कुछ ही समय बाकी है। इस दौरान एक देश दूसरे देश पर एक राज्य दूसरे राज्य के विरूद्ध उठ खड़े हो रहे हैं, अभी ऐसा कोई सामान्य बंधन नहीं है। अभी उन स्वर्गदूतों ने चारों दिशाओं में हवाओं को रोक रखा है, जब तक कि उसके लोगों के माथे पर परमेश्वर की छाप न लग जाये। तब संसार की षक्तियाँ अंतिम महायुद्ध के लिये अपनी सेना को आदेश देंगी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:14)ChsHin 68.3