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मसीही सेवकाई

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    प्रशिक्षण प्रदान करने की जिम्मेदारी

    जब वादे के पक्के और योग्य व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आता है, जिस प्रकार तिमोथी, पौलुस और बरनवास के जीवन में आया तब वे पूरी ताकत व ईमानदारी से उन्हें प्रभु की बारी में काम करने की जरूरत को समझा और बना सकते है। जब प्रेरित अन्य स्थानों की ओर गये इन व्यक्तियों का विश्वास डगमगाया नहीं, किन्तु बढ़ा। उन्हें पूरी वफादारी से (द मिनीस्ट्री ऑफ हीलिंग- 142, 143)ChsHin 80.2

    प्रभु की राह पर चलने के निर्देश दिये गये और बिना स्वार्थ, ईमानदारी से काम करने की पूरी चाह न ही उन्हें अपने लोगों को उद्धार पाने का मार्ग बताने में सहायता की, नये विश्वासियों का यह षानदार प्रशिक्षण इनके काम की सफलता का एक महत्वपूर्ण मुद्दा था, वह सफलता जो पौलुस और बरनवास को उन अन्य जातियों के देश में सुसमाचार प्रचार कार्य में मिली। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स- 186, 187) ChsHin 81.1

    जैसे कलीसियाओं की स्थापना होती जाती है, उनके सदस्यों को ये सिखाया जाना चाहिए कि वे सच्चाई जो उन्हें मिली है, दूसरों तक पहुँचायें और नई कलीसिया बनायें इसलिये उन सभी को काम करना चाहिये और प्रभु द्वारा दिये गये गुणों को जितना अधिक हो सके बढ़ाना चाहिये। अपने मन को प्रशिक्षित करना चाहिये कि वह केवल प्रभु की सेवा में लगा रहे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 3:205)ChsHin 81.2

    सुसमाचार प्रचार के कार्यक्रमों में लगातार लज्जित होना पड़ रहा है, क्योंकि सही सोच रखने वाले लोगों की कमी है। जिन लोगों में समर्पण एवं धार्मिकता है, वही सही अर्थो में विश्वास को प्रस्तुत करेंगे, कई लोग हैं जो प्रचारक बनाना चाहते हैं किन्तु उन्होंने ये काम कभी किया नहीं और जो लोग चाहे वे कलीसिया से जुड़े हों या कॉलेजों से यह काम करना जानते हैं वे इन लोगों के साथ मिलकर काम के बोझ को हल्का करना नहीं चाहते न ही उन्हें परमेश्वर के अधिकार व सामर्थ के बारे में, जो सब लोगों पर है, बताते हैं। यहाँ तक कि वे न तो उनके साथ और न उनके लिये प्रार्थना करते हैं। (काऊंसिल्स टू पेरेन्ट्स, टिचर्स एण्ड स्टूडेन्ट्स- 500, 501)ChsHin 81.3

    जिनके पास आध्यात्मिक समझ है, उन्हें सभी साधनों व तरीकों को कलीसिया के लिये अवसर प्रदान करने हेतु हर एक सदस्य को कोई न कोई प्रभु का काम सौंपना चाहिये, जिसे वे कर सकें। पिछले समय में ये काम नहीं किया गया है। इसके लिये कोई योजना पहले बनाई ही नहीं गई न ही उसके अनुसार कार्य हुआ, अन्यथा सभी प्रकार के प्रबुद्ध लोगों का इस्तेमाल प्रभु की सच्ची सेवा में किया जा सकता था। केवल कुछ लोग ही हैं, जो इस बात को महसूस करते हैं और जानते हैं कि इस कारण कितनी हानि हुई हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:116)ChsHin 81.4

    हर एक कलीसिया में ऐसे प्रशिक्षित सदस्य होने चाहिये, जो अपना समय प्रभु के लिये आत्मायें जीतने में लगायें । कलीसिया के लिये ऐसा कैसे कहा जा सकता है, कि “तुम जगत की ज्योति हो।”, जब तक की कलीसिया का हर एक सदस्य सही में जगत को ज्योति प्रदान नहीं करता। आइये जिन्हें प्रभु की भेड़ो की रखवाली करने का काम सौंपा गया है, वे अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक हों और अपने साथ अन्य लोगों को भी कार्य करने दें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:436)ChsHin 81.5