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मसीही सेवकाई

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    करके सीखना

    विद्यार्थियों को उनके पूर्ण शिक्षा के लिये यह जरूरी है कि उन्हें प्रचार कार्य करने को दिया जाये। उन्हें समय देना चाहिए कि अच्छी तरह से यह जान लें कि उनके समाज और उन परिवारों को जो उनके आसपास हैं आध्यात्मिकता की कितनी जरूरत है। उन पर पढाई का इतना ज्यादा बोझ न डाला जाये कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समय न होने की वजह से कर ही न सकें । उन लोगों को जो पाप में पड़े थे, उन्हें जाकर सुसमाचार सुनाने के लिये उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिये। नम्रता पूर्वक कार्य करते हुये प्रभु यीशु से बुद्धि प्राप्त कर, स्वयं प्रार्थना कर तथा उनके द्वारा प्रार्थना करवाकर, ये दूसरों से प्रभु यीशु के बारे में बता सकते, जिससे उनका जीवन सच्चाई से परिपूर्ण हो जाये। (काऊन्सिल टू द पेरेन्ट्स टिचर्स एण्ड स्टूडेन्ट— 545, 546) ChsHin 86.1

    जहाँ भी संभव हो, छात्रों के स्कूल के वर्श में उन्हें षहरों में प्रचार कार्य करना चाहिये अपने षहर या कस्बे के बाहर जाकर भी उन्हें सुसमाचार प्रचार करना चाहिये। उन्हें समूह बनाकर मसीही सहायता लोगों को पहुँचाना चाहिये, छात्रों में प्रभु के काम के प्रति गहरी सोच होना चाहिये, उन्हें ये नहीं सोचना चाहिये कि पढ़ाई करने के बाद जब समय मिलेगा तब प्रभु यीशु का प्रचार कार्य करेंगे, किन्तु अपनी छात्र जीवन में ही यीशु का क्रस उठाकर निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करें। (काऊन्सिल टू द पेरेन्ट्स टिचस एण्ड स्टूडेन्ट- 547) ChsHin 86.2

    नौजवानों के दिमागों में केवल गहरे महत्व के पाठों से भर देना ही काफी नहीं है। उन्हें जो सच्चाई मिली है, उसे अन्य लोगो में बाँटना सीखना चाहिए। (काऊन्सिल टू द पेरेन्ट्स टिचस एण्ड स्टूडेन्ट— 545)ChsHin 86.3

    हमारे कॉलेजों और प्रशिक्षण स्कूलों से प्रभु के सुसमाचार प्रचार कार्य के लिये दूर दराज के क्षेत्रों में भी भेजा जाना चाहिये। जबकि स्कूल में रहते हुय उन्हें हर एक अवसर पर तैयार रहने के लिये बेहतर बनाया जाये। यहीं ये छात्र जाँचे व परखे जाकर अपनी काबिलियत सिद्ध कर सकते हैं। इससे इनकी योग्यता तो झलकेगी ही साथ ही प्रचार कार्य को ग्रहण करने के कितने योग्य हैं ये भी पता चल जायेगा, कि उन पर सत्य का आत्मा काम कर रहा है। (काऊन्सिल टू द पेरेन्ट्स टिचस एण्ड स्टूडेन्ट- 549)ChsHin 86.4

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