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मसीही सेवकाई

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    योग्य व्यक्ति की नियुक्ति उचित स्थान पर

    प्रत्येक वह व्यक्ति जिसे एक उचित पद दिया गया है, उसे अपना सौंपा गया पद व काम करना है। हर एक को अपने पूरे मन से इस युद्ध क्षेत्र में कुछ भी काम करने को तैयार रहना है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 7:30)ChsHin 98.1

    इसका अर्थ केवल अनेक संस्थायें, ऊँची-ऊँची इमारतें या ऊपरी दिखावा नहीं है किन्तु परमेश्वर जो चाहता है वो यह है कि उसके विशेश लोगों में आपसी सहयोग व लगाव हो क्योंकि वे परमेश्वर के चुने हुये है, कीमती हैं। हरेक को जहाँ वह है, वहीं खडे होकर सोचने, बोलने और काम करने कोताही न बरतें बल्कि उनका सोचना, बोलना और करना, सबमें समानता हो। और तब तक हो जब तक काम पूरी तरह से पूर्ण नहीं हो जाता। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:293)ChsHin 98.2

    किसी भी सेना की ताकत उसके सैनिकों के पद और उनके षारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक बल एवं योग्यता से नापी जाती है। एक बुद्धिमान सेनापति अपने अधिक अधिकारियों को हर एक सिपाही को प्रशिक्षित करने का आदेश देता है कि वे हमेषा सक्रिय हों, वह चाहता है कि हर दृश्टि से वे अधिक योग्य तथा काम करने की योग्यता हासिल करें। यदि वह इस काम को केवल अधिकारियों के भरोसे छोड़ देगा तो वह एक शक्तिशाली सैन्य संगठन बनाने में सफल नहीं होगा। वह लगातार उनकी हर एक कार्य प्रणाली पर पैनी नज़र रखता है, उसका एक भी जवान वफादार व सेवा के लिये हर दम तत्पर रहता है। जो ऊँचे पद पर होता है उसके कंधों पर ज्यादा जिम्मेदारी होती है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:116)ChsHin 98.3

    यीशु सुसमाचार प्रचार करने वालों को बुलाता है, कौन यह बुलाहट सुनेगा? सेना में जितने भर्ती होते है, वे सभी सेनापति, कप्तान, सेना प्रधान या सैन्य अधिकारी नहीं होते। सभी अगुवे होने की जिम्मेदारी और चिंता का भार अपने ऊपर नहीं लेते। और भी कठिन काम होते हैं, करने के लिये कई लोगों को गड्ढे खोदकर खंदक बनाना, किले बनाना, किसी को संतरी का काम करना, संदेश वाहक होना आदि । जबकि कुछ बड़े अधिकारी होते और बाकी सारे अलग-अलग पद के उनके अधीन काम करने वाले सिपाही होते हैं। इन सभी की सफलता हर एक सिपाही के अपने काम के प्रति वफादारी पर निर्भर करती है। कोई भी एक डरपोक या धोखेबाज आदमी पूरी सेना के लिये विनाश लाता है। (गॉस्पल वर्कर्स- 84, 85)ChsHin 98.4