स्वर्ग की नामावली
जगत को सुसमाचार प्रचारकों की आवश्यकता है, अपने-अपने स्थानों पर रहकर प्रभु का काम करने वाले लोगों की । यदि वे प्रचारक नहीं होते हैं, तो उनका नाम एक मसीही के रूप में स्वर्ग की पुस्तक में नहीं लिखा जायेगा। क्योंकि उसमें भविश्यवाणी की आत्मा नहीं। (द रिव्यू एण्ड हेटन्ड 23 अगस्त, 1892)ChsHin 113.4
यदि कलीसिया के लोग व्यक्तिगत रूप से इस काम को नहीं करते हैं तब वे ये दर्शाते हैं कि उनके जीवन का संबंध परमेश्वर से नहीं है। उनके नाम, काम न करने वाले आलसियों के रूप में दर्ज हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 5:462, 463) ChsHin 114.1
हर धार्मिक कार्य जिसके होने में परमेश्वर की इच्छा होती है, ऐसे कार्यो में हिस्सा लेने से अपने आप को कुछ अलग कर लेते हैं और किसी भी प्रकार की मद्द करने से इंकार कर देते है। ऐसों के लिये अच्छा होगा कि वो याद रखें कि इसका रिकार्ड स्वर्ग में रखा जा रहा है। एक किताब जिसमें कोई रद्दी बदल कोई परिवर्तन न ही कोई गलती होगी और उसी के आधार पर न्याय सुनाया जायेगा। वहाँ ह रवह अवसर, जहाँ प्रभु का प्रचार करने से इंकार किया गया लिखा गया है। और वहीं वे सारे कार्य जो प्रभु से प्रेम व विश्वास के खातिर किये गये वे कभी भुलाये नहीं जायेंगें। (प्रोफेट्स एण्ड किंग्स — 639) ChsHin 114.2
23 अक्टूबर 1879 की लगभग 02:00 बजे सुबह प्रभु का आत्मा मुझ पर आकर ठहर गया और मैंने आने वाले न्याय के दिन का दर्शन देखा। हजारों-हजार की संख्या में लोग एक बहुत बड़े सिंहासन के सामने खड़े थे और उस सिंहासन पर राजा की सीषान का व्यक्तित्व बैठा दिखाई पड़ा उसके सामने कई पुस्तकें थीं और उन पर सुनहरे अक्षरों से कुछ लिखा हुआ था और वह आग की लपटों की तरह दिखाई पड़ता था, जो स्वर्ग का लेखा था। उनमें से एक पुस्तक जिनमें उन लोगों के नाम दर्ज थे, जो परमेश्वर की सच्चाई में विश्वास करते हैं, खोली गई तभी अचानक वे अनगिनत करोड़ों लोग जो सिंहासन के पास खड़े थे। मुझे दिखाई न दिये किन्तु केवल वे जो अपने कामों द्वारा परमेश्वर की ज्योति के बेटे-बेटियाँ थे, जो सच्चाई में खरे थे दिखाई दिये और मैं उन्हीं को देखने में लीन हो गई।ChsHin 114.3
एक किताब और खोली गई, जिसमें उन लोगों के पाप दर्ज थे, जिन्होंने सच्चाई को जाना था। उस पुस्तक का षीर्शक “केवल स्वार्थीपन” था जिसमें दुनिया भर के पाप आ गये। एक वर्ग के लोगों के नाम दर्ज थे जो धरती के बोझ थे। जैसे ही न्याय करने वाले की तेज निगाहें इन लोगों पर पड़ी, उनके नकारने का पाप साफ दिखाई देने लगे। पीले पड़े हुये चेहरे और काँपते होठों से उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने पवित्र विश्वास के प्रति विद्रोह किया है। इन्हें कई बार मौके मिले चितौनियाँ भी मिली किन्तु इन्होंने ध्यान नहीं दिया और अपने आप में सुधार नहीं लाये। अब वे देख सकते थे कि वे प्रभु की दया पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो गये थे। बिल्कुल सही इनके पास क्षमा माँगने का समय नहीं रह गया था, जो बुरे और बिगड़े हुये लोग करते हैं। वो तो उस अंजीर के पेड़ के समान श्रापित लोग थे, जो फल नहीं लाये थे। इन्हें प्राप्त तोड़ो का इस्तेमाल इन लोगों ने प्रभु के काम को करने में नहीं किया था। इस वर्ग के लोगों ने स्वयं को सर्वश्रेश्ठ माना और परिश्रम केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये किया। वे परमेश्वर में धनी नहीं थे, और परमेश्वर के बेटे-बेटियाँ कहलाने लायक नहीं थे। ये केवल परमेश्वर के दिखाये सेवक थे, वे कोई आत्मा जीत नहीं पाये । यदि परमेश्वर का काम इन लोगों के भरोसे छोड़ दिया जाता तो प्रचार कार्य अधर में लटका रह जाता क्योंकि इन लोगों ने न तो अन्य लोगों को और न ही स्वयं को बचाने के लिये प्रयास किये। ऐसे लोगों ने प्रभु के विरोधी को अपने प्रभु की दाख की बारी में काम करने दिया और अपने कंधों पर भारी बोझ अपने स्वर्थ से उठाकर चलने लगे। उससे इन्होंने पूरा समय अपने स्वार्थ पूर्ण जीवन को जीने में लगाया।ChsHin 114.4
न्यायी ने कहा, “सभी उनके विश्वास और कार्यो के अनुसार परखे जायेंगे। इन लोगों का प्रभु के प्रति इंकार किस प्रकार सामने आया और ठीक इसी प्रकार परमेश्वर की योजना सभी के लिये सभी की योग्यतानुसार काम सौंपना और करवाना है ताकि मुख्य उद्देष्य पूरा हो और बहुत से साथी बचायें जायें । हरेक को अपने परिवार और अपने आस-पड़ोस में प्रभु के विश्वास को जीवन्त करना है। उसकी जीवित गवाही देना है, लोगों पर दया दिखाकर दुखी व मुसीबत के मारे हओं के प्रति सहानभति दिखा कर. सुसमाचार का प्रचार कर और परमेश्वर के काम में मद्द, उसी के द्वारा दिये गये साधनों, गुणों व तोड़ों का सही उपयोग कर पूरे करना है। किन्तु कुछ लोगों पर मिरोज़ के समान उन पर परमेश्वर की ताड़ना प्रकट हुई जब उन्होंने वह काम नहीं किया जो सौंपा गया था। उन्होंने तो वे काम ही किये जो उन्हें इस जीवन में अत्यधिक लाभ पहुंचा सकते थे वे स्वर्गीय जीवन के आनन्द को भूला बैठे थे। इसीलिये उस किताब में उनके नामों के सामने भले काम करने के बदले षोकित करने वाला खाली स्थान था, वहाँ कुछ भी नहीं लिखा था। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च — 4:384—386)ChsHin 115.1