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मसीही सेवकाई

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    प्रचार- कार्यक्रम के साथ खतरा

    हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि जब हम प्रचार कार्य की सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने लगते हैं और अपने कार्य को जल्दी पूरा करने के लिये प्रचार कार्य में तेजी लाते है तब हमारे सामने मनुश्यों को योजनाओं और उनकी विधियों पर भरोसा करने का खतरा बढ़ जाता है। तब कार्य प्रार्थना की कमी और विश्वास की कमी से होते हैं, हम खतरे में पड़ सकते है। यदि परमेश्वर पर भरोसा करना छोड़ दें, क्योंकि उनके बिना कोई भी काम सफल नहीं होता। हम ये न सोचे कि कई बार मनुश्यों का नज़रिया ऐसा होता है, फिर ये मान लेना कि मनश्य कछ नहीं करता, गलत होगा। वह कर सकता है, किन्तु ज्यादा सफलता पाने के लिये उसे स्वर्गीय उपहार “पवित्र आत्मा” को ग्रहण करना होगा। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड — 04 जुलाई 1893)ChsHin 127.4

    एक समय आयेगा जब पूरी कलीसिया स्वर्गीय षक्ति से भर जायेगी और सब ईमानदारी काम कर परिणाम तक पहुँचेंगें। क्योंकि जीवन देने वाली षक्ति जो पवित्र आत्मा की है, वह उनके लोगों को उत्साहित करेगी कि वे निकल जायें और आत्माओं को यीशु के पास लायें। किन्तु जब यह कार्य समपन्न होगा तब बहुत ही मेहनती सेवक सुरक्षित होगें क्योंकि वे लगातार प्रभु की प्रार्थना और पूरी तरह से प्रभु पर निर्भर रहकर कार्य करते हैं। उन्हें परमेश्वर के अपनी विनतियों के द्वारा प्रभु यीशु से प्राप्त अनुग्रह के द्वारा बचाये जा सकते हैं कि वे स्वयं इस काम को नहीं कर सकते थे। वे गर्व करने से बचते और सारे काम को करने की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेते उन्होंने केवल लगातार प्रभु यीशु की तरफ ताकना है। ताकि वे यह समझ सकें कि सारा काम प्रभु की ताकत से पूरा होता है और इस तरह प्रभु को सम्पूर्ण महिमा प्रदान करें। हमें भी बुलाया जायेगा उन कामों को पूरा करने के लिये जो प्रभु हमें सौंपेगा। तब स्वर्गीय पिता की प्रार्थना करना ज़रूरी होगा। तब घर में, कलीसिया में और परिवारों में सभी को प्रार्थना करना जरूरी होगा। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 04 जुलाई 1893)ChsHin 128.1

    रब्बियों के अनुमान के अनुसार धर्म का सार यह है कि वह हमेषा वषद्ध करता रहे। अपनी सर्वश्रेश्ठ धार्मिकता दिखाने के लिये उन्होंने कुछ ऐसे अनोखे कार्य करें जो धार्मिकता दर्शाये। इस प्रकार उनकी स्वयं की निर्भरता के कारण वे परमेश्वर से दूर हो गये और अपने आप को स्वयं की धार्मिकता के अनुसार ढाल लिया। ये खतरा आज भी लोगों में पाया जाता है। जैसे-जैसे मनुश्य धार्मिक क्रिया कलापों में ज्यादा बढ़ता है, वह हर एक जो परमेश्वर के लिये करता है, सफल होता है और खतरा तभी होता है, क्योंकि मनुश्य प्रभ के लिये बनाई गई योजना और तरीकों से अपने आप पर ज्यादा भरोसा करने लगता है। परमेश्वर को भूल जाता है, वह न तो प्रार्थना करता और न ही विश्वास करता है। पतरस की तरह हम भी प्रभु से अपना ध्यान हटा लेते हैं और हमारे कार्यो को हमारा उद्धारकर्ता बना लेते हैं, ये सोचकर किये कार्य ही हमें उद्धार दिलायेंगे। हमें पूरी तरह से हर समय प्रभु यीशु पर ही निर्भर होना हैं इस बात का एहसास करके कि हर काम उसी की षक्ति व सामर्थ से होता है। जब हम लोगों को उद्धार के मार्ग पर लाने के लिये कठिन परिश्रम करते हैं तब हमें लगातार प्रार्थना करना, बाइबल से वचन पढ़कर अगुवाई पाना और वचन पर मनन करने की आवश्यकता है। प्रार्थनाओं के द्वारा किया गया कार्य तथा प्रभु यीशु के द्वारा पवित्र किया गया कार्य ही अन्त में भलाई के लिये किया गया उचित कार्य ठहराया जायेगा। मनुश्य की अपनी योजना, विधियाँ या कार्य नहीं। (द डिज़ायर ऑफ ऐजेज़- 362)ChsHin 128.2