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मसीही सेवकाई

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    मिलनसार बनो

    वे सब जो प्रभु यीशु के काम में लगे हैं, उन्हें मैं यह कहूँगा कि वे जहां कहीं भी लोगों तक अपनी पहुँच बना सके, चाहे आग तापते हुये आ और किसी भी स्थान पर अपने मौके का फायदा उठाओं। बाइबल खोलो और उन्हें वचन पढ़कर सुनाओ, सच्चाई से परिचित कराओ। तुम्हारी सफलता, तुम्हारे ज्ञान और काम को पूरा करने के द्वारा नहीं बल्कि आपने कितने हृदयों तक वचन पहुँचाया है ? इस पर निर्भर करेगी। मिलनसार होने और लोगों के करीब पहुंचने के द्वारा तुम लोगों के सोचने के नजरिये को बदल सकते हो। प्रभु यीशु के बारे में जो घर में एकत्र हों, बताना अघि क सफल होगा बल्कि इसके कि खुले में, बड़े हॉल या कमरों में, कलीसियाओं में, चलते-फिरते दिये गये धार्मिक प्रवचनों के द्वारा लोगों के हृदयों तक पहुँचना। (गॉस्पल वर्कर्स —193)ChsHin 159.1

    जो यीशु का सुसमाचार का प्रचार करते हैं, उन्हें प्रभु यीशु का लोगों के साथ जुड़ना और वचन के प्रति रूचि जागष्त कर एक जरिया बनाने वाला उदाहरण जो मानवता के प्रति यीशु ने अपनाया था, उसे सभी को पालन करना चाहिए। हमें सामाजिक मेल-जोल को त्याग नहीं देना है। हमें अपने आपको लोगों से छुपाना भी नहीं है, हर स्तर के लोगों तक पहुंचने के लिये हमें वहां जाना होगा जहां वे हैं। बहुत कम लोग स्वयं आकर हम से मिलते हैं। परमेश्वर की सच्चाई से लोगों का हृदय केवल ६ गर्मोपदेश की मेज से वचन सुनाकर ही नहीं बदला जा सकता है। एक और ऐसा सफलतम प्रयास है जो छोटा जरूर है किन्तु बहुत आषा बंधाता है। और वह एक गरीब का घर, उसका परिवार और बड़े लोगों की ऊँची ईमारतें, अस्पतालों में और ऐसे सामाजिक आयोजन जिसमें वे बड़ी मात्रा में षामिल होते है। (द डिज़ायर ऑफ ऐजेज़-152)ChsHin 159.2

    मसीह निशेधंक नहीं था, और उसने फरिसियों पर सामाजिक दोषारोपण किया कि उनके कठिन नियमों के कारण समाज बंट गया, बिखर गया। उसने पाया कि धर्म के अधिकार को ऊँची-ऊँची दिवारों के बीच कैद कर दिया है जो केवल बहुत ही पवित्र मुद्दा है प्रतिदिन के जीवन में इसी विभाजन की दिवार को गिरा दिया। अपने संपर्क में आने वालों से उसने यह नहीं पूछा कि वे किस जाति के है? किस कलीसिया के सदस्य है? उसने अपने मद्द करने की सामर्थ को हर उस व्यक्ति तक पहुँचाया जिसे उसकी आवश्यकता थी। अपने आप को किसी छुपने के स्थान एकान्त कुटिया में यह छुपा न रखा कि वह तो स्वर्ग का निवासी है। उसने कठिन परिश्रम किया मानवता को बचाने के लिये। उसने इस सिद्धांत को बढ़ावा दिया कि बाइबल का धर्म षरीर के नाश होने के बारे में नहीं है। उसने सिखाया कि पवित्र और बुराई व पाप रहित धर्म केवल कुछ निश्चित समय के लिये और विशेष अवसरों के लिये ही नहीं है यह हर समय और हर स्थान के लोगों के प्रति प्रेम को दर्शाता है और उस पर अपनी धार्मिकता की खुषियों भरी रौशनी फैलाता है। (द डिजायर ऑफ एजेज-86)ChsHin 159.3

    उन लोगों के पक्षपात के सामने प्रभु ने इन तिरस्कष्त लोगों की सेवकाई करना चुना। उनके साथ उनके घरों में रहा, उनके साथ भोजन किया उनके द्वारा पकाया हुआ भोजन, उनके हाथ से परोसा गया भोजन ग्रहण किया, उनको सड़कों पर सिखाया और उनके साथ बड़ी नम्रता और दयालुता का व्यवहार किया। (द डिज़ायर ऑफ एजेज़-193)ChsHin 160.1