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कुलपिता और भविष्यवक्ता

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    अध्याय 25—निर्गमन

    यह अध्याय निर्गमन 12:34-51, 13—15 पर आधारित है

    अपनी कमर कस के, पैरों में जूते पहने, हाथ में लाठी लिये, इज़राइल आगे बढ़ने के राजसी जनादेश की प्रतीक्षा में चुपचचाप आदरयुक्त भय के साथ, लेकिन आशान्वित खड़े हुए थे। पौ फटने से पहले, वे अपने रास्ते पर थे। विपत्तियों के समय जैसे-जैसे परमेश्वर के सामर्थ्य ने बन्धकों के हृदयों में विश्वास को जागृत किया था और उनका उत्पीड़न करने वालों के मन में भय उत्पन्न किया था, वैसे-वैसे इज़राइलियों ने अपने आप को गोशेन में इकटठा किया; और उनके अकस्मात निर्गमन के बावजूद पलायन करने वालों के नियन्त्रण और आवश्यक व्यवस्था के लिये प्रयोजन कर दिया गया था, उन्हें अलग-अलग दलों में नियुक्त अगुवों की देख-रेख में विभाजित कर दिया गया था।PPHin 279.1

    और बाल बच्चों को छोड़कर “कोई छ: लाख पैदल चलने वाले पुरूष और उनके साथ मिली जुली हुई एक भीड़ भी गई” इस भीड़ में केवल वही नहीं थे जो इज़राइल के परमेश्वर में विश्वास से प्रेरित हुए थे, वरन्‌ इनसे भी अधिक वे लोग थे जो केवल विपत्तियों से बचना चाहते थे या वे जो केवल उत्सुकतावश और जोश में भीड़ के साथ चल दिये थे। इस श्रेणी के लोग हमेशा ही इज़राइल के लिये एक प्रलोभन का जाल व बाधा बने रहे।PPHin 279.2

    ये लोग अपने साथ ‘भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल और बहुत से पशु’ ले गए। यह उन इज़राइलियों की सम्पत्ति थी जिन्होंने अपनी सम्पत्ति को राजा को नहीं बेचा था, जैसा कि मिम्रियों ने किया था। याकूब और उसके पुत्र अपने भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को अपने साथ मिस्र लाए थे, जहां उनमें बढ़ीतरी हुई थी। मिस्र छोड़ने से पहले, मूसा के निर्देशन में, लोगों ने अपने अवैतनिक परिश्रम के मुआवजे का दावा किया और मिस्र उन्हें मना न कर सके क्‍योंकि वे उनकी उपस्थिति से स्वतन्त्र होने को आतुर थे। बन्धुए अपने उत्पीड़नकर्ताओं से लूटी सामग्री से लदे हुए गए।PPHin 279.3

    उस दिन अब्राहम को भविष्यसूचक स्वपष्नदर्शन में बताए गए इतिहास को पूर्ण किया, “तेरे वंश पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, ओर उस देश के लोगों के दास हो जाएँगे और वे उनको चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे। फिर जिस देश के वे दास होंगे उसको मैं दण्ड दूँगा, और उसके पश्चात वे बहुत सा धन वहाँ से लेकर निकल आएँगे”-उत्पत्ति 15:13,14 । चार सौ वर्ष पूरे हुए। ठीक उसी दिन यहोवा इज़राइलियों को मिस्र देश से दल-दल करके निकाल ले गया।” मिस्र से प्रस्थान करने में इज़राइली युसुफ की हड्डियों की एक अनमोल धरोहर की लेकर गए, जो परमेश्वर की प्रतिज्ञा के पूर्ण होने की प्रतीक्षा में थी, और जो दासत्व के अन्धकारमय वर्षों में इज़राइल के छुटकारे का स्मृति-पत्र रही थी।PPHin 279.4

    कनान के लिये सीधे मार्ग पर जाने के बजाए, जो पलिश्तियों के देश से होकर निकलता था, परमेश्वर ने उन्हें दक्षिण की ओर लाल समुद्र के किनारों की ओर जाने का निर्देश दिया। परमेश्वर ने कहा, “कहीं ऐसा न हो कि जब ये लोग लड़ाई देखें तब पछताकर मिस्र को लौट आएँ।PPHin 280.1

    पलिश्तिया में से निकलने का प्रयत्न करने पर, उनकी प्रगति का विरोध किया जाता, क्‍योंकि यह जानते हुए कि वे दास अपने स्वामियों से छुप कर भाग रहे थे, पलिश्ती उनके साथ युद्ध करने में नहीं हिचकिचाते। उन शक्तिशाली योद्धा-प्रवृति के लोगों के साथ मुठभेड़ के लिये इज़राइली बिल्कुल तैयार नहीं थे। उन्हें परमेश्वर का कुछ ही ज्ञान था और उनका उस पर विश्वास भी कम था और वे बहुत जल्दी भयभीत और हतोत्साहित हो जाते। वे निहत्थे थे और युद्ध के अभ्यस नहीं थे।लम्बे समय के दासत्व से वे दबे हुए से जोशहीन थे और स्त्रियों, बच्चों, भेड़-बकरियों व गाय बैलों से भारग्रस्त थे। उन्हें लाल समुद्र के रास्ते सेले जाने के द्वारा परमेश्वर ने स्वयं को दयालुता और न्याय का परमेश्वर प्रमाणित किया।PPHin 280.2

    “और उन्होंने सुक्कोत से कूच करके जंगल के छोर पर एताम में डेरा डाला। और यहोवा उन्हें दिन को मार्ग दिखाने के लिये मेघ के खम्भे में होकर;और रात को उन्हें प्रकाश देने के लिये आग के खम्भे में होकरठउनके आगे-आगे चलता था; जिससे वे दिन और रात दोनों में चल सके। उसने न तो बादल के खम्भे को दिन में और न आग के खम्भे को रात में लोगों के आगे से हटाया ।भजन संहिता 105:39में लेखक कहता है, “उसने छाया के लिये बादल फैलाया और रात को प्रकाश देने के लिये आग प्रकट की । इसके अलावा (1 कुरिन्थियों 10:1,2)भी देखिये। उनके अदृश्य मार्गदर्शक का ध्वज हमेशा उनके साथ रहा। दिन में मेघ उनका मार्गदर्शन करता था, तम्बू की तरह भीड़ पर फैल जाता। वह भीष्ण गर्मी से उन्हें बचाता था, और निर्जल शुष्क मरूस्थल में अपनी ठंडक और नमी से ताजगी उत्पन्न करता। रात को वह आग का खम्भा बन जाता और उनके डेरे को दीप्तिमान करके उन्हें पवित्र उपस्थिति का लगातार आश्वासन देता।PPHin 280.3

    यशायाह की भविष्यद्वाणी के एक अत्यन्त सुन्दर व सुखदायी दृष्टान्त में बुराई की शक्तियों के साथ महान निर्णायक संघर्ष में परमेश्वर का अपने लोगों के प्रति दायित्व को दर्शाने के लिये आग और मेघ के स्तम्भ का उल्लेख किया गया है। “तब यहोवा सिय्योन पर्वत के एक-एक घर के ऊपर, और उसके सभास्थानों के ऊपर, दिन को तो धुंए का बादल और रात की धधकती आग का प्रकाश सिरजेगा, और समस्त वैभव के ऊपर एक मण्डप छाया रहेगा। वह दिन को धूप से बचाने के लिये छाया और आंधी पानी और झडी में एक शरण और आड़ होगा।” (यशायाह 4:5,6)PPHin 281.1

    उन्होंने एक निर्जन, मरूस्थल जैसे फैले हुए क्षेत्र में यात्रा की। वे उत्सुक होने लगे थे कि वे जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह उन्हें कहा ले कर जाने वाला था; वे उसेदुर्गम रास्ते पर यात्रा करते हुए थक गए थे और कईयों के हृदयों में मिस्नरियों द्वारा पीछा किये जाने का भय उत्पन्न होने लगा था लेकिन बादल उनके आगे-आगे चलता रहा और वे उसके पीछे-पीछे चलते रहे। अब परमेश्वर ने मूसा को निर्देश दिया कि वे एक पहाड़ी संकीर्ण घाटी में समुद्र के किनारे डेरा डाले। उस पर प्रकट किया गया कि फिरौन उनका पीछा करेगा, लेकिन उनके छुटकारे में परमेश्वर की महिमा होगी।PPHin 281.2

    मिस्र में यह समाचार फैल गया कि मरूस्थल में रूककर आराधना करने के बजाय इज़राइली लाल समुद्र की ओर बढ़ रहे थे। फिरौन के सलाहकारों ने उसे बताया कि उनके दास भाग गए और वे कभी लौट कर नहीं आएंगे । परमेश्वर की सामर्थ्य को अपने पहलौठों की मृत्यु का उत्तरदायी ठहराने की मूर्खता पर वे पछतावा करने लगे। उनके महापुरूषों ने अपने डर से सम्भल कर, विपत्तियों को प्राकृतिक कारणों का परिणाम बताया। वे कहने लगे, “हम ने यह क्या किया कि इज़राइलियों को अपनी दासता से छुटकारा देकर जाने दिया?”PPHin 281.3

    फिरौन ने अपनी सेनाओं को इकट्‌ठा किया जिनमें छः: सौ अच्छे से अच्छे रथ, और मिस्र के सारे रथ,'घुड़सवार, सेनापति और सिपाही सम्मिलित थे। राजा ने स्वयं अपनेराज्यके महान पुरूषों के साथ, आक्रमणकारी सेना का नेतृत्व किया। देवी-देवताओं की कृपा-दृष्टि पाने के लिये और उनके कार्य की सफलता निश्चित करने के लिये, पुजारी भी उनके साथ गए। राजा अपनी शक्ति के भव्य प्रदर्शन के द्वारा इज़राइलियों को भयभीत करने के लिये कृतसंकल्प था। मिम्रियों को डर था कि इज़राइल के परमेश्वर के प्रति बलात समर्पण उन्हें अन्य राष्ट्रों द्वारा उपहास का पात्र बना देगा, लेकिन यदि वे शक्ति के महान प्रदर्शन के साथ आगे जाकर पलायकों को लौटा कर ले आएंगे तो वे अपने सम्मान को भी बचा लेंगे और बन्धकों की सेवाओं को भी पुनःप्राप्त कर लेंगे।PPHin 281.4

    इब्री अपना डेरा समुद्र के किनारे डाले हुए थे जिसकाजलउनके सामने अगम्य अवरोध प्रस्तुत कर रहा था और दक्षिण की ओर एक ऊबड़-खाबड़ पहाड़ ने भावी प्रगति को बाधित कर दिया। अचानक ही उन्होंने बहुत दूरी पर चमचमाते कवच ओर गतिमान रथों को देखा, जो एक सशक्त सेना के अग्रिम सुरक्षा का प्रतीक थे। जैसे-जैसे सैन्यदल निकट आया, मिस्र की सेनाएँठासके पीछे पीछे दिखाई पड़ी। इज़राइलियों के हृदय भयभीत हो गए। कुछ लोगों ने परमेश्वर को पुकारा लेकिन अधिकतर लोग अपने दुखड़े लेकर शीघ्रता से मूसा के पास पहुँचे, “क्या मिस्र में कब्रें न थी जो तू हम को वहाँ से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से क्‍या किया कि हम को मिस्र से निकाल लाया? क्‍या हम तुम से मिस्र में यही बात न कहते रहे कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल मेंमरने की अपेक्षा मिस्रियों की सेवा करना अच्छा था।”PPHin 282.1

    मूसा इस बात से अत्यन्त खेदित था कि उसके लोग परमेश्वर में इतना कम विश्वास रखते थे, बावजूद इसके कि उनके लिये परमेश्वर की सामर्थ्य का प्रदर्शन उन्होंने कई बार देखा था। वे उस पर अपनी परिस्थिति से सम्बन्धित कठिनाईयों और खतरों का आरोप कैसे लगा सकते थे, जबकि उसने परमेश्वर की निश्चित आज्ञा का पालन किया था। यह सच था कि परमेश्वर के हस्तक्षेप के अभाव में, उनके छुटकारे की कोई सम्भावना नहीं थी, लेकिन ईश्वरीय निर्देश का पालन करने के बाद इस स्थिति में लाए जाने के कारण मूसा को परिणामों का डर नहीं था। उसने शान्ति से लोगों को आश्वस्त किया, “डरो मत, खड़ेहोकर वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा, क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उनको फिर कभी न देखोगे। यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो।PPHin 282.2

    इज़राइलियों को परमेश्वर के सम्मुख प्रतीक्षा में रखे रखना आसान कार्य नही था। अनुशासन और आत्म-संयम के अभाव में, वे उग्र और अतक॑संगत हो गए थे। उन्हे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे शीघ्र ही उनके आततायियों के हाथों में पड़ जाएँगे और वे ऊँची आवाज में विलाप करने लगे। बादल के आश्चर्यजनक खम्भे को परमेश्वर द्वारा आगे बढ़ने का संकेत मानते हुए, वे उसके पीछे-पीछे चल रहे थे, लेकिन अब वे आपस में सन्देह प्रकट करने लगे; क्योंकि क्या वह उन्हें पहाड़ के उस तरफनहीं ले गया, जहाँ का मार्ग दुर्गग था? इस प्रकार उनके भ्रमित विवेक को परमेश्वर का स्वर्गदूत त्रासदी का सन्देशवाहक प्रतीत होने लगा।PPHin 283.1

    लेकिन अब, जब मिस्री सेना, उन्हें आसान शिकार समझकर, आगे बढ़ी, बादल का खम्भा शान से स्वर्ग की ओर उठा, इज़राइलियों के ऊपर से निकला और उनके और मिमस्रियों की सेना के बीच जा खड़ा हुआ। पीछे करने वालों और पीछे किये जाने वालों के बीच अन्धकार की एक दीवार खड़ी हो गईं । मिस्री अब इब्रियों के डेरे को देख पाने में अफसल थे, और पड़ाव के लिये विवश हो गए।PPHin 283.2

    लेकिन रात के गहराने पर बादल की दीवार इब्रियों के लिये प्रकाश बन गई और पूरे शिवर को दिन जैसे प्रकाश से भर दिया।PPHin 283.3

    इज़राइलियों के मन में आशा का संचार हुआ। मूसा ने परमेश्वर को पुकारा “और यहोवा ने मूसा से कहा, तू क्‍यों मेरी दुहाई दे रहा है? इज़राइलियों को आज्ञा दे कि यहां से कूच करे। और तू अपनी लाठी उठाकर अपनाहाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा, तब इज़राइली समुद्र के बीच होकर स्थल ही स्थल पर चले जाएंगे।’PPHin 283.4

    भजन संहिता का लेखक भजन में इज़राइल द्वारा समुद्र को पार करने का इस प्रकार वर्णन करता है, “तेरा मार्ग समुद्र में था, और तेरा रास्ता गहरे जल में था और तेरे पाँवो के चिन्ह मालूम नहीं हुए। तूने मूसा और हारून के द्वारा अपनी प्रजा की अगुवाई भेड़ों की सी की”-भजन संहिता 77:19,20। तब मूसा ने अपना लाठी वाला हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया और समुद्र दो भागों में बैँट गया और इज़राइली समुद्र के बीच सूखे स्थल पर से होकर निकले, और जल उनके दाएँ और बाएँ ओर दीवार के समान खड़ा रहा। परमेश्वर के आग के स्तम्भ का प्रकाश झागदार लहरों पर चमक रहा था, और समुद्र के जल के बीचहल-रेखा के समान काटे हुए मार्ग को प्रकाशमान करते हुए, दूरस्थ किनारे के धुंधलेपन में खो गया।PPHin 283.5

    “तब मिस्री, अर्थात फिरौन के सब घोड़े, रथ और सवार उनका पीछा किए हुए समुद्र के बीच में चले गए। और रात के अन्तिम पहर में यहोवा ने बादल और आग के खम्भे में से मिस्नियों की सेना पर दृष्टि करके उन्हें घबरा दिया।” वह रहस्यमयी बादल उनकी आश्चर्यवकित आंखो के सामने आग के स्तम्भ में परिवर्तित हो गया। मेघगर्जन के साथ बिजलियाँ चमकती रही। “मेघों से बड़ी वर्षा हुई, आकाश में मेघों का तीव्र गर्जन लोगों ने सुना। फिर उन बादलों से बिजली के तेरे तीर चारोंओर चले। कौंधती बिजली में तेरेगरजने का स्वरसुनाई दिया, जगत बिजली सेचमक उठा। धरती हिल उठी और थर-थर कॉँप उठी”। भजन संहिता 77:17,18 PPHin 284.1

    मिस्री निराश और भ्रम में जकड़े जा चुके थे। आकाश और पृथ्वी के प्रकोप में, जिसमें उन्होंने एक कोधित परमेश्वर के स्वर को सुना, उन्होंने अपने कदम पीछे हटाकर उसी समुद्र तट की ओर भागने का प्रयत्न किया, जिसे वह पीछे छोड़कर आए थे। लेकिन मूसा ने अपना लाठी वाला हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया औरदीवार के समान खड़ा हुआ जल अपने शिकार के लिये उत्सुक, दहाड़ते हुए, फफकारते हुए, ज्यों का त्यों हो गया और अपने स्याह अंधेरों में मिस्री सेना को निगल गया।PPHin 284.2

    भोर होते ही इज़राइलियों ने अपने सशक्त शत्रुओं के मृत पड़े कवचधारी शवों को समुद्र के तट पर फेंके हुए देखा। एक ही रात सबसे भयानक विपत्तति से सम्पूर्ण छुटकारा ले आई थी। युद्ध में अनभ्यस्त दास, स्त्रियाँ, बच्चे, गाय-बैल, समुद्र जिनके सामने था, और पीछा करती हुई मिस्र की सेनाएं जिन पर हावी हो रही थी, उस विशाल भीड़ ने समुद्र के बीच से रास्ता खुलते हुए और शत्रुओं द्वारा अपेक्षित विजय के क्षण में शत्रुओं को पराजित होते हुए देखा। उनके छुटकारे का श्रेय केवल यहोवा को गया और विश्वास और आभार अभिव्यक्ति में उनके हृदय उसकी ओर मुड़ गये। उनकी भावनाएं प्रशंसा के गीतों में अभिव्यक्त हुईं । परमेश्वर का आत्मा मूसा पर उतरा और उसने धन्यवाद के विजय गान में लोगों की अगुबाई की और यह गाना मनुष्य को ज्ञात गीतों से सबसे प्राचीन और सबसे श्रेष्ठ है।PPHin 284.3

    मैं यहोवा का गीत गाऊंगा, क्‍योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है, घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में पटक दिया है।
    यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है,
    और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है,
    मेरा परमेश्वर वही है, में उसी की स्तूति करूंगा
    मेरे पूर्वजों का परमेश्वर वही है,मैं उसको सराहूँगा
    यहोवा योद्धा है, उसका नाम यहोवा है।
    फिरोन के रथों और सेना को उसने समुद्र में फेंक दिया
    और उसके उत्तम से उत्तम रथी लाल समुद्र में डूब गए।
    गहरे जल ने उन्हें ढांप लिया,
    वे पत्थर के समान गहरे स्थानों में डूब गए।
    हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शक्ति में महाप्रतापी हुआ,
    हे यहोवा, तेरा दाहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है।
    हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है?
    तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी है?
    और अपनी स्तुति करने वालों के भय के योग्य,
    और आश्चर्यकर्म का कर्ता है।
    तूने अपना दाहिना हाथ बढ़ाया, और पृथ्वी ने उनको निगल लिया है
    अपने बल से तू उसे अपने पवित्र निवास स्थान को ले चला है।
    देश-देश के लोग सुनकर कॉप उठेंगे, पलिश्तियों के प्राणों के लाले पड़ जाएँगे।
    एदोम के अधिपति व्याकूल होंगे, मोआब के पहलवान थरथरा उठेंगे
    सब कनान निवासियों के मन पिघल जाएँगे। उनमें डर और घबराहट समा जाएँगी,
    तेरी बॉह के प्रताप से वे पत्थर के समान अबोल हो जाएँगे।
    जब तक, हे यहोवा, तेरी प्रजा के लोग निकल न जाएँ
    जब तक तेरी प्रजा के लोग जिनको तूने मोल लिया है पार न निकल जाए
    तू उन्हें पहुँचाकर अपने निज भागवाले पहाड़ पर बसाएगा।
    PPHin 284.4

    यह वही स्थान है, हे यहोवा, जिसे तूने अपने निवास के लिये बनाया, और वही पवित्रस्थान है, जिसे हे प्रभु तूने आप ही स्थिर किया है ।”-निर्गमन 15:1-17 ।PPHin 286.1

    समुद्र के स्वर के समान, यह श्रेष्ठ रचना इज़राइलियों की सेना ने गाई । तब मूसा ही बहन मरियम ने हाथ में डफ लिया और सब स्त्रियाँ डफ लिये नाचती हुई उसके पीछे हो लीं। वह आनन्दमयी टेकस्थल और समुद्र पर ध्वनित हुआ और पहाड़ो में उनकी प्रशंसा के शब्द गूँज उठे-'यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है।’PPHin 286.2

    इस गीत और उस महान छुटकारेने, जिसका यह स्मरण कराता है, ऐसी छाप छोड़ी जो इब्री लोगों की स्मृति से कभी भी विलोप नहीं होगी। युगानुयुग इसे इज़राइल के गायकों और भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा दोहराया गया, जिससे यह प्रमाणित होता है कि यहोवा उस पर विश्वास रखने वालों का बल और छुटकारा है। यह गीत केवल यहूदियों का ही नहीं है। यह धार्मिकता के सभी शत्रुओं के सर्वगाश और परमेश्वर के इज़राइल की निर्णायक विजय की ओर संकेत करता है। पात्मास के भविष्यद्वक्ता ने श्वेत-वस्त्रधारी भीड़ को देखा जो-जयवन्त हुए थे जो “आग के साथ मिले हुए काँच के समुद्र’ पर खड़े हुए थे और जिनके पास ‘परमेश्वर की वीणाएँ’ थी। और “वे परमेश्वर के दास मूसा का गीत, और मेम्ने का गीत” गाते है। प्रकाशित वाक्य 15:2,3 PPHin 286.3

    “हे यहोवा, हमारी नहीं, वरन्‌ अपने ही नाम की महिमा, अपनी करूणा और सच्चाई के निमित्त कर”-भजन संहिता 115:1 । इज़राइल के छुटकारे के गीत में यही भावना व्याप्त थी और परमेश्वर का भय मानने वालों में और उससे प्रीति रखने वालों के हृदयों में इसी भावना का वास होना चाहिये। पाप के बन्धन से हमारे जीवन को स्वतन्त्र कराने में, परमेश्वर ने लाल समुद्र पर इब्रियों को दिलाए छूटकारे से भी अधिक महान छुटकारा, हमें दिलवाया है। इब्री समुदाय के समान हमें भी “मनुष्य के पुत्रों के लिये उसके अदभुत कार्यों के लिये, हृदय और आत्मा और स्वर से प्रभु की प्रशंसा करनी चाहिये। जो परमेश्वर महान अनुग्रह पर चिंतन करते हैं, व उसके द्वारा दिए गए साधारण उपहारों के प्रति उदासीन होते है वे आनन्द का कमरबन्द धारण कर के अपने हृदय में परमेश्वर के लिये गीत गाते हैं। परमेश्वर के हाथों से प्राप्त प्रतेदिन की आशीषें, विशेषकर स्वर्ग और आनन्द को हमारी पहुँच में लाने के लिये यीशु की मृत्यु, सर्वदा के लिये आभार का विषय होना चाहिये। स्वयं को हमारे साथ जोड़ने में.उसके लिये अदभुत धन होने के लिये, परमेश्वर ने हम भटके हुए पापियों के प्रति कैसा प्रेम, कैसी संवेदना दिखायी है! हमारे उद्धारकर्ता ने कितना महान बलिदान दिया कि हम परमेश्वर की संतान कहला सके। उद्धार की योजना में निहित उस धन्य आशा के लिये हमें उसकी प्रशंसा करनी चाहिये, उसकी अनमोल प्रतिज्ञाओं और स्वर्गीय धरोहर के लिये उसकी प्रशंसा करनी चाहिये, उसको प्रशंसा हो कि यीशु हमारी मध्यस्थता करने के लिये जीवित है।PPHin 286.4

    भजन संहिता 50:23 में सृष्टिकर्ता कहता है,'धन्यवाद के बलिदान का चढ़ानेवाला मेरी महिमा करता है” । स्वर्ग के समस्त निवासी एकजुट होकर यहोवा की प्रशंसा करते हैं। हम भी स्वर्गदूतों का गीत सींखे, जिसे हम उनके जगमगाते समूह से जुड़ने पर गा सकें हम भजन संहिता के लेखक के साथ कहें, “मैं जीवनभर यहोवा की स्तुति करता रहूँगा, जब तक मैं बना रहूँगा। तब तक मैं अपने परमेश्वर का भजन गीता रहूँगा””-भजन संहिता 146:2। “देश-देश के लोग तेरी प्रशंसा करें, हे परमेश्वर, देश-देश क लोग तेरी प्रशंसा करें । - भजन संहिता 67:5PPHin 287.1

    परमेश्वर योजनाबद्ध तरीक से इब्रियों के समुद्र के सामने दुर्गम पहाड़ में लाया ताकि वह उनके छुटकारे में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सके और उनका उत्पीड़न करने वालों के घमण्ड को मिटा सके। वह उन्हें किसी और प्रकार से भी बचा सकता था, लेकिन उसने उनके विश्वास को परखने के लिये और उस पर उनके विश्वास को दृढ़ करने हेतु इस तरीके को चुना। लोग थके हुए और भयभीत थे, लेकिन यदि मूसा द्वारा आगे जाने की आज्ञा सुनकर भी व पीछे रह जाते, तो परमेश्वर ने कभी भी उनके लिये मार्ग नहीं खोला होता। “विश्वास ही से वे लाल समुद्र के पार ऐसे उतर गए, जैसे सूखी भूमि पर से”-इब्रानियों 11:29 । उसी समुद्र की ओर बढ़ने में उन्होंने प्रमाणित किया कि मूसा के द्वारा कहे गए परमेश्वर के वचन में वे विश्वास रखते थे। जो कुछ करने के वे योग्य थे, उन्होंने किया, और फिर इज़राइल के ‘सर्वशक्तिमान’ ने उनके पैरों के लिये पथ बनाने के लिये समुद्र को विभाजित कर दिया।PPHin 287.2

    यहाँ सिखाया गया महत्वपूर्ण पाठ सर्वदा के लिये है। मसीही जीवन प्राय: खतरों से घिरा होता है और कर्तव्य का पालन करना कठिन प्रतीत होता है। कल्पना आने वाले विनाश को अपने सामने चित्रांकित करती है और दासत्व और मृत्यु को पीछे। लेकिन परमेश्वर का स्वर स्पष्ट रूप से कहता है, “आगे बढ़ो “भले ही हमारे पैरों तले ठण्डी लहरे हों और हमारी आँखें अन्धकार को न भेद सके, फिर भी हमें इस आज्ञा का पालन करना चाहिये। जो बाधाएँ हमारी प्रगति के रास्ते में आती है, वे एक सन्देहात्मक भावना के आगे कभी दूर नहीं होंगी। जो पराजय और असफलता की आशंका के समाप्त होने तक और अनिश्चितृता की प्रत्येक छाया के विलोप होने तक आज्ञापालन को टालते रहते हैं, वे कभी भी आज्ञा का पालन नहीं करेंगे। अविश्वास फुसफसाता है, “हमें बाधाओं के दूर होने तक और जब तक कि हमें रास्ता स्पष्ट रूप से दिखाई न दे, रूके रहना चाहिये” लेकिन विश्वास साहस के साथ, सब बातों की आशा रखते हुए, सब बातों की प्रतीति करते हुए, आगे बढ़ने का आग्रह करता है।PPHin 288.1

    जो बादल मिम्नरियों के लिये अन्धकार की दीवार था, इब्रियों के लिये वह प्रकाश की बहुतायत थी, जो पूरे डेरे को प्रकाशभान कर रही थी और उनके मार्ग पर प्रकाश बिखेर रही थी। इसी प्रकार परमेश्वर के काम अविश्वासी के लिये अन्धकार और निराशा लाते हैं, लेकिन एक विश्वासी के लिये वे प्रकाश और शान्ति से भरपूर हैं। परमेश्वर द्वारा दिखाया गया मार्ग चाहे जंगल या समुद्र से होकर निकले, लेकिन वह एक सुरक्षित मार्ग है।PPHin 288.2

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