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कुलपिता और भविष्यवक्ता

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    अध्याय 63—दाऊद और गोलियत

    यह अध्याय 1 शमूएल 16:144-23,17 पर आधारित है

    जब शाऊल राजा को एहसास हुआ कि परमेश्वर ने उसे तुच्छ जाना था, और जब उसे भविष्यद्वक्ता के द्वारा उसे सम्बोधित किये हुए निंदा के शब्दों का प्रभाव अनुभव हुआ, तो वह निराशा और द्वेषपूर्ण विद्रोह से भर गया। वह सच्चा प्रायश्चित नहीं था, जिसके प्रभाव में घमण्डी राजा ने अपने सिर को झुकाया था।PPHin 672.1

    उसे अपने पाप के आपराधिक स्वभाव की थोड़ी भी स्पष्ट अनुभूति नहीं थी और वह अपने जीवन में सुधार लाने के कार्य के लिये उत्साहित नहीं हुआ, वरन्‌ अपनी इस धारणा पर सोचता रहा कि उसे इज़राइल के सिंहासन से वंचित करने और उसके वंश से उत्तराधिकारी छीन लेने में परमेश्वर का अन्याय था। अब वह अपने घराने पर लाए गए विनाश के बारे में सोचने में व्यस्त था। उसे लगा कि शत्रुओं का समाना करने में उसके द्वारा दिखाए गए साहस उसके अनाज्ञाकारिता के पाप को प्रभावहीन करने के लिये पर्याप्त था। उसने परमेश्वर की ताड़ना को दीनता से स्वीकर नहीं किया, वरन्‌ उसकी अंहकारी भावना इतनीउग्र हो गई कि वह विवेकहीन होने की सीमा पर पहुँच गया। उसके सलाहकारोंने उसे एक कुशल संगीतकार के सेवाएँ लेने का परामर्श दिया, इस आशा में की साज के शांतिदायक स्वर उसके व्याकुल मन को शांत करेंगे। परमेश्वर की कृपा से, दाऊद को, जो वीणा-वादन में एक कुशल कलाकार था, राजा के सम्मुख लाया गया। उसकी ऊँची और स्वर्ग द्वारा प्रेरित तानों का वांछित प्रभाव पड़ा। जो विचारमग्न उदासी शाऊल के मन पर काले बादल की तरह छा गई थी मानों जादू से दूर हो गई।PPHin 672.2

    शाऊल के दरबार में जब उसकी सेवाएँ समाप्त हो गई, दाऊद पहाड़ों में अपनी भेड़ो की बीच लौट आया और भावना और आचरण की अपनी सादगी को कायम रखता रहा। आवश्यकता पड़ने पर उसे राजा की सेवा-टहल के लिये वापस बुलाया जाता था, ताकि वह अशान्त राजशाह के मन को शान्त करे और दुष्टात्मा उससे दूर चली जाए। हालाँकि शाऊल दाऊद और उसके संगीत में आनन्द की अभिव्यक्ति करता था, लेकिन युवा चरवाहा प्रसन्‍नता और शान्ति की अनुभूति के साथ राजा के घर से अपने चरागाह के पहाड़ो और मैदानों में चला आता था।PPHin 672.3

    दाऊद परमेश्वर और मनुष्य की कृपा-दृष्टि में बड़ा हो रहा था। उसे प्रभु के मार्ग में निर्देशित किया गया था, और अब वह अधिक सम्पूर्णता से परमेश्वर की इच्छा को पूरी करता था। चिन्तन के लिये उसके पास नए विषय थे। राजा के दरबार में जाकर उसने राजस्व के उत्तरदायित्व को देखा था। उसने उन प्रलोभनों को भी देखा था जो शाऊल की आत्मा पर हावी थे और वह इज़राइल के प्रथम राजा के लेन-देन और चरित्र में कुछ रहस्यों को जान गया था। उसने राजस्व के गौरव को दुख के काले बादल की छाया में देखा था, और वह जानता था कि शाऊल का घराना, अपने निजी जीवन में, प्रसन्‍नता से बहुत दूर था। इन्ही सब बातों के कारण इज़राइल के अभिषिक्त राजा के मन में अशान्त विचार आये। लेकिन जब वह विचारमग्न होता था और चिंताजनक विचारों द्वारा सताया जाता, तो वह अपनी वीणा का सहारा लेता, और ऐसा तान छेड़ता जो उसके मन को प्रत्येक अच्छाई के रचयिता की ओर उठाता और जो काले बादल भविष्य के क्षितिज को घुँधला करते प्रतीत होते, उन्हें छितरा दिया जाता।PPHin 673.1

    परमेश्वर दऊद को विश्वसनीयता का पाठ पढ़ा रहा था। जैसे मूसा को उसके कार्य के लिये प्रशिक्षित किया गया था, उसी प्रकार प्रभु यिशै के पुत्र को अपने चुने हुए लोगों का मार्गदर्शक बनने के लिये सुयोग्य बना रहा था। अपनी भेड़ो की देख-रेख और चौकसी में, वह उस दायित्व का परिप्रेक्ष्य प्राप्त कर रहा था जो महान चरवाहे का अपने चरगाह की भेड़ो के लिये होता है। PPHin 673.2

    वह एकान्त पहाड़ियाँ और भंयकर घटियाँ जहाँ दाऊद अपनी भेड़ों के साथ घमूता था, माँसाहारी पशुओं की खोह थी। यरदन के किनारे की झाड़ियों से अक्सरभूख से पागल शेर, या पहाड़ो से अपनी खोह से भालू, निकल आते थे और भेड़ो पर आक्रमण करते थे। उस समय की परम्परा के अनुसार हथियार के नाम पर दाऊद के पास केवल गोफन और चरवाहे की लाठी होती थी, लेकिन फिर भी उसने उसके सुपुर्द भेड़ों की सुरक्षा में प्रारम्भ में हीसाहस और शक्ति का प्रमाण दे दिया। इन मुठभेड़ो का वर्णन करते हुए बाद में उसने कहा, “तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियाँ चराता था, और जब कोई सिंह या भालू झुण्ड में से मेमना उठा ले जाता, तब मैं उसका पीछा करके उसे मारता, और मेमने को उसके मुहँ से छुड़ा लेता, और जब वह मुझ पर हमला करता, तब मैं उसके केश को पकड़कर उसे मार डालता था ।”-शमूएल 17:347,35 । इन मामलों में दाऊद के अनुभव ने उसके हृदय को प्रमाणित किया और उसमें विश्वास, सहन-शक्ति और साहस को विकसित किया।PPHin 673.3

    शाऊल के दरबार में बुलाए जाने से पहले, दाऊद ने साहसिक कार्यों द्वारा विशिष्टता प्राप्त की थी। जो अधिकारी उसे राजा के ध्यान में लाया था उसने उसे “वीर योद्धा, बात करने में बुद्धिमान और रूपवान” घोषित किया और कहा कि “यहोवा उसके साथ रहता है।”PPHin 674.1

    जब इज़राइलियों ने पलिशितयों के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की, यिशै के तीन पुत्र शाऊल के नेतृत्व में सेना में भतती हुए, लेकिन दाऊद घर पर रहा। कुछ समय पश्चात्‌ वह शाऊल की छावनी देखने गया। पिता के निर्देशानुसार उसे अपने बड़े भाईयों के लिये उपहार और सन्देश ले जाना था और पता लगाना था कि वे सकुशल व सुरक्षित हैया नहीं । लेकिन यिशै इस बात से अनजान था कि युवा चरवाहे को एक उत्कृष्ट विशेष कार्य सौंपा गया था। इज़राइल की सेनाएँ संकट में थी और दाऊद को, स्वर्गदूत द्वारा, उसके लोगों को बचाने का निर्देश दिया गया था।PPHin 674.2

    सेना के समीप आने पर, दाऊद ने हो-हुल्लड़ की आवाज सुनी, मानो कोई संग्राम होने को था। और “सेना रणभूमि को जा रही थी और संग्राम के लिये ललकार रही थी।” इज़राइलियों और पलिश्तियों ने अपनी-अपनी सेना अपने सामने करके पांति बांधी। दाऊद रणभूमि को दोड़ा और वहाँ जाकर उसने अपने भाईयों का अभिवादन किया। वह उनसे बात कर ही रहा था, कि पलिशि्तियों का शूरवीर, गोलियत आगे आया, और उसने अपमानजनक भाषा मे इज़राइल को ललकारा और उन्हें उनके जत्थों में से एक ऐसे पुरूष को भेजने की चुनौती दी, जो उसमें द्वंद्धयुद्ध करे। उसने अपनी चुनौती को दोहराया, और जब दाऊद ने देखा कि इज़राइली भय से भरे थे, और जब उसे ज्ञात हुआ कि पलिश्ती द्वारा चुनौती कई दिनों से दी जा रही थी, और अब तक ढींगमार को चुप कराने के लिये कोई सूरमा खड़ा नहीं हुआ था, उसकी आत्मा में हलचल हुई। उसमें जीवित परमेश्वर के सम्मान और उसके लोगों की साख संरक्षित करने का उत्साह जागृत हुआ।PPHin 674.3

    इज़राइल की सेनाएँ उदास थी। उनका साहस चूर-चूर हो गया था। उन्होंने एक दूसरे से कहा, “क्या तुमने उस पुरूष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्चय वह इज़राइलियों को ललकारने को चढ़ा आता है।” शर्म और कोध में दाऊद बोला, “वह खतनारहित पलिश्ती क्‍या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे?”PPHin 674.4

    दाऊद के सबसे बड़े भाई एलिआब ने जब यह शब्द सुने, तो वह भली-भांति जानता था कि नौजवान के मन में कौन सी भावनाएँ कियाशील हो रही थी। चरवाहे के रूप में भी दाऊद साहसी और बलवन्त रहा था लेकिन इसका कोई साक्ष्य नहीं था; और शमूएल की उनके पिता के घर रहस्यमयी भेंट और उसके चुपचाप प्रस्थान ने उसके भाईयों के मन में उसके दौरे के वास्तविक प्रयोजन के प्रति सन्देह उत्पन्न कर दिया। जब उन्होंने दाऊद को स्वयं से अधिक सम्मान प्राप्त करते देखा, तो उनकी ईर्ष्या जागृत हो गई, और वे उसकी भाई-जैसी नम्रता, और अखण्डता को देय प्रेम और आदर के साथ मान्यता नहीं देते थे। वे उसको मात्र युवा चरवाहे के रूप में देखते थे और एलिआब ने उसके पूछे हुये प्रश्न को अपनी कायरता की निंदा माना, क्योंकि उसने पलिश्ती योद्धा को चुप कराने का कोई प्रयास नहीं किया था। बड़े भाई ने कोधित होकर कहा, “तू यहाँ क्‍यों आया है? जंगल में उन थोड़ी सी भेड़ो को तू किस के पास छोड़ आया है? तेरा अभिमान और तेरे मन की बुराई मूझे मालूम है, तू तो लड़ाई देखने के लिये यहाँ आया है।” दाऊद का उत्तर आदरयुक्‍त लेकिन कतसंकल्प था, “अब मैने क्‍या किया है? क्या कोई कारण नहीं? PPHin 675.1

    दाऊद के शब्द राजा को दोहराए गए और उसने नौजवान को अपने सम्मुख बुलाया। जब दाऊद ने कहा, “किसी का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा”, शाऊल अचरज से चरवाहे के कहे शब्दों को सुनता रहा। शाऊल ने दाऊद को उसके प्रयोजन से दूर करना चाहा, लेकिन नौजवान अडिग था। उसने अपने पिता की भेड़ो की चौकसी करते समय के अनुभवों का वर्णन करते हुए, सामान्य, विनम्र भाव से उत्तर दिया, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू, दोनो के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा यहोवा तेरे साथ रहे। PPHin 675.2

    चालीस दिनों से इज़राइल की सेना पलिश्ती योद्धा की अंहकारी चुनौती के सम्मुख काँप रही थी। जिसका कद छ: हाथ एक बित्ता (नौ इंच) था, उस विशाल आकृति को देख उनके हृदय बैठ जाते थे। उसके सिर पर पीतल का शिरस्त्राण (टोप) था, और वह एक अंगत्राण पहने हुए था, जिसका भार पांच हजार शेकेल पीतल का था, और उसकी टांगो पर पीतल की खातिकाएँ थी। अंगत्राण पीतल के पत्तरों से बना हुआ था जो एक के ऊपर एक इस प्रकार लगे हुए थे मानो मछली के सरहने हो और वह इतने पास पास जुड़े हुएथे कि उस कवच को कोई तीरयाबरछीनहीं बेघसकती थी। वह दीर्घकाय मनुष्य अपनी पीठ पर पीतल का भाला घारण किये हुए था ।”उसके भाले की छड़ जुलाहे के डोंगी के समान थी, और उस भाले का फल छ: सौर शेकेल लोहे का था, और बड़ी ढाल लिये हुए एक जन उसके आगे-आगे चलता था।PPHin 675.3

    प्रातःकाल और संध्या होने पर गोलियत इज़राइल की छावनी के निकट आता था, और ऊँची आवाज में कहता, “तुम ने वहाँ आकर लड़ाई के लिये व्यूह रचना क्‍यों की है? क्या मैं पलिश्ती नहीं हूँ. और तुम शाऊल के अधीन नहीं हो? अपने में से एक पुरूष चुनो, कि वह मेरे पास उतर आए। यदि वह मुझ से लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे अधीन हो जाएँगे, परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल होकर उसे मारूँ, तो तुम को हमारे अधीन होकर हमारी सेवा करनी पड़ेगी। फिर वह पलिश्ती बोला, मैं आज के दिन इज़राइली सेनाओं को ललकारता हूँ। किसी पुरूष को मेरे पास भेजो कि हम एक-दूसरे से लड़े।”PPHin 676.1

    हालाँकि शाऊल ने दाऊद को गोलियत की चुनौती स्वीकार करने की अनुमतिदे दी थी, राजा को उसक साहसिक विशेष कार्य में सफल होने की कम ही आशा थी। आज्ञा दी गई कि दाऊद को राजा का निजी कवच पहनाया जाए। पीतल की भारी शिरस्त्राण (टोप) उसके सिर पर रखा गया और उसकी देह पर बख्तर रखा गया; राजा की तलवार उसके वस्त्र पर कसी थी। इस प्रकार लैस होकर, वह अपने काम के लिये निकला, लेकिन कुछ ही समय बाद उसने अपने कदम पीछे किये। उत्सुक दर्शकों के मन में पहला विचार यह आया कि दाऊद ने ऐसी विषम मुठभेड़ में प्रतिद्वंद्वी का सामना करने में अपने प्राण को दाव पर नहीं लगाने का निश्चय कर लिया था। लेकिन साहसी युवक ने ऐसा दूर-दूर तक नहीं सोचा था। जब वह लौटकर शाऊल के पास आया तो उसने वह भारी युद्धवस्त्र परे रखने अर्थात उतारने की अनुमति माँगी और कहा, “इन्हें पहने हुए मुझ से चला नहीं जाता क्‍योंकि मैंने इन्हें परखा नहीं है।” उसने राजा का युद्धवस्त्र उतार दिया और उसके स्थान पर उसने अपनी लाठी हाथ में ली, और नाले में से पांच चिकने पत्थर छाँटकर अपनी चरवाहे की थेली अर्थात अपने झोले मे रखे, और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट गया। वह दीर्घकाय मनुष्य निर्भीकता से आगे बड़ा, इस अपेक्षा में कि उसका सामना इज़राइल के सबसे बलवन्त योद्धा से होगा। उसका कवचवाहक उसके आगे-आगे चल रहा था और वह ऐसा लग रहा था कि कोई भी उसका सामना नहीं कर सकता था। जब वो दाऊद के निकट आया, तो उसने उसे तुच्छ जाना, क्योंकि वह लड़का ही था। दाऊद के मुख पर लाली झलकती थी, और उसका गठा हुआ शरीर, कवच की सुरक्षा के बगैर, लाभ के लिये प्रदर्शित किया गया, लेकिन उसकी युवा रूपरेखा और पलिश्ती के विशाल अनुपात में बहुत अन्तर था।PPHin 676.2

    गोलियत अचरज और कोध से भर गया। उसने कहा, “क्या मैं कृत्ता हूँ कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है”? फिर उसने अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को भंयकर श्राप दिये। उसने उपहास करते हुए कहा, “मेरे पास आ, में तेरा मॉस आकाश के पक्षियों और बनेले पशुओं को दे दूँगा।PPHin 677.1

    दाऊद पलिश्तियों के सूरमा के आगे कमजोर नहीं पड़ा। आगे बढ़कर उसने अपने प्रतिद्वन्दी से कहा, “तू तो तलवार और भाला और ढाल लिये हुए मेरे पास आता है, परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ. जो इज़राइली सेना का परमेश्वर है, और उसको तूने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे पास में कर देगा और में तुझ को मारूँगा, और तेरे सिर तेरे धड़ से अलग करूँगा, और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना के शव आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव-जन्तुओं को दे दूँगा, तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इज़राइल में एक परमेश्वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।”PPHin 677.2

    उसका स्वर निर्भीक था, और उसकी सुदर्शन मुखाकति पर आनन्द और विजय की आभा थी। स्पष्ट, संगीतमय स्वर में दिया गया यह भाषण हवा में प्रवाहित हुआ और युद्ध के लिये तैयार सैकड़ो सुनने वालों ने सुना। गोलियत का कोध चरम सीमा पर पहुँच गया। कोध में उसने अपने माथे की सुरक्षा करने वाले शिरस्त्राण (टोप) को पीछे किया और अपने प्रतिद्वन्दी से बदला लेने के लिये आगे बड़ा। यिशै का पुत्र अपने शत्रु का सामना करने की तैयारी कर रहा था। “जब पलिश्ती उठकर दाऊद का सामना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना और पलिश्ती का सामना करने के लिये स्फर्ति से दौड़ा। फिर दाऊद ने अपन थेली में हाथ डालकर उसमें से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुहँ के बल गिर पड़ा । PPHin 677.3

    दोनो सेनाएँ भोंचक्‍की रह गईं। उन्हें विश्वास था कि दाऊद मारा जाएगा, लेकिन जब पत्थर हवा में से सनसनाता हुआ सीधा निशाने कीओरगया, उन्होंने बलवन्त योद्धा को कॉपते हुए, और हाथों को आगे बढ़ाते देखा, मानो वह अंधा हो गया हो। विशालकाय मनुष्य चकराया, लड़खड़ाया और रोग्रस्त बांज वृक्ष की तरह भूमि पर गिर गया। दाऊद क्षण भर के लिये भी नहीं रूका। वह पलिश्ती के औँधे मुहँ गिरे हुए शरीर पर कूदा और दोनो हाथों से गोलियत की भारी तलवार को थाम लिया। एकक्षण पहले गोलियत ने ढींग मारी थी कि वह उसी तलवार से दाऊद का सिर धड़ से अलग कर देगा और उसका माँस आकाश के पक्षियों को दे देगा। अब उसने तलवार को हवा में उठाया और उसके बाद ढींगमार का सिर धड़ से अलग होकर लुढ़क गया और इज़राइल की छावनी से उल्‍लासभरा शोर उठा।PPHin 677.4

    पलिश्ती भयभीत हो गए और हो-हुल्लड़ के कारण अप्रत्याशित रूप से भाग खड़े हुए। विजयी इब्रियों की ललकार पहाड़ो की चोटियों मे गूँज उठी और वे “एकोन के फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारेम के मार्ग में और गत और एकोन तक गिरते गए। तब इजराइली पलिशि्तियों का पीछा छोड़कर लौट आए, और उनके डेरों को लूट लिया। और दाऊद पलिश्ती का सिर यरूशलेम में ले गया और उसका कवच अपने डेरे में रख दिया। PPHin 678.1

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