Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents

कुलपिता और भविष्यवक्ता

 - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    अध्याय 71—दाऊद का पाप और प्रायश्चित

    यह अध्याय 2 शमूएल 11:12 पर आधारित है

    बाइबल में पुरूषों की प्रशंसा के बारे में बहुत कम कहा गया है। जो कभी जीवित रहे हैं, उन सर्वश्रेष्ठ मनुष्यों के गुणों का उल्लेख करने को भी कम स्थान दिया है। यह मौन उद्देश्य के बिना नहीं है, और ना ही यह बिना सबक के है। सभी अच्छे गुण जो मनुष्य में है वे परमेश्वर की देन है, उनके अच्छे कार्य परमेश्वर के अनुग्रह से मसीह के माध्यम से किये जाते है। क्योंकि जो भी वे करते हैं या जो भी वे है, वह परमेश्वर की बदौलत है, इसलिये उसका गौरव केवल परमेश्वर को जाना चाहिये। इससे भी अधिक-जैसा बाईबल के इतिहास के सभी पाठ सिखाते हे-मनुष्यों की प्रशंसा करना खतरनाक बात है, क्योंकि यदि कोई परमेश्वर पर अपनी निर्भरता की आवश्यकता को भूल जाता है, और अपनी शक्ति में विश्वास करने लगता है, तो वह निश्चय ही गिरेगा। मनुष्य उन शत्रुओं से लड़ रहा है जो उससे अधिक शक्तिशाली है। “क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध लहू और माँस से नहीं वरन्‌ राज्यों से, राजकीय सत्ताओं से, इस संसार के अन्धकार के शासकों से, उच्च स्थान की दुष्टताओं से है।” इफिसियों 6:12 । संघर्ष को अपनी शक्ति से या अपने बलबूते पर कायम रखनाहमारे लिये असम्भव है, और जो चीज मन को परमेश्वर से दूर करती है, जो भी चीज हमें आत्मनिर्भरता और आत्म-उन्‍नति की ओर ले जातीहै, वह हमारी पराजय के लिये मार्ग तैयार करती हैं। ईश्वरीय शक्ति में विश्वास के लिये प्रोत्साहित करना और मानुषिक शक्ति में अविश्वास की बात को मन में बैठाना ही बाईबल का सार है।PPHin 750.1

    वह आत्म-विश्वास और आत्म-उत्कर्ष की ही भावना थी जिसने दाऊद के लिये पतन का मार्ग तैयार किया। चापलूसी और भोग-विलास और आधिपत्य के जटिल प्रलोभनों ने निश्चय ही उसे प्रभावित किया। पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्धों ने भी दुष्प्रभाव डाला। पूर्वी शासकों में प्रचलित प्रथाओं के अनुसार, प्रजा के असहनीय अपराधों को राजा द्वारा दण्डमुक्त छोड़ दिया जाता था, प्रजा की तरह राजा भी उसी आत्म-संयम का अभ्यास करने के लिये बाध्य नहीं था। इस सब ने दाऊद का, पाप की अति पापमयता के आभास को कम कर दिया। और दीनतापूर्वक यहोवा के सामर्थ्य पर निर्भर करने के बजाय वह अपनी शक्ति और अपनी बुद्धिमत्ता पर विश्वास करने लगा। जितनी शीघ्रता से शैतान प्राणी को शक्ति के एकमात्र स्त्रोत अर्थात परमेश्वर से अलग कर देता है वह मनुष्य के शारीरिक स्वभाव की अपवित्र अभिलाषाओं को उत्तेजित करता है। शत्रु का काम अप्रत्याशित नहीं होता है, वह प्रारम्भ में अक्समात और आश्चर्यजनक नहीं होता, वह सिद्धान्तों के गढ़ो को गुप्त रूप से खोखला कर रहा होता है। यह कार्य छोटी-छोटी बातों से आरम्भ होता है- परमेश्वर के प्रति सच्चा रहने और उस पर पूर्णतया निर्भर करने की उपेक्षा और संसार के रीति-रिवाजों का अनुकरण करने का आचरण।PPHin 750.2

    अम्मोनियों के साथ युद्ध की समाप्ति से पूर्व, दाऊद ने योआब की सेना का संचालन छोड़कर, यरूशलेम को वापसी की। अरामियों ने पहले ही इज़राइल के सम्मुख समर्पण कर दिया था, और अम्मोनयिं की सम्पूर्ण पराजय निश्चित प्रतीत हो रही थी। दाऊद अपनी विजय के फल और अपने विवेकपूर्ण और सुयोग्य शासन के सम्मानों से घिरा हुआ था। इस घड़ी, जब वह असुरक्षित और विश्राम की स्थति में था, प्रलोभनकर्ता ने उसके मन को व्यस्त करने का अवसर प्राप्त किया । परमेश्वर ने दाऊद के साथ इतना घनिष्ठ सम्बन्ध रखा था और उस पर इतनी कृपा-दृष्टि दिखाई थी, कियह सच्चाई उसके चरित्र को बेदाग सरंक्षित रखने के लिये ठोस सबब होना चाहिये थे। लेकिन जब आत्म-सुरक्षा और सहजता मे उसने परमेश्वर पर अपनी पकड़ को ढीला छोड़ा, दाऊद ने शैतान को समर्पण कर दिया और अपनी आत्मा पर दोष का कलंक लगने दिया। उसने, जो राज्य का स्वर्ग द्वारा नियुक्त अगुवा था, जिसे परमेश्वर ने अपनी व्यवस्था को लागू करने को चुना था, स्वयं उसके सिद्धान्तों को पैरों तले रौंद डाला। जिसे पाप करने वाले के लिये भय का स्रोत होना चाहिये था, उसने अपने ही कृत्य द्वारा उनके हाथों को बलवन्त किया।PPHin 751.1

    अपने प्रारम्भिक जीवन के खतरों के बीच, दाऊद सचेतन अखण्डता के साथ अपनी स्थिति को परमेश्वर के भरोसे छोड़ सकता था। उसके पैरों से बिछाए गए असंख्य जालों से बचने के लिये परमेश्वर ने उसका मार्गदर्शन किया था। लेकिन अब दोषी और पश्चतापहीन होकर, उसने स्वर्ग से सहायता या मार्गदर्शन की अपेक्षा नहीं की, लेकिन पाप ने उसे जिन खतरों में धकेल दिया था, उनसे बाहर निकलने का वह स्वयं प्रयास कर रहा था। बतशेबा, जिसकी घातक सुन्दरता राजा के लिये एक जाल प्रमाणित हुईं, हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी थी। ऊरिय्याह दाऊद का सबसे साहसी और निष्ठावान अधिकारी था। कोई भी इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था कि अपराध के ज्ञात होने पर क्‍या परिणाम होगा। परमेश्वर की व्यवस्था व्यभिचारी को मृत्युदण्ड का भागी ठहराती थी, और वह स्वाभिमानी योद्धा, जिसके साथ इतना अनर्थ हुआ था, राजा के प्राण लेकर या राज्य को विद्रोह के लिये उत्तेजित करके अपना प्रतिशोध पूरा कर सकता था।PPHin 751.2

    अपने दोष को छिपाने के लिये दाऊद का प्रत्येक प्रयास व्यर्थ ठहरा। उसने स्वयं को शैतान के अधिकार में दे दिया था, वह खतरों से घिरा था, मृत्यु से अधिक कड़वा अपमान उसके सामने था। बच के निकलने का एक ही उपाय सूझ रहा था, और अपने उतावलेपन में उसने अति शीत्रता से व्यभिचार में हत्या के पाप को भी संलग्न कर दिया। वह जिसने शाऊल के विनाश को दिशा दी थी । वह दाऊद को भी विनाश की ओर ले जाना चाहता था। यद्यपि प्रलोभन भिन्‍न थे, लेकिन दोनों परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन कराने की दृष्टि से समान थे। दाऊद का तर्क था कि ऊरिय्याह यदि शत्रु के हाथों मारा जाए, तो उसकी मृत्यु का दोष राजा पर नहीं लगेगा और बतशेबा दाऊद की पत्नी बनने के लिये स्वतन्त्र होगी, सन्देह उस पर नहीं किया जाएगा और उसका राजसी सम्मान बना रहेगा। PPHin 752.1

    ऊरिय्याह को अपनी ही मृत्यु के आदेश का वहनकर्ता बनाया गया। उसी के हाथों योआब को एक पत्र भेजा गया जिसमें राजा की यह आज्ञा थी, ” ऊरिय्ययाह को सबसे घमासान युद्ध की अग्रिम श्रेणी में रखना, और उसे वहाँ छोड़कर लौट आना ताकि वह घायल होकर मर जाए ।” योआब, जिस पर एक अकारण हत्या का आरोप था, राजा के निर्देश का पालन करने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाया, और ऊरिय्याह अम्मोन के पुत्रों की तलवार से काट डाला गया।PPHin 752.2

    इसके पहले शासक के तौर पर, दाऊद का इतिहास ऐसा रहा है जिसकी बराबरी बहुत कम सम्राटों ने की है। 2 शमूएल 8:15 में लिखा है कि “दाऊद अपनी समस्त प्रजा के साथ न्याय और धर्म के काम करता था।” उसकी अखण्डता में प्रजा के विश्वास और स्वामिभक्ति को जीत लिया। लेकिन जब वह परमेश्वर से दूर हो गया और दुष्ट शैतान को समर्पित हो गया, वह उस समय के लिये शैतान का कर्मक बन गया; लेकिन फिर भी उसके पास परमेश्वर द्वारा दिया गया पद और अधिकार था और इस के कारण उसने लोगों की आज्ञाकारिता का दावा किया और इससे उसकी आज्ञा का पालन करने वालों की आत्मा संकट में पड़ गई। योआब ने जिसने परमेश्वर के बजाय राजा की आज्ञा का पालन किया, परमेश्वर की व्यवस्था का उल्लंघन किया क्‍योंकि उसे राजा ने आदेश दिया था। PPHin 752.3

    दाऊद को परमेश्वर ने अधिकार प्रदान किया था, लेकिन उसका अभ्यास ईश्वरीय व्यवस्था के अनुकूल होना था। जब उसने वह आज्ञा दी जो परमेश्वर की व्यवस्था के विपरीत थी, उसका पालन करना पाप बन गया। “जो अधिकार है, वे परमेश्वर के ठहराए हुए है”(रोमियों 13:1), लेकिन हमें उनका पालन परमेश्वर की व्यवस्था के विपरीत नहीं करना है। प्रेरित पौलूस, कुरिन्थियों को पत्र लिखते हुए उस सिद्धान्त को आगे रखता है जिससे हमें संचालित होना है। वह कहता है, “तुम मेरी सी चाल चलो, जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूँ ।” -1 कुरिन्थियों 11:1।PPHin 753.1

    दाऊद के आदेश के कार्यान्‍वन का विवरण उसे भेज दिया, लेकिन नपे-तुले शब्दों में जिससे कि ना ता योआब फँसे और ना ही राजा। योआब ने “दूत को आज्ञा दी, जब तू युद्ध का पूरा हाल राजा को बता चुके, तब यदि राजा को कोध भड़क उठे.....तो तू यों कहना, तेरा दास ऊरिय्याह हित्ती भी मर गया। तब दूत चल दिया और जाकर दाऊद से योआब की सब बातों का वर्णन किय।”PPHin 753.2

    राजा ने उत्तर दिया, “योआब से यों कहना, ‘इस बात के कारण उदास न हो, क्योंकि तलवार जैसे इसको वैसे उसको भी नष्ट करती है, तू नगर के विरूद्ध अधिक दृढ़ता से लड़कर उसे उलट दे, और तू उसे हियाव बाँध।PPHin 753.3

    बतशेबा ने अपने पति के लिये परम्परा के अनुसार विलाप किया और विलाप के दिन बीत जाने पर, “दाऊद ने उसे बुलाकर अपने घर में रख लिया, और वह उसकी पत्नी हो गई।” वह जिसकी संवदेनशील अन्तरात्मा और आत्म-सम्मान का आभास, उसके प्राण संकट होने के बावजूद भी, उसे परमेश्वर के अभिषिक्त के विरूद्ध हाथ उठाने की अनुमति नहीं देते थे, वह इतना गिर गया कि उसने अपने सबसे इमानदार व शूरवीर योद्धा के साथ अनर्थ किया और उसे मरवा दिया और फिर भी अपने पाप के प्रतिफल को बिना बाधा के आनन्द लेने की आशा की। हाय! वह दमकता हुआ सोना फीका कैसे पड़ गया। वह उत्तम सोना बदल कैसे गया!PPHin 753.4

    प्रारम्भ से ही शैतान ने मनुष्य को आज्ञा उल्लंघन से मिलने वाले लाभ को चित्रांकित किया था। इसी तरह उसने स्वर्गदूतों को भरमाया। इसी तरह उसने आदम और हवा को पाप के लिये ललचाया। और इसी तरह वह जनसाधारण को परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने से परे ले जा रहा है। आज्ञा उल्लंघन का मार्ग आकर्षक प्रतीत कराया जाता है, “परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।’--नीतिवचन 14:12। धन्य है वे, जो इस रास्ते चल कर यह जान लेते हैं कि पाप का फल कितना कड़वा है, और उससे शीघ्र ही मुहँ मोड़ लेते है। दयावान परमेश्वर ने दाऊद को पाप के कपटपूर्ण प्रतिफल द्वारा सम्पूर्ण विनाश की ओर आकर्षित होने के लिये नहीं छोड़ा।PPHin 754.1

    इज़राइल की खातिर, परमेश्वर का हस्तक्षेप अनिवार्य था। समय बीतने पर बतशेबा के प्रति दाऊद का पाप ज्ञात हो गया, और सन्देह उत्पन्न हुआ कि उसने ऊरिय्याह की हत्या का षड़यन्त्र रचा था। परमेश्वर का अपमान हुआ था। उसने दाऊद पर कृपा-दृष्टि की थी और उसे ऊँचा उठाया था, और दाऊद के पाप नें परमेश्वर के चरित्र का गलत प्रतिनिधित्व किया और उसके नाम की निनन्‍्दा की। इससे इज़राइल में पवित्रता के स्तर को गिरने में, कईयों के मन में पाप से घृणा को कम करने में बढ़ावा मिला, और जो परमेश्वर का भय नहीं मानते और उससे प्रीति नहीं रखते, वे आज्ञा उल्लंघन करने में और भी निर्भीक हो गए।PPHin 754.2

    भविष्यवक्ता नातान को दाऊद के लिये फटकार का सन्देश लेकर भेजा गया। सन्देश भयानक रूप से कठोर था। ऐसी फटकार कुछ ही शासकों को फटकार लगाने वाले के प्राणों को दाँव पर लगाकर, दी जा सकती थी। नातान ने बिना हिचकिचाहट के पवित्र दण्डादेश कह डाला, लेकिन स्वर्ग में प्रेरित बुद्धिमत्ता के साथ, ताकि वह राजा की सहानुभूति को पा सकें, उसकी अंतरात्मा के जागृत कर सके, और उसी के होठों से उसकी मृत्यु का दण्डादेश कहलवा सके । दाऊद को लोगो के अधिकारों का अभिभावक मानकर उसने विनती करते हुए, अत्याचार और अनर्थ की कहानी दोहराई जिसका समाधान आवश्यक था।PPHin 754.3

    नातान ने कहा, “एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिनमें से एक धनी और एक निर्धन था। धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकरियाँ और गाय बैल थे। परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न था, और उसको उसने मोल लेकर जिलाया था। वह उसके यहाँ उसके बालबच्चों के साथ ही बढ़ी हुई थी। वह उसके टुकड़ो में से खाती, और उसके कटोरे में सी पीती, और उसकी गोद मे सोती थी, और वह उसकी बेटी के समान थी। फिर धनी के पास एक यात्री आया, और उसने उस यात्री के लिये जो उसके पास आया था, भोजन बनवाने को अपनी भेड-बकरियों या गाय-बैलों मे से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची लेकर उस जन के लिये जो उसके पास आया था, भोजन बनवाया।PPHin 754.4

    तब दाऊद को कोध भड़क उठा, और उसने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया है वह प्राण दण्ड के योग्य है। और उसको उस भेड़ की बच्ची का चौगुन भर देना होगा, क्योंकि उसने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की। - 2 शमूएल 12:5,6 ।PPHin 755.1

    नातान ने अपनी आँखें दाऊद पर स्थिर की, और फिर अपना दाहिना हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर गम्भीरता से घोषणा की, “तू ही वह मनुष्य है” और वह बोलता गया, “तूने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जानकर क्‍यों वह काम किया, जो उसकी दृष्टि से बुरा है? अपराधी, जेसा कि दाऊद ने किया, मनुष्य से अपने अपराध को छिपाने का प्रयास करते हे, वे मनुष्य की दृष्टि या शान से उस पाप को हमेशा के लिये विलुप्त करने का प्रयास करते हैं, लेकिन “जिससे हमें काम है, उसकी आंखो के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रकट है””-इब्रानियों 4:13 ।मत्ती 10:26में लिखा है, “कुछ ढका नहीं जो खोला न जाएगा, और न कुछ छुपा है, जो जाना न जाएगा।”PPHin 755.2

    नातान ने घोषणा की, “इज़राइल का परमेश्वर यों कहता है, “मैंने तेरा अभिषेक करके तुझे इज़राइल का राजा ठहराया ओर मैंने तुझे शाऊल के हाथ से बचाया..........तूने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जानकर क्‍यों वह काम किया जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिय्याह को तूने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपनी कर लिया है, और ऊरिय्याह को अम्मोनियों की तलवार से मरवा डाला है। इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्‍योंकि तूने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है। सुन में तेरे घर में से विपत्ति उठाकर तुझ पर डालूँगा, और तेरी पत्नियों को तेरे सामने लेकर दूसरे को दूँगा.......तूने तो यह काम छुपकर किया, पर मैं यह काम सब इज़राइलियों के सामने दिन दोपहर कराऊंगा।”PPHin 755.3

    भविष्यवक्ता की फटकार ने दाऊद के हृदय को छुआ, उसका अंतरमन जागृत हुआ, उसका पाप अपनी सम्पूर्ण घोरता में प्रकट हुआ। उसकी आत्मा परमेश्वर के सम्मुख प्रायश्चित में झुक गई। काँपते हुए होठों से उसने कहा, “मैंने परमेश्वर के विरूद्ध पाप किया है।” दूसरो के प्रति किया गया अनर्थ चोट खाए हुए की ओर से लौटकर परमेश्वर के पास जाता है। दाऊद ने बतशेबा और ऊरिय्याह के प्रति घोर अपराध किया था, जिसकी चुभन वह महसूस कर रहा था। लेकिन परमेश्वर के विरूद्ध उसका पाप और भी बड़ा था।PPHin 756.1

    हालाँकि इज़राइल में परमेश्वर के अभिषिक्त पर मृत्यु की दण्डाज्ञा का कियान्वन करने वाला कोई भी नहीं मिलेगा, लेकिन फिर भी दाऊद यह सोचकर कॉप रहा था कि कहीं उसके दोषी और अक्षम्य होने के कारण परमेश्वर की तत्पर दण्डाज्ञा द्वारा वह काट डाला न जाए। लेकिन उसे भविष्यवक्ता के द्वारा सन्देश भेजा गया, “यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है, तू न मरेगा। फिर भी न्याय को कायम रखा जाना था। मृत्युदण्ड दाऊद से उसके पाप से उत्पन्न संतान पर डाल दिया गया। इस प्रकार राजा को प्रायश्वित का अवसर प्रदान किया गया, जबकि दण्ड के तौर पर, उसके नवजात शिशु की मृत्यु का दुख, उसकी अपनी मृत्यु पर होने वाले दुख से कही अधिक दुखदायी था। भविष्यवक्ता ने कहा, “तूने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।PPHin 756.2

    जब उसका बच्चा रोग ग्रस्त हो गया, दाऊद ने उपवास करके और दीन होकर उसके प्राणों की भीख मांगी। उसने अपने राजसी वस्त्र उतार दिये, अपना मुकट एक तरफ रख दिया और रात-रात भर भूमि पर लेटा रहा, अत्यन्त दुखी होकर अपने दोष के लिये कष्ट भुगत रहे निदषि सन्तान के पक्ष में मध्यस्थता करता रहा। “तब उसके घराने के पुरनिये उठकर उसे भूमि पर से उठाने के लिये उसके पास आए, परन्तु उसने उठना न चाहा।” अक्सर जब व्यक्तियों या नगरों पर दण्डाज्ञा की घोषणा की जाती थी, प्रायश्चित और समर्पण द्वारा उसे मोड़ दिया जाता था, और वह सदा-दयावान क्षमा करने में तत्पर, शान्तिदूतों को भेज देता था। इस विचार से प्रोत्साहित होकर, दाऊद तब तक विनती करता रहा, जब तक बच्चे को जीवित रखा गया। यह जानकर कि वह मर चुका था, उसने चुपचाप परमेश्वर के आदेश के आगे समर्पण कर दिया। जिस दण्डाज्ञा को उसने न्यायसंगत ठहराया था उसका प्रथम वार हो चुका था, लेकिन परमेश्वर की करूणा में विश्वास रखते हुए, दाऊद, बिना सांत्वना के न था।PPHin 756.3

    दाऊद के पतन के इतिहास को पढ़ने वाले कईं पाठक पूछते है, “इस जीवन के इतिहास को सार्वजनिक क्‍यों बनाया गया? परमेश्वर ने स्वर्ग द्वारा इतने अधिक सम्मानित के जीवन में इस अन्धकारयम अंश को संसार के सामने खोलना क्‍यों उचित समझा? भविष्यद्बक्ता ने दाऊद को दी गई फटकार में उसके पाप से सम्बन्धित यह घोषणा की, “तूने इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है।” उत्त्तोत्तर पीढ़ियों के प्रारम्भ से अन्त तक नास्तिकों ने दाऊद के चरित्र की ओर संकेत किया है जिस पर यह गहरा कलंक है और उपहास करते हुए कहा है “यह है वो पुरूष जो परमेश्वर के मन के अनुसार है।” इस प्रकार धर्म को निन्दनीय ठहराया गया, परमेश्वर और उसके वचन का तिरस्कार हुआ है, आत्माएँ अविश्वास से कठोर हो गई है, और कई धाकिता की आड़ में, पाप में निर्भीक हो गए है।”PPHin 757.1

    लेकिन दाऊद की इतिहास पाप का समर्थन नही करता। उसे “परमेश्वर के मन के अनुसार” तब कहा गया जब वह परमेश्वर की सम्मति में चल रहा था। जब उसने पाप किया, यह बात उसके लिये सत्य न रही, जब तक कि वह प्रायश्चित के द्वारा परमेश्वर के पास न लौट गया। परमेश्वर का वचन स्पष्ट रूप से घोषणा करता है, “जो काम दाऊद ने किया था, वह परमेश्वर की दृष्टि में बुरा था ।-2 शमूएल 11:27। और परमेश्वर ने दाऊद को भविष्यवक्ता के द्वारा कहा, “तूने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जानकर क्‍यों वह काम किया जो उसकी दृष्टि में बुरा है?.....इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तूने मुझे तुच्छ जानां” यद्यापि दाऊद ने अपने पाप का प्रायश्चित किया और उसे क्षमादान मिला और परमेश्वर द्वारा स्वीकार किया गया, उसने अपने ही द्वारा बोए हुए बीज की अनिष्टकर फसल को काटा। उस पर और उसके घराने को दी गई दण्डाज्ञा, परमेश्वर की पाप के प्रति घृणा की पुष्टि करती है।PPHin 757.2

    इससे पहले परमेश्वर की सुरक्षा ने दाऊद को उसके शत्रुओं के षड़यन्त्रों के प्रति संरक्षित रखा था और शाऊल पर नियन्त्रण रखने के लिये इसका प्रत्यक्ष रूप से अभ्यास किया था। लेकिन दाऊद की अवज्ञा ने परमेश्वर के साथ उसके सम्बन्ध को बदल दिया। परमेश्वर किसी भी परिस्थिति में अधर्म को सहमति नहीं दे सकता था। वह दाऊद को उसके पापों के परिणामों से बचाने के लिये अपने शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता था, जैसे कि उसने उसे शाऊल की शत्रुता से बचाया था।PPHin 757.3

    स्वयं दाऊद में बहुत परिवर्तन हुआ। अपने पाप और उसके व्यापक परिणामों के बोध से उसका मन ट्ट सा गया था। वह अपनी प्रजा की दृष्टि में गिर गया था। उसका प्रभाव कम हो गया था। अब तक उसकी समृद्धि का श्रेय परमेश्वर की आज्ञाओं के प्रति उसकी न्यायपरायण आज्ञाकारिता को दिया जाता था। लेकिन अब क्योंकि उसकी प्रजा को उसके पाप की जानकारी थी, वे खुलकर पाप करने लगे। उसके अपने ही घराने में उसका अधिकार, अपने पुत्रों से आज्ञाकारिता और आदर का दावा शक्तिहीन हो गया। जब उसे पाप की निंदा करनी होती थी, तो उसके अपने अपराध का बोध उसे चुप रहने के लिये विवश कर देता, अपने ही घर में न्याय को कार्यान्वित करने के लिये वह असमर्थ हो गया। उसके बुरे उदाहरण का प्रभाव उसके पुत्रों पर पड़ा, और परमेश्वर ने परिणाम को बाधित करने के लिये हस्तक्षेप नहीं किया। उसने परिस्थितियों को प्राकतिक रूप से घटित होने दिया, ओर इस प्रकार दाऊद को ताड़ा गया।PPHin 758.1

    पतन के पश्चात, एक वर्ष तक दाऊद अवास्तविक रूप से सुरक्षित रहा, परमेश्वर की अप्रसन्‍नता का कोई बाहरी प्रमाण नहीं था। लेकिन पवित्र दण्डाज्ञा उसके सर पर लटक रही थी। शीघ्र और निश्चय ही न्याय और प्रतिशोध का दिन निकट आ रहा था जिसे कोई भी प्रायश्चित टाल नहीं सकता था और उस यातना और अपमान उसके सम्पूर्ण सांसारिक जीवन को अन्धकारमय बना दिया। दाऊद के उदाहरण की ओर संकेत करके जो अपने निज पापों के दोष को कम करने का प्रयास करते है, उन्हें बाईबल के उल्‍लेखों से सीखना चाहिये कि आज्ञा उल्लंघन का मार्ग दुष्कर है। हालाँकि दाऊद की तरह उन्हीं बुराई के रास्ते से मुहँ फिरा लेना चाहिये, पाप के परिणाम, इस जीवन में भी सहन करने के लिये कठिन और कट होंगे। PPHin 758.2

    परमेश्वर चाहता था कि दाऊद के पतन का इतिहास उन्हें इस बात की चेतावनी दे कि जिन्हें उसने इतना आशीषित किया है और जिन पर उसकी कृपा-दृष्टि रही है, उन्हें भी सुरक्षित मान प्रार्थना और सजग रहने की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये और इसी प्रकार इसने उन्हें जो दीनता में, परमेश्वर द्वारा सिखाये जाने के लिये तैयार किये गए सबक को सीखना चाहते थे, समझाया है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हज़ारों ने प्रलोभनकर्ता से स्वयं के ऊपर संकट को समझने में सहायता की है। परमेश्वर द्वारा इतने सम्मानित दाऊद के पतन ने उनमें आत्म-विश्वास को जागृत किया। उन्हें आभास हुआ कि केवल परमेश्वर उन्हे उनके विश्वास के द्वारा अपनी सामर्थ्य से बचाए रख सकता था। वह जानकर कि उनकी शक्ति और सामर्थ्य उसी में निहित थी, तो शैतान के क्षेत्र में पहला कदम रखने से भी डरे है।PPHin 758.3

    दाऊद के विरूद्ध दण्डादेश की घोषणा से पहले ही, वह आज्ञा उल्लंघन के फल को भुगतना आरम्भ कर चुका था। उसकी अन्तरात्मा शान्त नहीं थी। वह आत्मिक वेदना जो उसने उस समय सहन की, वह बत्तीसवें भजन में दिखाई गई है। वह कहता हे- PPHin 759.1

    “क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध
    क्षमा किया गया, और जिसका पापढांपा गया हो।
    क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का
    यहोवा लेखा न ले और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
    जब मैं चुप रहा
    तब दिन भर कराहते-कहराते मेरी हडिडयाँ पिघल गई।
    क्योंकि रात-दिन में तेरे हाथ के नीचे दबा रहा,
    और मेरी तरावट धूप काल की झुरहिटसी बनती गई।”
    PPHin 759.2

    -भजन संहिता 32:1-4।

    और इक्यावनवाँ भजन दाऊद के प्रायश्चित की अभिव्यक्ति है, इस समय उसके पास परमेश्वर की ओर से फटकार का सन्देश आया- PPHin 759.3

    “हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर,
    अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे।”
    “मुझे भली-भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर,
    और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर,
    में अपने पापों को स्वीकार करता हूँ
    और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है.......
    जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा,
    मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा।
    मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना
    जिससे जो हडिडयाँ तूने तोड़ डाली है,
    वे मग्न हो जाए।
    अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले,
    और मेरे सारे अधर्म की कामों को मिटा डाल। हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर,
    और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर
    मुझे अपने सामने से न हटा,
    और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर ।
    अपने किये हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे,
    और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल
    तब में अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊँगा,
    और पापी तेरे ओर फिरेंगे ।
    हे परमेश्वर, हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर
    मुझे हत्या के अपराध से छड़ा ले,
    तब में तेरे धर्म की जयजयकार करने पाऊँगा।
    PPHin 759.4

    -भजन संहिता 51:1-14।

    इस प्रकार अपनी प्रजा की सार्वजनिक सभाओं में गाए जाने वाले गीत में, दरबार अर्थात याजको, न्यायियों, प्रधानों और योद्धाओं की उपस्थिति में, और जो आखिरी पीढ़ी तक उसके पतन के ज्ञान को संरक्षित रखता, राजा ने अपने पाप, अपने प्रायश्चित और परमेश्वर की करूणा के द्वारा क्षमा में उसकी आशा का वर्णन किया । अपने दोष को छुपाने का प्रयास करने के बजाय, उसकी इच्छा थी कि उसके पतन के इतिहास द्वारा दूसरो को निर्देशित किया जाए।PPHin 760.1

    दाऊद का प्रायश्चित गहरा व वास्तविक था। उसके अपराध को छुपाने या घटाने का कोई प्रयास नहीं था। उसकी प्रार्थना दण्डाज्ञा की धमकी से बचने की इच्छा से प्रेरित नहीं थी। बल्कि उसने परमेश्वर के प्रति अपने पाप की घोरता को देखा, उसने अपने आत्मा के अपवित्र होने को देखा, और उसने अपने पाप से घृणा की। उसने केवल क्षमा-दान के लिये भी प्रार्थना नहीं की, वरन्‌ हृदय की पवित्रता के लिये भी विनती की। हताश होकर, दाऊद ने संघर्ष के आगे समर्पण नहीं किया। पश्चतापी पापियों के प्रति परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में उसे अपनी क्षमा और स्वीकृति के प्रमाण को देखा।PPHin 760.2

    “क्योंकि तू मेजबलि से प्रसन्‍न नहीं होता,
    नही तो मैं देता, होमबलि से भी तू प्रसन्‍न नहीं होता
    टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है,
    हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।
    PPHin 760.3

    -भजन संहित 51:16,17 ।

    हालाँकि दाऊद का पतन हुआ था, परमेश्वर ने उसे उठाया। वह अब पतन से पहले की तुलना में परमेश्व के साथ और अपने सहवासियों के साथ और अधिक संपूर्ण रूप से सामजंस्य में था। अपने छुटकारे की प्रसन्नता में उसने गाया- PPHin 760.4

    “जब मैं अपना पाप तुझ पर प्रकट किया
    और अपना अधर्म न छुपाया और कहा,
    “मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूंगा।”
    तब तूने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
    तू मेरे छिपने का स्थान है, तू संकट में रक्षा करेगा,
    तू मुझे चारो ओर से छूटकारे के गीतों से घेर लेगा।”
    PPHin 761.1

    -भजन संहिता 32:5-7।

    कई लोग इसलिये कड़काड़ाते हैं, क्योंकि परमेश्वर द्वारा शाऊल को, उस अपराध के लिये जो उनकी दृष्टि में कम निन्दनीय था, अस्वीकार किये जाने के बाद, दाऊद के प्राण-दान को वे परमेश्वर का अन्याय कहते है। लेकिन दाऊद ने स्वयं को दीन किया और अपने पापों का अंगीकार किया, जबकि शाऊल ने निंदा का तिरस्कार किया और अपने हृदय को कठोर कर लिया और प्रायश्चित नहीं किया।PPHin 761.2

    दाऊद के इतिहास का यह अंश पश्चतापी पापी के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। यह मानवता के संघर्षा और प्रलोभनों का, और प्रभु यीशु मसीह में हमारे विश्वास और परमेश्वर के प्रति वास्तविक प्रायश्चित का सबसे प्रभावशाली उदाहरण है। सभी युगों के आरम्म से अन्त तक यह उन प्राणियों के लिये प्रोत्सहान का स्रोत, प्रमाणित हुआ है, जो पाप में गिरकर अपने अपराध के बोझ से दबे संघर्ष कर रहे थे। परमेश्वर की हजारों संतानें, जो पाप में पड़ गई, लेकिन जब निराश हो जाने के समय उन्होंने दाऊद के सच्चे प्रायश्चित और पाप-अंगीकार का स्मरण किया, तो वे परमेश्वर द्वारा स्वीकार कर लिये गए, इसके बावजूद कि उनकी अवज्ञा के कारण उसने कष्ट उठाया, क्‍योंकि उन्होंने प्रायश्चित करने और परमेश्वर की आज्ञाओं के अनुसार चलने का प्रयास करने का साहस किया।PPHin 761.3

    जो कोई भी परमेश्वर की फटकार सुनकर अपने पाप का अंगीकार और प्रायश्चित करके आत्मा को दीन करता है, जैसे कि दाऊद ने किया, उसके लिये निश्चय ही आशा है। जो विश्वास में परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को स्वीकार करता है, वह क्षमा प्राप्त करेगा। परमेश्वर कभी भी एकमात्र सच्चे पश्चतापी प्राणी को नहीं धिक्कारेगा। उसने प्रतिज्ञा की है, “यदि कोई व्यक्तिमेरी शरण मेंआए और मुझसे मेल करना चाहे तो वह चला आए और मुझसे मेल करले।”- याशायाह 27:5 । दुष्ट अपना चालचलन छोड़ दें, अधर्मी व्यक्ति अपने विचार; और वे यहोवा की ओर फिरें, वह उन पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उनको क्षमा करेगा।”- यशायाह 55:7।PPHin 761.4

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents