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किसी मनुष्य के कर्जदार न हो ककेप 213

कई कुटुम्ब तो इस कारण धनहीन है कि वे धन पाते ही उड़ा देते हैं. ककेप 213.1

कमाने के पूर्व किसी राशि को किसी अभिप्राय से पृथक करना एक जाल है.बाइबल के अनुसार मसीही कहलाने वाले में सच्ची ईमानदारी की आशा करने का संसार को अधिकार है.यदि एक सदस्य दान का अपना भाग देने में अविश्वासी निकले तो भये है कि समस्त समाज अविश्वासी गिना जावे. धार्मिकता का दावा करने वालों को चाहिये कि वे जिस सत्य को मानते हैं उसका आदर करें और अपने निकम्मे व्यवहारसे उसे कलंकित न होने दे. प्रेरित कहता है’’अनेकों-अनेक ने अपनी आय के भीतर अपने व्यय करने का पाठ नहीं सीखा है. वे अपने को परिस्थिति के अनुकूल बचाना नहीं सीखते.’‘ ककेप 213.2

हर एक को अपनी व्यवस्था ऐसी करनी चाहिए कि ऋणी होने का अवसर ही न आवें.यदि कोई ऋण में फंस जावे तो वह समझ ले कि वह शैतान के एक फंदे में फंसा हैं जो उसने उस व्यक्ति के आत्मा के लिए लगाया है. मन में ठान लीजिए कि दूसरी बार ऋण न लूंगा चाहे हजार वस्तुओं का इंकार करना पड़े पर ऋणी कदापि नहीं होना चाहिए.चेचक की तरह इससे बचना चाहिए. ककेप 213.3