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आवश्यक बातों की उपेक्षा करना मितव्ययता नहीं ककेप 213

शरीर की उपेक्षा करने व उसका ऐसा दुरुपयोग करना जिससे परमेश्वर की सेवा योग्य न रहना परमेश्वर का अनादर करना है. प्रत्येक गृहस्थ का यह प्रथम कर्तव्य है कि शरीर के लिए पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था करे, भोजन वस्तु में कमी करने की उपेक्षा सजावट सामग्री एवं वस्त्र में कमी करना भला है. ककेप 213.4

अनेकों गृहस्थ अपने कुटुम्ब को परिमित खाद्य वस्तु देते हैं कि अतिथि सत्कार के लिए खर्चीली वस्तुएँ एकत्रित कर सके.यह अनुचित है.पहुनाई में तो मनुष्य का व्यवहार साधारण होना चाहिए,कौटुम्बिक आवश्यकता को प्रथम स्थान दिया जावे. ककेप 213.5

नकली रीति रस्म और बुद्धिहीन मितव्ययता द्वारा मनुष्य उन आशीषों से वंचित रह जाता है जो साधारणत:पहुनाई करने के द्वारा प्राप्त हो सकती है.हमारे दैनिक भोजन में ऐसी गुन्जाइश हो कि कभी कोई अतिथि हमारे घर आ जावे तो गृहणी पर बिना अधिक भार डाले उसकी भोजन व्यवस्था हो जावे. ककेप 213.6

आर्थिक सुव्यवस्था का अर्थ कन्जुसी नहीं पर अपनी आय के अनुसार बुद्धिमानी पूर्ण ऐसा व्यय करना हैं कि कारोबार ठीक-ठीक चल जावे क्योंकि एक भारी काम किया जाना है. ककेप 213.7

परमेश्वर की यह इच्छा नहीं है कि मनुष्य उन वस्तुओं से वंचित रहे जो उसके स्वास्थ्य और आराम के लिए आवश्यक हैं परन्तु वह इन बातों की स्वीकृति नहीं चाहता कि मनुष्य दिखाऊ,अतिव्ययो एवं विलासी हो. ककेप 213.8