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परमेश्वर नास्तिकों की कृतियों को अस्वीकार करता है ककेप 269

क्या परमेश्वर का यह उद्देश्य है कि असत्य सिद्धान्त,झूठे,तर्क-वितर्क तथा शैतान के मिथ्यावादनुवाद बालकों तथा युवकों के मस्तिष्क के सामने रखे जायें? क्या मूर्तिपूजकों तथा नास्तिकों के मत हमारे विद्यार्थियों के सामने रखे जायं मानी कि वे उनके ज्ञान कोष में बहुमूल्य योग हैं? सबसे बुद्धिमान नास्तिक की कृतियां ऐसी बुद्धि की रचता है जो शत्रु की सेना के लिये घृणित कार्य में संलग्न हैं;तो सोचिये जो अपने को धर्म सुधारक कहते हैं जो बालकों और युवकों को इस सच्चे मार्ग में जो परमेश्वर के छुड़ाये हुओं के लिये तैयार किया गया है ले जाने की चेष्टा करते हैं परमेश्वर उनको बालकों के अध्ययन के लिये ऐसी पुस्तकें प्रस्तुत करने देगा जिनमें स्वयं उसके चरित्र का मिथ्या वर्णन हुआ है और उसको झूठे प्रकाश में पेश करे? परमेश्वर ऐसा न करे. ककेप 269.2