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नशीली मदिरा ककेप 299

बाइबल में कहीं भी नशीली शराब की आज्ञा नहीं है. जो दाखमधु मसीह ने काना के विवाह के भोज के समय जल से बनाया था वह अंगूर का रस (दाखरस ) था.धर्म पुस्तक कहता है,“किसी गुच्छे में जब गया दाखमधु भर आता है तब लोग कहते हैं, उसे नाश मत कर,क्योंकि उसमें आशीष है.’’(यशायाह 65:8) ककेप 299.4

“दाखमधु ठट्टा करने वाला और मदिरा हल्ला मचाने वाली है;जो कोई उसके कारण चूक करता है वह बुद्धिमान नहीं.’‘ ककेप 299.5

“कौन कहता है,हाय हाय कौन कहता है,हाय हाय? कौन झगड़े रगड़े में फंसता है? कौन बकबक करता है? किसके अकारण घाव होते है? किस की आँखे लाल हो जाती है? उनकी जो दाखमधु देर तक पीते है, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु ढूंढने को जाते है.जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुदंर रंग होता है,और जब वह धार के साथ उंडेला जाता है, तब उसको न देखना क्योंकि अंत में वह सर्प की नाईं डसता है, और करेंत के समान काटता है.” ककेप 299.6

मानव के हाथ से नशीली पेय के उत्पीडित के अध:पतन तथा दासत्व का ऐसा स्पष्ट चित्र कभी नहीं खींचा गया.दासत्व में तथा तुच्छ अवस्था में पड़े हुये, यहां तक कि जब उसे अपने संकट का ज्ञान भी हो जाय तो उसमें उस फंदे से लूटने की कोई शक्ति नहीं है और कहता है, मैं तो फिर मदिरा ढूढुंगा.’ ककेप 299.7

वाइन,बिअर तथा सीडर वास्तव में इतनी ही नशीली हैं जितना तेज मदिरा.इन पेयों का उपयोग तेज मदिरा के लिये उत्तेजित करता है यों मद्यपान की आदत स्थापन हो जाती है. संयमता के साथ मद्यपान करना एक ऐसा स्कूल है जिसमें मनुष्य शराबी के जीवन के लिए शिक्षित किये जाते हैं.फिर भी इन हल्के उत्तेजकों का कार्य ऐसा धोखे का है कि उत्पीड़ित अपने खतरे का पता करने से पहिले मद्यपान के राजमार्ग में दाखिल हो चुकता है. शराबी के ऊपर नशीली मदिरा के बुरे प्रभाव को दिखलाने के लिए कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है. इन्सानियत के बर्बाद शुदा पुर्जे अंधे और पागल हर कहीं पाए जाते हैं. जिन आत्माओं के लिए मसीह ने प्राण दिए जिन पर दुत विलाप करते हैं.ये हमारी गर्वीली सभ्यता पर एक कलंक हैं.ये हर देश में शर्मधिकार तथा जोखिम का कारण है. ककेप 299.8