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आंधी के लिये तैयार रहो ककेप 341

अंतिम दिनों की घटनाओं के प्रति परमेश्वर ने सब कुछ प्रकाशित कर दिया है ताकि उसके लोग विरोध तथा क्रोध की आंधी के समय अटल रह सकें.आने वाली घटनाओं के प्रति जिन लोगों को चितावनी दी जा चुकी है उन्हें उस भावी तूफान के समय शांति के साथ नहीं बैठना और तसल्ली लेना चाहिये कि परमेश्वर अपने सच्चे बन्दों की घड़ी में रक्षा करेगा.हमें उन लोगों की तरह होना चाहिये जो अपने स्वामी की बाट जोह रहे हैं, बेफिकरी से नहीं परन्तु उत्साह के साथ और अडिग विश्वास के साथ.अब समय नहीं है कि हम अपने मन को कम महत्वपूर्ण विषयों में लीन कर्र.जब लोग सो रहे हैं शैतान सक्रिय होकर मामलात की ऐसा व्यवस्था कर रहा है कि परमेश्वर के लोगों पर कोई दया व न्याय की दृष्टिन रखे.इस समय रविवार आंदोलन अंधियारे में आगे बढ़ रहा है.नेतागण यथार्थ परिणाम को छिपा रहे हैं और बहुत से जो उस आंदोलन में मिल जाते हैं स्वयं नहीं देख पाते कि धार किस ओर बह रही है.उसके सिद्धान्त प्रत्यक्ष में निर्दोष और मसीही प्रतीत होते हैं पर जब भी वह बोलेगा वह अजगर की भावना को प्रकाशित करेगा. ककेप 341.2

भजन संहिता लेखक कहता है,‘निश्चय मनुष्य की जलजलाहट तेरी स्तुति का कारण हो जायगी और जलजलाहट रह जाए उसको तू रोकेगा.’’( भजन संहिता 76:10)परमेश्वर का इरादा है कि परीक्षा करने वाली सच्चाई सामने लाकर उसे परीक्षण का विषय बनाए और उस पर तर्क वितर्क किया जाए यद्यपि यह सब घृणा की दृष्टि से किया जायगा.लोगों के मन उत्तेजित होने चाहिये,हर प्रकार का वादविवाद, हर प्रकार की निंदा,हर प्रकार का कलंक ये परमेश्वर के जांच करने और सोते हुये दिमागों को जगाने के साधन हैं. ककेप 341.3

एक कलीसिया के नाते हम ने इस काम को पूर्ण नहीं किया है जिसे परमेश्वर ने हमारे हाथ में सौंपा है.हम उस परिणाम के लिये तैयार नहीं हैं जिस तक रविवार विषयक नियम का प्रचलन हमें पहुंचावेगा.हमारा कर्तव्य है जब हम आने वाले खतरों को देखें तो कार्यरत होने को जागें,किसी को भी दुष्ट घड़ी की प्रतीक्षा शांति के साथ बैठ कर अपने मन में यह संतोष कि परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा करेगा नहीं करनी चाहिए.काम तो आगे बढ़ता ही जाएगा क्योंकि नबूवत ने पहले से बता दिया है यदि हम विवेकानुसार स्वतंत्रता की रक्षा करने में कुछ न करें और हाथ पर हाथ रखे बैठे रहें तो हम परमेश्वर की इच्छा पूरी नहीं कर रहे हैं.उत्साहपूर्ण प्रभावशाली प्रार्थना स्वर्ग को पहुंचनी चाहिये कि यह (बला)संकट टल जाय जब तक हम उस कार्य को समाप्त न कर लें जिसके करने में इतनी अवहेलना हुई है.इस सम्बंध में जोशीली प्रार्थना करनी चाहिये,फिर प्रार्थना के साथ साथ काम भी करें.शायद ऐसा दिखाई दे कि शैतान की विजय हो रही है और सत्य असत्य और झूठ द्वारा पराजित हो रहा है.परन्तु परमेश्वर चाहता है कि हम याद करें कि पिछले जमाने में उसने अपने लोगों के साथ शत्रुओं से बचने में कैसा बर्ताव किया था, परमेश्वर ने अपनी सामर्थ्य को प्रगट करने के लिए चरम सीमा को चुना है जब कि शैतान की करतूतों से छुटकारे की कोई सम्भावना नजर नहीं आती कि मनुष्य की लाचारी परमेश्वर का शुभ अवसर. ककेप 342.1

मेरे भाइयों, क्या आप महसूस करते हैं कि आप का त्राण एवं अन्य आत्माओं का भाग्य आने वाले संकट के लिये अभी तैयारी करने पर अवलम्बित है.क्या आप में वह उच्च श्रेणी का उत्साह,वह भक्ति व श्रद्धा है जो आप को विरोध के समय स्थिर रहने के योग्य बनाएगा? यदि परमेश्वर से कभी कुछ कहा है तो यह कि वह समय आएगा जब आप सभाओं के समक्ष लाये जायेंगे और सत्य के हर पहलू की बुरी तरह से आलोचना की जायगौ.वह समय जिसे बहुत से लोग इस वक्त बरबाद कर रहे हैं आने वाली सूक्ष्म घड़ी परमेश्वर को क्रोध की तैयारी में खर्च करना चाहिये ककेप 342.2

हम अन्त काल के निकट हैं.मुझे दिखलाया गया कि परमेश्वर का कोप अब भी देश के ऊपर है.परमेश्वर ने हमें होने वाली घटनाओं के विषय में पहले से चितावनी दी है.उसके वचन से प्रकाश चमक रहा है;तोभी पृथ्वी पर तो अंधियारा और राज्य भर के लोगों पर तो घोर अंधकार छाया हुआ है.’’जब लोग कहेंगे कुशल है और कुछ भय नहीं तब...उन पर विनाश अचानक आ पड़ेगा और वे किसी रीति से नहीं बचेंगे.” ककेप 342.3

परमेश्वर पृथ्वी पर से अपने प्रतिबंध उठा ले रहा है परिणामस्वरुप शीघ्र ही मृत्यु और विनाश दृष्टि में आएंगे,अपराध की बुद्धि और निर्दयता,बुराई के कार्य उन धनवानों के विरुद्ध होंगे जिन्होंने अपने को कंगालों के ऊपर उच्चासीन किया है.जो परमेश्वर की रक्षा के बिना हैं वे किसी स्थान व स्थिति में कुशल से न होंगे ,मानव प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा और जो अपने अविष्कारक शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं कि सबसे शक्तिशाली यंत्र कलाओं को घायल करने तथा हत्या करने के लिये कार्यान्वित करें. ककेप 342.4

परमेश्वर का कोप इस समय पर है.युद्ध तथा युद्ध की चर्चा,अग्नि तथा बाढ़ द्वारा विनाश, स्पष्टता से पुकार रहे हैं कि संकट का समय का तक बढ़ता जायगा ही निकट है. ककेप 343.1

शीघ्र ही दु:खदाई संकट राष्ट्रों के बीच उपस्थित होंगे ऐसे संकट को मसीह के आगमन तक बंद न होंगे.हमें आप से मिलकर रहना चाहिये और उसकी सेवा करनी चाहिये जिसने अपना सिहांसन स्वर्ग में तैयार किया है और जिसका राज्य सभों पर प्रभुता करता है.परमेश्वर ने अपने लोगों को छोड़ नहीं दिया है और हमारी शक्ति भी इसी में है कि हम उस को न छोड़े. ककेप 343.2