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मसीह के से चरित्र का निर्माण ककेप 136

मसीह के धर्म को ग्रहण करने वाले चाल चलने की अवन्नति नहीं होती. वह स्वाद को शुद्ध, विवेक को पवित्र और विचारों को स्वच्छ और सुमन्नत करता है और उन्हें मसीह की अधीनता में लाता है. अपनी सन्तान के लिए परमेश्वर का आदर्श मानव के उच्चत्तम से भी ऊंचा है. उसने अपनी पवित्र व्यवस्था में अपने चरित्र की एक प्रतिलिपि दी है. ककेप 136.4

मसीही चरित्र का आदर्श मसीह सदृश्यता है. हमारे सामने निरन्तर उन्नति का द्वार खुला है. हमें एक उद्देश्य प्राप्त करना है, एक स्तर तक पहुँचना है जिनमें प्रत्येक भली तथा शुद्ध,शिष्ट, उन्नत वस्तु सम्मिलित है. चरित्र की सिद्धि प्राप्त करने के निमित्त, आगे की ओर तथा ऊपर की ओर लगातार परिश्रम व निरन्तर प्रगति का होना परमावश्यक है.  ककेप 136.5

जो कुछ हमारी आदतें हमें बना डालती हैं वही हम अब और अनन्तकाल तक रहेंगे. जो उचित आदतों की रचना करते हैं और प्रत्येक कर्तव्य का विश्वस्तता से पालन करते हैं व चमकदार ज्योति की भांति होंगे जो दूसरों के मार्ग पर तेज किरणें डालती है,परन्तु यदि अविश्वास की आदतें डाली जायं यदि सस्ती,असावधानी तथा उपेक्षा की आदतों को दृढ़ होने दिया जाय तो इस जीवन की आशाओं के ऊपर एक काला मेघ जो आधी रात से भी अंधेरा है छा जायगा और किसी भी व्यक्ति को भविष्य के जीवन से सदा वचित कर देगा. ककेप 137.1

धन्य है वह जो अनन्त जीवन की बातों की ओर ध्यान देता है. सत्य के आत्मा द्वार अगुवाई की जाकर वह सब सच्चाई में अगुवाई की जाएगी. उसको संसार न तो प्यार करेगा न उसका आदर होगा, न उसकी प्रशंसा की जायगी परन्तु स्वर्ग को दृष्टि में वह बहुमूल्य ठहरेगा.’’देखो पिता ने हमसे कैसा प्रेम किया है कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं,और हम हैं भी इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना.’’(1 यूहन्ना 3:1) ककेप 137.2