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अक्षमय पाप ककेप 139

पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप करना किसे कहते हैं? पवित्र आत्मा के काम को जान बूझकर शैतान का काम बतलाना ही पाप है.उदाहरणार्थ मान लीजिए कि कोई परमेश्वर की आत्मा के कार्य को साक्षी हैं. उनके पास विश्वास दिलाने वाला प्रमाण है कि वह कार्य धर्मशास्त्र के अनुकूल हो और पवित्र आत्मा उसकी आत्मा जो परमेश्वर की ओर से है उसके संग साक्षी देता है. तत्पश्चात वह प्रलोभन अभिमान स्वावलम्बन अथवा किसी बुरी आदत के अधिकार में पड़ जाता है और उसके पवित्र आत्मा के ईश्वरीय गुणों को ठुकराकर वह घोषित करता है कि जिस कार्य को मैं ने पहिले स्वीकार किया था कि वह पवित्र आत्मा का कार्य था वह तो शैतान का कार्य है. परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा मानव हृदय पर कार्य करता है;और जब मनुष्य जानबूझ कर पवित्र आत्मा को अस्वीकार करते हैं और उसे शैतान का कार्य घोषित करते हैं तो वे उस मार्ग को बंद कर देते हैं जिसके द्वारा परमेश्वर उन से वार्तालाप करता है. उस प्रमाण का जो परमेश्वर उन्हें देने को प्रसन्न है इन्कार करने से वे उस प्रकाश को बुझा देते हैं जो उनके हृदयों में चमक रही थी और फलस्वरुप वे इस प्रकार अंधकार में पड़ जाते हैं. मसीह के शब्दों की पुष्टि इस प्रकार होती है इस कारण वह उजियाला जो तुझमें है यदि अन्धकार हो तो वह अंधकार कैसा बड़ा होगा!’’(मत्ती 6:23).जो लोग इस पाप को करते हैं कुछ समय तक वे परमेश्वर की संतान जैसी दिखाई देती हैं परन्तु जब परिस्थितियाँ उनके चरित्र के विकास के लिए उपस्थित होती हैं और उनकी आत्मा की वास्तविक स्थिति बतलाती है कि वे किस प्रकार के हैं उस समय प्रत्यक्ष हो जायगा कि वे शुत्र की भूमि में उसके काले झंडे के नीचे खड़े पाये जाएंगे. ककेप 139.2