पाँच रोटी और दो मछली से पाँच हजार लोगों को खिलाये जाने वाला आष्चर्य कर्म तब हुआ, जब वह रोटी व मछली के टुकडे प्रभुयीशु के द्वारा से उन लोगों ने प्राप्त किये। ठीक इसी प्रकार हमारे प्रकाशनों से भी होना चाहिये । परमेश्वर कासत्य जैसे जैसे बांटेगें बैसे—बैसे वह बहुत बढता ही जायेगा। और जैसे शिष्यों ने बाद में बचे हुयी टुकड़ों को इकटठा किया कि वह नाश न हो । हमें हर प्रकार का साहित्य जिसमें आज की सच्चाई बताई गयी है। उसे खजाने को लोगों में बांटना है। ये कोई नहीं बता सकता कि पुस्तके या पत्रिका का कोई एक पन्ना या एक फटा हुआ टुकडा जिसमें सत्य और तीसरे स्वर्गदूत का संदेश छपा हो किसी ऐसे व्यक्ति को मिले जो सच्चाई की खोज में हो और उसका हष्दय परिवर्तन हो जाये । (द सदर्न वॉचमैन 5 जनवरी 1904) ChsHin 214.1