प्रेरित पौलुस कहता है कि ” वे सब जो प्रभु यीशु का जीवन जीयेगें , अत्याचार से पीडित होगें ‘‘ फिर क्यूँ अब तक वह अत्याचार गहरी नींद सोया हुआ प्रतीत होता है। इसका केवल एक ही कारण हो सकता है, कि कलीसिया भी जगत के समान बदल गयी है, इसलिए कोई विरोध नहीं दिखाई देता। आज दिनों में माना जाने वाला धर्म वह शुद्ध एवं पवित्र चरित्र नहीं जो मसीह यीशु और उसके चेलों के दिनों में मसीही विश्वास को दर्शाता था। ये केवल इसलिये है क्योकि आत्मा ने पाप के साथ समझौता कर लिया है। क्योकि परमेश्वर के वचन का महान सत्य कितना अलग प्रकार से समझाया जा रहा है। कलीसिया में कितनी कम सच्ची धार्मिकता बची है जिससे मसीहीयत संपूर्ण जगत में प्रसिद्ध हो गई है । प्रांरभिक कलीसिया की तरह आज भी विश्वास और शक्ति को बढाना होगा तब ही अत्याचार की आत्मा पुर्नजीवित होगी और यातनाओं की आग भडक उठेगी। (द ग्रेट कान्ट्रोवर्सी , 48 ) ChsHin 221.3