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सफलता के लिये अत्यंत आवश्यक ChsHin 234

किसी भी काम को शुरू करने के पूर्व, चाहे वह लोगों तक वर्तमान सच्चाई को पहुंचाने का काम हो और उस सच्चाई से जुड़ा अद्भुत आशिषों, जो इस काम को आगे बढ़ाने में सहयोगी हैं। बताने का काम हो, पहले हमें अपने आप को पूरी रीति से प्रभु को समर्पित करने की जरूरत है जिसे हम महिमा देना चाहते हैं, जिसका नाम ऊंचा उठाना चाहते है। सबसे पहले हम एक चित हो कर प्रभु से प्रार्थना करे, उन लोगों के लिये, जिन्हें हम मिलना चाहते है। एक जीवित उदाहरण के बतौर उन सब को भी एक-एक कर प्रभु के सामने लाये । परमेश्वर सर्वज्ञानी परमेश्वर हैं। वह मनुष्यों के विचार और उनके उद्देश्य जानता है। वह हमें बड़ी आसानी से पिला सकता है। और उसका आत्मा जो आग के समान है वह कठोर हृदय को नम्र बना देता है। कैसे वह आत्मा को अपने प्रेम और उदारता से भर देता है। और कैसे वह हमें अपनी पवित्र आत्मा के अनुग्रह से पूर्ण करता है और हमें यहाँ वहाँ जाकर आत्माओं के लिये परिश्रम करने योग्य बनाता है। (मनुस्कीप्ट 2, कॉम्सीकेटटेड, कॉम्सीकेटेड एफटर्स टू रीच अन बिलिवर्स, 5 जून 1914) ChsHin 234.1

परमेश्वर का काम काफी दूर तक लोगों का प्रोत्साहन प्राप्त करेगा। जितना की आज प्राप्त कर रहा है। यदि हम उन मनुष्यों के पास बुद्धिमानी से पहुंचते उन्हें प्रभु के काम से परिचित करवाते, समझाते और को आगे बढ़ाने के लिये उन्हें एक मौका प्रदान करते यह कह कर के ऐसा न करना हमारा सौभाग्य है। यदि परमेश्वर के सेवक होने के नाते हम एक बुद्धिमानी और सही काम हाथ में लेते हैं। तो परमेश्वर भरा हाथ हमारे हर प्रयास को आशिषित करेगा। (द सर्दन वॉ च मे न-15 मार्च 1914) ChsHin 234.2

प्रभु के काम को करने वाला हर व्यक्ति इस काम को बुद्धिमानी से, सोच विचार कर पूर्व योजना बना कर करे तो इसके बेहतर परिणाम पा सकते है कमियों और पिछड़ेपन के कारण हम उतने सफल नहीं हो पाते, जिनते हमें होना तैयार होता हैं जो भी काम कात जो हम कर सकते हैं उसे करें। (द सर्दन वॉचमेन-15 मार्च 1904) ChsHin 235.1