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सेवा भाव-एक मसीही कर्तव्य ChsHin 261

हमारा काम इस जगत में ये है कि हम दूसरों और आशिश पाने के लिये, सेवा भाव रखने वाले ही कभी हो सकता है कि वह असुविधा जब हो कि उनकी सेवा करें, जिन्हें वास्तव में हमारी देखभाल की जरूरत है। और इस तरह हम अपने परिवार व समाज के लिये लाभदायक साबित होगें। कुछ लरेग इस जवाबदारी के बोझ को लेना नहीं चाहते। किन्तु किसी न किसी को तो ये बोझ उठाना होगा। क्योंकि बहुत से भाई सामान्यतः किसी की सेवा करना पंसद नहीं करते, न ही मसीही कर्तवयों को निभानाचाहते है। केवल कुछ हीलोग करते है। जो अपनी इच्छा से ऐसे मामले में उनकी मदद करते है जो जरूरतमंद है, और इन कुछ लोगों पर ही अधिक भार है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 2:645) ChsHin 261.2

“अनजाने लोगो का देखभाल करना मत भूलों क्योंकि ऐसा करके कुछ लोगों मने अंजाने में स्वर्गदूतों की सेवा की है।” इन शब्दों ने अपना महत्व अब तक नहीं खोया है। हमारा स्वर्गीय पिता अभी भी उन तरीको से उसके बेटे व बेटियों को अवसर प्रदान करता है कि वे अच्छे काम करके अंजाने में भी आशिषों को पा सकते है। और जो ऐसे अवसरों को बढ़ाते हैं। वे खुशियाँ भी प्राप्त करते है। (प्रोफेट्स एण्ड किंग्स 132) ChsHin 261.3