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स्वर्गदूत का हिसाब ChsHin 279

यदि कोई विवाहित व्यक्ति इस कार्य को करता है, अपनी पत्निी व बच्चों को घर पर छोड़कर जाता है कि पत्निी बच्चों की देखभाल करें। तब पत्नि और माता भी उतना ही महान व महत्वपूर्ण कार्य कर रही है, जितना की पति और पिता। यद्यपि एक अपने बाहरी कार्य क्षेत्र में और दूसरा अपने घर में एक सहायक का काम करता है जिसकी चिंतायें फिक और काम का बोझ कभी-कभी उस पति और पिता के काम के बोझ से अधिक हो जाता है। एक पत्नि का काम उतना ही गम्भरा और महत्वपूर्ण है। बच्चे का मानसिक विकास और चरित्र निर्माण करना, उन्हें प्रषिक्षित करना कि वे किसी के भी काम आ सकें। और भविश्य के लिये भी उपयुक्त बनाना ताकि अनंत जीवन के पाने के योग्य हों। पति प्रचार के खुले क्षेत्र में षायद लोगों का सम्मान प्राप्त करें जबकि घर में मेहनत करने वाली पत्नि को षायद पृथ्वी पर अपने परिश्रम का कोई श्रेय प्राप्त न होगा। किन्तु यदि वह अपने परिवार में रूचि लेकर पूरे परिवार के चरित्र को स्वर्गीय नमने के अनुसार बनाती है, तो लेखा मनुश्य के देखने सा नहीं है। परमेष्वर सब कामों को देखता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 5:594) ChsHin 279.3