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युक्ति ChsHin 308

जो पूर्ण रुप से परमेश्वर को समर्पित है, वे अपने विचार प्रार्थन और परिश्रम तथा समर्पित युक्ति का उपयोग अपने काम में करना होगा। (द साइन्ज ऑफ द टाइम्स-29 मई 1893) ChsHin 308.2

यदि मनुष्य के पास काम करने सही तरीका है, वह परिश्रमी व जोशिला है तो वह संसारिक कामों में सफलता पा सकता है। किन्तु यही खूबियाँ लिये हुये वह परमेश्वर का काम पूरे समर्पण के साथ करता है तो दुगुनी योग्यता पा सकता हैं। क्योकिय इस काम को करने में उसके साथ पवित्र स्वर्गीय शक्ति साथ देगी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-5:276) ChsHin 308.3

आत्माओं के जीतने के काम में बडी युक्ति, सोच समझ और बुद्धि की जरुरत है। उद्धारकर्ता परमेश्वर कभी भी सच्चाई को जबरदस्ती नही थोपता किन्तु हमेशा उसे बड़े प्रेम से बताता हैं अन्य लोगों से बातचीत में उसने बड़ी सावधानी से पेश आया और हमेंशा दयालु और चिंता करने वाला था। उसने कभी भी कठोर व्यवहार नही किया न ही अनावश्यक शब्दों या कठोर शब्दों का उपयोग किया और पहले से दुखी लोगो को कभी भी अनावश्यक रुप से और दुःखी नही किया। उसने कभी भी मनुष्यों की गलती या कमजोरियों को उजागर नही किया। उसने कपटियों अविश्वासियों और दुराबार का विरोध किया किन्तु जब भी उसने उन्हें समझाया, उसकी आवाज में दुःखी स्वर सुनाई देता था। उसने सच्चाई को कभी कष्ट दायक नही बनाय किन्तु मानवता के प्रति हमेंशा उसने गहरा प्रेम दिखया। हर एक आत्मा उसके लिये किमती थी।उसने स्वयं स्वर्गीय प्रतिष्ठा को बनाये रखा। फिर भी परमेश्वर के परिवार के हर एक सदस्य की सहायता और अपने उदारता व प्रेम के खातिर वह नम्र बना। उसने सब में देखा कि कौन उसके काम में आत्माओं को बचाने में उसके साथ है। (गॉस्पल वर्क्स-117) ChsHin 308.4

कुछ उतावले जोश से भरे, इमानदार है, जिन्हें पहले से वचन की समझाईश तो दी गई थी, वे भी उन लोगो को जो हमारे साथ नही है । किन्तु बडे अलग तरीके से सच्चाई बताते, जो उन्हें उत्साहित कर सके। इस पीढी के बच्चे उन, बच्चों से जिनके पास वचन की रौशनी है, ज्यादा बुद्धिमानी है। उधोगपति और राजनीतिज्ञ भी उदारता व नम्रता का पाठ जितना आधिक आकर्षिक बना सके बनाते है। वे उपने बोलेने के तरीके, ChsHin 309.1

ओर आदतों को इतना प्रभावित करने वाला बना लेते है कि उनके आस-पास के लोगों पर बढिया प्रभाव डाल सके । वे अपने ज्ञान और अपनी योग्यता का इस्तेमाल इतनी कुशलता से करते है कि इसका लाभ प्राप्त करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-4:68) ChsHin 309.2

से संदेश आवश्य दिया जाना हैं। जब यह लोगों तक पहुंचाया जाता है, हमें इस बात का ध्यान रखना है कि यह संदेश लोगों की भीड़ पर थोपा न जाये । और फिर उन लोगोंपर दोष लगायें कि उनके पास वचन की सच्चाई नही जो हमारे पास है। हमें केथलिक विश्वासियों के पास जोर जबरदस्ती कर वचनी मानने का दबाव नही डालना चाहिये। कैथलिकों में से ही कुद तो काफी महत्वकांक्षी मसीही है। जो वचन की भरपूर रौशनी में चलते जो उन पर चमकती है,और परमेश्वर उनके लिये काम करेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-9:243) ChsHin 309.3