हर मसीही का यह कर्तव्य है कि वह क्रमबद्ध, परिपूर्णता कुषलता की आदत डाले। किसी भी प्रकार के कार्य में धीरे-धीरे गड़बड़ करना, गलियां करना, स्वीकार नहीं किया जायेगा। जब एक व्यक्ति काम तो करता रहता है किन्तु फिर भी काम नहीं होता, इसका अर्थ है कि व्यक्ति का मन और हष्दय काम में नही लगे है। जो काम करने में धीमा या काम करने से कोई भी नहीं है, उसे यह महसूस करना चाहिये कि ये गलतियां वह सुधारे । उसे अपने दिमांक गा इस्तेमाल ऐसी योजनाबद्ध तरीके से कुछ लोग जो काम पांच घण्टे में कर लेते है वहीं काम एक आलसी व्यक्ति दस घंटे में करता है कुछ लोग जो घरेलू कामों में ही लगे है। वे भी यह काम करने में लगे हुये है। ChsHin 316.3