एक अच्छा बीज शायद काफी समय तक कए ठण्डे, स्वार्थी सांसारिक हृदय मे बिना किसी परिवर्तन व वृद्धि के अनजान पड़ा रहा जिसने जड़ पकड़ा ही नहीं, किन्तु जैसे ही उसमें परमेश्वर का आत्मा फूंका जाता है, वह सोया हुआ,उ छुपा हुआ बीज उगने लगता है। और आखिरकार प्रभु की महिमा के लिये फल लाता है। हमारे जीवन के कामों में हमे पता नहीं कि कौन सा बीज समृद्धि पायेगा यह सा वह । वह तय करना हमारा काम नहीं है। हमें अपना काम करते जाना है। और परिणाम प्रभु पर छोड़ना है। “भोर के समय बीज बोओ, और संध्या समय भी अपना हाथ न रोके रखा।” परमेश्वर की महान वाचा बताती है कि जब तक पृथ्वी बनी हुई है। बीज बोना और फसल तैयार होना खत्म न होगा, इस वायेदे के भरोसे खेतों के रखवाले खेत जोतते और बीज बोते है। इसी प्रकार हम आत्मिक बीज बोने में भी कम भरोसेमंद न हो, परिश्रम करते रहें उस पर पूर्ण भरोसा रखे, “वैसा ही मेरा वचन, जो मेरे मुहँ से निकलता है। होगा, वह कभी पूरा हुये बिना नहीं लौटेगा किन्तु जैसा मैं चाहूं उसे पूरा करूंगा और वह उसे जहाँ मैंने उसे भेजा है, समृद्ध बनायेगा।” वह जो आगे-आगे आंसू बहाता हुआ जाता है, कीमती वचन को साथ लेकर वह निसंदेह खुशियाँ मनाता हुआ, प्रभु की प्रशंसा करता हुआ, अपने फूलों को साथ लिये हुये, लौटेगा। (काइस्ट ऑब्जेक्ट् लैसन्स 65) ChsHin 336.3