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अध्याय — 3
परमेश्वर के लोगों के बीच परिस्थितियाँ ChsHin 46

प्रचार कार्य में उत्साह की कमी ChsHin 46

सब्बत मानने वाले एडवेन्टिस्ट लोगों में प्रचार कार्य करने का जज्बा काफी कम मात्रा में है। यदि प्रचारकों व प्रभु के लोगों में यह काम करने की काफी जागषत होती तो वे कभी भी देरी नहीं करते जबकि प्रभु ने उन्हें अपनी व्यवस्था के अधिकारी ठहरा दिया है, ये व्यवस्था उनके मन और हृदयों पर लिख दी है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 3:202) ChsHin 46.1

ऐसा लगता है, कलीसियाओं को सुसमाचार प्रचार की आत्मा छोड़ चुकी है, जो प्रचार के काम को इतना उत्कष्श्ट कार्य बनाती है। इनके हृदय में अब वो आग नहीं रही, वो प्रेम नहीं रहा जो खोई हुई आत्माओं को बचाने ChsHin 46.2

और उन्हें प्रभु यीशु के समीप लाने की इच्छा रखता हो। हमें ईमानदार कार्य करने वालों की आवश्यकता है। क्या कोई नहीं है जो इस आवाज को सुने जो हर एक घर से आ रही है, “आओ! और हमारी मद्द करो।” (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 4:156) ChsHin 46.3

मुझे ये दिखाया गया है कि परमेश्वर के लोगों में कमी पाई गई है। हमारे काम हमारे विश्वास के समान नहीं हैं, जबकि हमारा परमेश्वर पर भरोसा इस बात का प्रमाण है कि हम एक ऐसे पवित्र और कीमती सुसमाचार, जो जगत के नाशवान लोगों को सुनाने के लिये दिया गया है, उसे जगत भर में प्रचार करना लोगों को सुनाना है। इस सब बातों की सच्चाई को पूर्ण रूप से जानने के बाद भी हमारे कार्य, जोश, आत्मबलिदान की आत्मा, कार्य के अनुरूप क्रियाशील नहीं है। हमें अपनी मरी हुई आत्माओं को जगाना है ताकि मसीह में हम जिलाये जायें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:114) ChsHin 46.4

मेरा हृदय रोता है, दुखी होता है, जब मैं ये सोचता हूँ कि हमारी कलीसियायें, परमेश्वर के द्वारा सौंपे गये एक पवित्र काम जिसका लेखा हमसे लिया जायेगा, उस काम को छोटा समझकर कर ही नहीं रहीं। केवल परमेश्वर के प्रचारक ही उसके सिपाही नहीं बल्कि हर एक स्त्री व पुरूश जिन्होंने प्रभु की सेना में अपना नाम दर्ज कराया है। क्या वे एक सैनिक की तरह जीवन जी रहे है ? जैसा मसीह यीशु ने स्वयं अपना स्वर्गीय सिंहासन त्याग कर एक सेवक बना और अपना बलिदान दिया। हमारी कलीसियाओं के लोगों ने कौन सा आत्म-त्याग करने का उदारहरण दिया है ? षायद उन्होंने बड़े-बड़े दान दिये होंगे किन्तु अपने आपको काम पर लगाने से बचाये रखा है, जो दान देने से कहीं ज्यादा जरूरी है। (द जनरल कॉन्फ्रेन्स बुलेटिन- 1893, 131) ChsHin 47.1

जगत के अन्य लोगों की अपेक्षा ऐसे बहुत से प्रभु के पीछे चलने वाले सेवक हैं, जिन्हें आत्माओं को बचाने का काम अपने कंधों पर बोझ नहीं लगता। आँखों की अभिलाशा जीविका का घमंड दिखावे का जीवन, आराम पसंद जीवन, लोगो को परमेश्वर से दूर कर देता है। और सुसमाचार प्रचार का आत्मा पाया तो जाता है किन्तु केवल कुछ ही लोगों में ऐसे दुश्टों व गुनाहगारों की आँखे खोलने के लिये आखिर क्या किया जाये कि ये सच्चाई को देख सकें, समय का मान जान सकें और ऐसे कपटी व ढोंगी लोग डर कर काँपने लगें। (द जनरल कॉन्फ्रेन्स बुलेटिन- 1893, 132) ChsHin 47.2

मिरॉज के द्वारा एक वर्ग के लोगों को प्रस्तुत किया गया है। उन लोगों ने कभी भी सुसमाचार प्रचार कार्य की आत्मा को नहीं पाया यहाँ तक की बाहरी मिषन्स की बुलाहट भी उन्हें काम करने पर मजबूर नहीं कर सकी। ऐसे लोग प्रभु को क्या जवाब देंगे, जो उसके लिये कुछ करते ही नहीं। न तो आत्माओं को जीतने का काम करते हैं। ऐसों को प्रभु त्याग देगा और कहेगा, “हे दुश्ट एवं निकम्मे सेवक ।” (हिस्टॉरिकल स्केचेज- 290) ChsHin 47.3

क्योंकि यह आपके लिये सुअवसर था प्रभु के लिये काम करने का किन्तु आपने अपने हिस्से का काम न कर अपनी असफलता का परिचय दिया है। इस पर मैं तो यह षब्द कहूँगा, हे षापित मिराज, स्वर्गदूत ने कहा वहाँ के हर एक निवासी षापित हो। क्योंकि वे प्रभु की मद्द के लिये आगे नहीं आये। उस दुश्ट ताकतवर का सामना करने के लिये जो प्रभु का विरोध ।। है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:247) ChsHin 47.4