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सेवा के लिये संगठित होना ChsHin 44

नौजवान युवक और युवतियों क्या आप सब मिलकर एक संगठन नहीं बना सकते ? प्रभु की सेना होने के नाते अपना नाम सूची में दर्ज क्यों नहीं कराते ? अपने सारे तौर-तरीके, कुषलता और बुद्धि की प्रवीणता अपने प्रभु की सेवा में क्यों नहीं लगाते ? जिससे कि आत्माओं को नाश होने से बचा सको। हर एक कलीसिया में ऐसे युवा संगठन होने चाहिए। क्या ये नौजवान बेटे-बेटियाँ प्रभु से सच्चा प्रेम करते हैं कि अपने आप को उसके सुसमाचार प्रचार कार्य करने के लिये संगठित हैं। केवल वे ही नहीं जो अपने आपको सब्बत का पालन करने वाले कट्टर एडवेन्टिस्ट कहते हैं, बल्कि वे नौजवान भी जो अभी तक प्रभु में विश्वास रखते ही नहीं। (द साइन्स ऑफ द टाइम्स — 29 मई, 1893) ChsHin 44.3

सारे नौजवान युवक-युवतियाँ और बच्चे प्रभु के नाम में प्रचार कार्य के लिये निकल पड़ें। एक सुनिश्चित योजना के तहत एक हों और काम की षुरूआत करें। क्या तुम सब एक जुट कार्यकर्ता नहीं हो सकते ? जो एक समय पर मिलकर प्रभु से प्रार्थना करने तथा प्रभु से उसके अनुग्रह की विनति करके, परमेश्वर के काम को मिलकर अंजाम तक पहुँचायें। (यूथ्स इंस्ट्रक्टर- 09 अगस्त, 1894) ChsHin 45.1