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आध्यात्मिक नज़रिये की कमी ChsHin 51

केवल कुछ कलीसियाओं में ही नहीं बल्कि पूरे जगत में प्रभु यीशु के कार्य को परिणाम तक पहुँचाने में नकारात्मकता देखी जा रही है। लोग लापरवाह हो गये हैं। इस लापरवाही के कारण एक ऐसी परिस्थिति उठ खड़ी हुई है, जिसने परमेश्वर के सर्वोच्च एवं पवित्र कार्य को ग्रहण लगा दिया है। कलीसिया में कड़वाहट और कटाक्ष करने की आत्मा आ गई है तथा आध्यात्मिक सोच या विचार विमर्ष करने की आत्मा धुंधली पड़ती जा रही है। इन सबके कारण प्रभु यीशु के प्रचार कार्य को बड़ी हानि उठानी पड़ी है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:297) ChsHin 51.1

इन्सान होने के नाते इस दशा के बारे में सोचकर मैं बहुत दुःखी हो जाता हूँ। प्रभु ने तब भी हमारे लिये स्वर्ग के द्वार बंद नहीं किये, किन्तु हमारा लगातार पाप के गर्त में गिरना, परमेश्वर से दूर होने का कारण बना है। गर्व, लालच और संसार से प्रेम ने लोगों के हृदय में घर कर लिया है ChsHin 51.2

और अब उनके मन में स्वर्गीय राज्य से बहिस्कष्त किये जाने या सजा पाकर नाश हो जाने का डर भी नहीं है। गम्भीर एवं हठ पूर्वक किये गये पाप हमारे बीच में आ गये हैं। उसके बावजूद लोगों का सामान्य विचार है कि कलीसिया बढ़ रही है और चारो ओर षांति और आध्यात्मिक संपन्नता है। लोगों ने प्रभु यीशु के पीछे चलना छोड़ कर, मिस्त्रियों के समान तेजी से मूर्ति पूजक बनते जा रहे हैं। तब भी थोड़े ही हैं जो चिताये गये और अचंभित हैं और जानते हैं कि उन्हें आध्यात्मिक षक्ति की बहुतायत से जरूरत है। गवाहियों पर अविश्वास और परमेश्वर की आत्मा पर षक करना सभी कलीसियाओं को खमीरा बना रहा है। और पैतान यही तो चाहता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 5:217) ChsHin 51.3