प्रभु के लोगों में अब न तो अधिक धार्मिकता बची है और न ही विश्वास इसका मुख्य कारण जो मुझे दिखाया गया है, यह है किवे अब अपने स्वार्थीपन के कारण अपने तक ही सीमित हो गये हैं। यहाँ तम्हारे मेल-मिलाप की अधिकाई तो है ही नहीं जो प्रभु आपसे अपेक्षा करता है। ये बहुत बार की गई प्रार्थना भी नहीं किन्तु सही कार्य है। सही कार्य जो सही समय पर किया जाये। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:36) ChsHin 53.4