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पुर्नजागरण एवं सुधार आवश्यक ChsHin 55

मसीहियों को तैयार होना चाहिये, उस अद्भुत व अचानक आने वाले दिन के लिये जिससे संसार के लोग अनजान हैं मसीहियों को यह तैयारी परमेश्वर के वचन के गहरे अध्ययन तथा उसके एक-एक नियम व विधियों को अपने जीवन में पालन करने के द्वारा संभव है। परमेश्वर हर एक को पुर्नजागरण करने और अपने चालचलन में सुधार लाने के लिये बुलाता है। (प्रोफेट्स एण्ड किंग्स- 626) ChsHin 55.1

हमारी सबसे अधिक आवश्यक जरूरतों में हरेक के लिये सच्ची ६ पार्मिकता का पुर्नजागरण कर धार्मिकता के प्रति जागरूक होना सजग होना है। इस प्रकार की धार्मिकता की खोज ही हमारा परम कर्त्तव्य होना चाहिए । (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 22 मार्च, 1887) ChsHin 55.2

समय आ गया है कि पूर्णरूप से बदलाव लाया जाये, जब लोगों के जीवन में बदलाव आयेगा तब हर एक विश्वासी में प्रार्थना का आत्मा कार्य करेगा और कलीसिया से कलह और रूकावटें दूर हो जायेंगी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 8:251) ChsHin 55.3

पवित्र आत्मा की अगुवाई में ही जागरूकता और बदलाव लाये जाने चाहिए। क्योंकि कार्य के प्रति जागरूकता और बदलाव दोनों अलग-अलग हैं। पुर्नजागरण आत्मिक जीवन को पूर्ण रूप से नया होने को दर्शाता है। मन व हृदय को तुरंत काम करने के लिये उत्साहित कर ताकत प्रदान करना है, आत्मिक मष्त्यु से छूटकर पुर्नुद्धार पाना है। जबकि जीवन में बदलाव एक प्रकार का पुर्नगठन है, जिसमें विचारों एवं सिद्धान्तों, आदतों और अभ्यासों का मेल होता है। जीवन में बदलाव धार्मिकता का अच्छा परिणाम कभी नहीं ला सकता जब तक की उसका संबंध आत्मिक बदलाव से न हो। ChsHin 55.4

पुर्नजागषत और जीवन में परिवर्तन दोनों अपने-अपने नियोजित काम करते हैं। प्रचार का काम करने में दोनों को एक होकर मिलकर काम करना अच्छे परिणाम ला सकता है। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड- 25 फरवरी, 1902) ChsHin 56.1

क्या ‘वचन’ हमें षुद्ध और अधिक पवित्र काम करने का आव्हान नहीं करता हैं? जो हमने अभी तक होते देखे ही नहीं, परमेश्वर उन्हें बुलाता है, जो पवित्र आत्मा की पूर्ण अगुवाई में होकर चलने के लिये तैयार होते है। क्योंकि पूर्णरूप से बदलाव केवल पवित्र आत्मा के द्वारा ही संभव है। हमारे इस काम में मुझे कई रूकावटें नज़र आती तो हैं किन्तु फिर भी परमेश्वर हमें काम करने के लिये कतार में खड़ा करता है, हमारी अगुवाई करता है। हम उसकी सेना के एक-एक सिपाही को अपने स्थान पर दृढ़ता से खड़े होना, पूरी तरह से परमेष्वर के हाथों में अपना सब कुछ समर्पण कर देना, जो कि पिछले कई सालों के दौरान नहीं किया वह करना है और मैं तो काफी प्रभावित हुआ हूँ, रात्री के उस दुश्ट से जो मेरी आँखों के सामने से गुजर गया। वो बड़ा अद्भुत क्षण था। एक बड़े बदलाव का काम जो जगह-जगह पर हो रहा है, हमारे कई लोग पंक्ति बांध कर खड़े हो गये हैं कि जैसे ही परमेश्वर उन्हें बुलाये, वे तुरंत काम करने के लिये दौड़ पड़ें। द जनरल कॉन्फ्रेन्स बुलेटिन- 29 मई, 1913.p.34, ChsHin 56.2

दर्शन में रात्री के दौरान मैंने एक ऐसा बड़ा बदलाव प्रभु के लोगों के बीच में देखा, जिसमें अनेक लोग परमेश्वर की महिमा कर रहे थे। बिमार चंगे हो गये, अन्य आष्चर्य कर्म भी देखे गये। हजारों लोग परिवारों से जा-जाकर मिल रहे थे और उनके बीच बाइबल का वचन पढ़कर सुना रहे थे। लोगों में हृदय पवित्र आत्मा की षक्ति से बदले गये थे। उदारता से हृदय परिवर्तन की आत्मा को काम करते देखा गया। हर दिशा में लोगों के घरों के द्वार सत्य का प्रचार, सच्चाई का उद्घोशणा करने के लिये खुल गये। ऐसा लगता था, कि जगत स्वर्गीय प्रकाश से रौशन हो गया है, और प्रभु की अपरम्पार आशिश नम्र व सच्चे लोगों को प्राप्त हुई। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:126) ChsHin 56.3

परमेश्वर के लोगों में मन फिराव की अत्यधिक आवश्यकता है, वर्तमान कलीसिया की स्थिति देखकर ये सवाल उठता है कि क्या कलीसिया द्वारा उस प्रभु यीशु को इस तरह पेश किया जाना कितना उचित है? जिसने पूरे जगत के लिये अपनी जान दे दी। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 3:474) ChsHin 57.1

जब कलीसिया से आलस्य और उत्साहहीनता पूरी तरह से खत्म हो चुकी होगी तब प्रभु का आत्मा पूरी षक्ति से काम करना प्रारंभ करेगा। स्वर्गीय सामर्थ काम करेगी। तब कलीसिया स्वयं स्वर्गीय सेना के काम को देखने पायेगी, सच्चाई की रौशनी पूरी तरह से दिखाई देगी एक शक्तिशाली रौशनी की किरण जो प्रेरितों के समय में दिखाई दी थी और जिसने कई आत्माओं को बुराई से सच्चाई की ओर फेर दिया था। संपूर्ण जगत एक बार फिर से परमेश्वर की ज्योति से जगमगा उठेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:46) ChsHin 57.2