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अध्याय — 4
संसार की दशा मसीही प्रचारकों की ओर आशा भरी नज़र ChsHin 66

जगत का नाटक ChsHin 66

जगत एक रंगमंच है, इसके पात्र, जगत के सारे रहवासी, इस नाटक के अंतिम दश्य में अपनी भूमिका निभाने की तैयारी कर रहे हैं। दुनिया भर के लोगों में एकता है ही नहीं। इसके अतिरिक्त मनुश्य केवल अपना स्वार्थ पूर्ति में ज्यादा लगा है। परमेश्वर प्रतिक्षा कर रहा है। उसके विद्रोहियों के प्रति उसका उद्देश्य वह पूरा करेगा। जगत मनुश्यों के हाथ में नहीं दिया गया है, यद्यपि पमेश्वर ने भरमाने वाली आत्मा तथा अन्य अव्यवस्थित तत्वों को कुछ समय दिया है। एक षक्ति जो सांसारिक ही है, उस अंतिम दष्श्य की नकल के रूप में प्रस्तुत करने की तैयारी में है। हाँ, वह पैतान है जो खीश्ट यीशु के समान अवतरित होने वाला है। जगत के वे झूठे व अधर्मी लोग उसकी इन धूर्तता से पूर्ण कार्य में साथ दे रहे है, जो आज मसीह समाज में छुपे हुये हैं। और अपनी इस योजना को पूरा होते देखने के लिये तत्पर है और संगठित होकर हमारे षत्रु की मद्द कर रहे है। और इन सब बातों का परिणाम उसके तुरंत बाद देखने को मिलेगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 8:27, 28) ChsHin 66.1