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गीतों द्वारा सुसमाचार प्रचार ChsHin 87

जिन छात्रों ने सुसमाचार से भरे सुमधर गीतों को मीठी मधुर एवं विशेष रूप से प्रभावित करने वाली आवाज में गाना सीखा है, वे गीत गाकर भी प्रचार कर सकते है। उन्हें ऐसे कई अवसर मिलेगें जहाँ वे परमेश्वर द्वारा दिये गये गुणों का उपयोग, उन लोगों पर अपनी मुधर आवाज तथा सच्चाई की रौशनी दिखाने में कर सकते हैं जो बेचारे ऐसे अंधकार भरे स्थानों में पाये जाते हैं जहाँ दुःख, कश्ट और अकेलेपन के अलावा और कुछ भी नहीं होता, वे जिन्हें कभी कलीसिया के साथ चर्च भवन में प्रभु की महिमा गीतों द्वारा करने का मौका नहीं मिलता। ChsHin 87.3

स्कूली बच्चों को निकल जाना चाहिये लम्बे-चौड़े रास्तों, गलियों आदि स्थानों पर जिससे वे बड़े-छोटे उच्च वर्ग एवं निम्न वर्ग दोनों तरह के लोगों तक पहुँच सकें । अमीर-गरीब सब के घरों में जायें और उनसे पूछे कि क्या हम कुछ सुसमाचार से प्रेरित भजन गा सकते है? तब षायद लोगों के हृदय पिघलें और षायद तुम्हें मौका मिले उनके लिये परमेश्वर से प्रार्थना करने का जिससे उन्हें परमेश्वर की आशिश मिले । कई लोग सुनने के लिये इंकार नहीं करेंगे। ऐसा सुसमाचार प्रचार ही सही अर्थो में प्रचार कार्य कहा जा सकता है। (काऊन्सिल टू द पेरेन्ट्स टिचस एण्ड स्टूडेन्ट- 547, 548) ChsHin 88.1