जब स्कूल बंद होते तब अवसर होता है कि प्रचार का काम व संदेश पहुँचाने का काम किया जाये, एक वफादार पुस्तक विक्रेता किसी भी तरह वह घर ढूँढ़ लेता है, जहाँ वह ऐसी पुस्तक और पत्रिकायें छोड़ सकता है, जिनमें आज के समय की सच्चाई है। छात्रों को सीखना चाहिये कि वे पुस्तकें कैसे बेचें। आज मनुश्यों को गहरी मसीही सोच, अनुभव, पर्याप्त समझ, मजबूत विश्वास पूर्णरूप से शिक्षित जो प्रचार काम की इस षाखा (पुस्तक बेचना) से जुड़ सके। कुछ लोगों के पास इसकी शिक्षा प्रवीणता, अनुभव है जो इन नौजवानों को पुस्तकें बेचने का काम सिखायें कि पहले की अपेक्षा और अच्छी तरह काम पूरा हो सके। ऐसे अनुभवी लोगों का परम कर्तव्य है कि वे दूसरों को सिखायें । (काऊन्सिल टू द पेरेन्ट्स टिचस एण्ड स्टूडेन्ट— 546, 547) ChsHin 87.2