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लिखकर एवं बोलने के द्वारा ChsHin 169

लोगों को पत्र-पत्रिकायें लिखकर भेजने एवं बोलकर, फोन पर बतायें कि प्रभु यीशु जीवित है, हमारे लिये पिता से प्रार्थना करने के लिये कि हम बचाए जाये। प्रभु यीशु के साथ एक होकर उसके काम में षामिल हो जायें। उस उद्धारकर्ता के पीछे हो लें, जिसने स्वयं का इंकार किया, जबकि वह स्वर्ग से पृथ्वी पर अपना प्रेम दिखाने आया था। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड-24 जनवरी 1893) ChsHin 169.2

हर एक का काम करने का तरीका एक दूसरे से भिन्न होता है किन्तु प्रभु यीशु की बुलाहट और अगुवाई लोगों से अलग-अलग तरह काम करवाती है। और इन सभी को एक साथ मिलकर कार्य को पूरा करने का जज्बा होना चाहिए। चाहे लिखकर या बोलकर प्रभु के लिये परिश्रम करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च —9:26) ChsHin 169.3

प्रभु यीशु सूली पर चढ़ गया, इसके बारे में बात करें, प्रार्थना करें और गीतों में गा कर प्रचार करें, तब लोगों के हृदय पिघलेंगे और जीते जायेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च -6:67) ChsHin 169.4

कलम इंसान के हाथ में एक षक्ति है, जो अपने हृदय की वेदी पर सत्य की आग को जलाये रखते हैं और जिनके पास योग्यता के साथ जोश भी होता है प्रभु का काम करने के लिये जिसे वे भरपूर न्याय के लिये संतुलित रखते हैं। वह पेन जो खरे सत्य के झरने में डुबोया गया है, वह दुनिया के अंधेरे कोनों में रौशनी की किरणें बिखेर सकता है और जो अपनी किरणें प्रतिबिम्बित कर एक नये जोश व ताकत से पूर्ण होकर उस रौशनी को सब जगह फैला सकता है। (लाइफ स्केचेज़-214) ChsHin 169.5

हमारे सेवको को अपनी पूरी ताकत प्रचार करने में ही नहीं लगाना चाहिए, और वहीं काम समाप्त कर देना चाहिये बल्कि उन्हें अपने सदस्यों को निर्देश देना चाहिये, कि वे किस प्रकार और लोगों को प्रभु यीशु के बारे में बताकर एक प्रचार कार्य सहायक के रूप में काम करें। जिसे अपनी सेवकाई की समिति में “चक्र के अंदर चक्र” के समान है। अन्दर के चक्र की गति अच्छी स्वस्थ रहते हुये बाहरी चक्र को चलाने का शक्तिशाली काम करती है। इस आंतरिक चक्र को काम करने से रोक दो और फिर देखो परिणाम क्या होता है ? जीवन व कार्यो में अर्थात् चलने में कमी आती जायेगी और साथ ही सेवकाई समीति भी प्रभावित होगी। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड-10 जून 1880) ChsHin 170.1

कभी भी एक जागरूक सेवक को थकना नहीं चाहिये, इस कार्य में आप सब सफलता पूर्वक षामिल हो सकते हैं। केवल यदि आप प्रभु यीशु से जुड़े हों, लोगों से उनके विचार जानने के लिये लिखने से पहले अपनी आँखें बंदकर, अपना हृदय व मन प्रभु की ओर लगाओं प्रार्थना करो ताकि कुछ जंगली षाखाओं को काट कर सच्ची दाखलता में साटा जा सके, जिससे के प्रभु के लिये फल ला सकें उसकी महिमा कर सकें। वे सब जो नम्र हृदय से प्रभु के कार्य को करने के लिये अपने आप को प्रशिक्षित करते, प्रभु की दाख की बारी में काम करने के लिये तैयार रहते है। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड-10 जून 1880) ChsHin 170.2