दूसरा काम और ये भी है कि बच्चों और नौजवानों को सब्बत स्कूल में इकट्ठा करें। इस तरह नौजवान भी अपने योग्यतानुसार परिश्रम कर प्रभु यीशु का काम कर सकते हैं वे आत्माओं के भविश्य को एक मुकाम दे सकते है। वे कलीसिया के लिये काम कर सकते और जगत के लोगों को तक प्रभु की महानता का प्रचार कर सकते जो अभी तक नहीं किया गया और जब अंतिम लेखा लिया जायेगा तक “शाबास षब्द उन भले व विश्वासयोग्य सेवको को सुनाई देगा। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड-10 जून 1880) ChsHin 169.1