सच्चाई और धार्मिक स्वतंत्रता का झंडा सुसमाचार प्रचार कलीसिया के संस्थापकों के द्वारा तथा परमेश्वर के गवाहों के द्वारा कई सदियों पूर्व से फहराया जा रहा है जो आज इस संघर्श के समय में हमारे हाथें में सौपा गया है इस महान पुरूस्कार की जिम्मेदारी उन लोगों पर है जिन्हे परमेश्वर ने अशिशित किया है और वे उसके वचन के ज्ञान से पूर्ण है। हमें इस बचन के सर्वोच्च अधिकार को प्राप्त करना है हमें उस मानवीय सरकार को पहचानना है एक स्वर्गीय नियुक्ति के बतौर मानना है उन्हें जहां तक संभव हो आज्ञाकारी होना सिखाना है जो हमारा प्रथम कर्तव्य है। और जब ये परमेश्वर के घोशणा के विरूद्ध हो तब हमें मनुश्य की नहीं परन्तु परमेश्वर की आज्ञा को सर्वोपरि मानना है मनुश्य के हर अधिकार से बढकर परमेश्वर का वचन है जिसे मानना जरूरी है। ” परमेश्वर की यह वाणी है, “को अलग कर “कलीसिया कीयह वाणी है” ‘या’ राज्य की यह वाणी है” नहीं होना चाहिये प्रभु यीशु का नाम हर एक सांसारिक अमूल्य धातुओं हीरे मोती से बढकर है और उसे ही ऊपर उठाया जाना चाहिये। (द एक्ट ऑफ अपॉसल्स 68, 69) ChsHin 224.1
हमने परमेश्वर के लोग होने के नाते वह काम पूर्ण नहीं किया है जो काम परमेश्वर ने हमें सौपा है। हम इस मुददे के लिये तैयार ही नहीं है जो रविवारीय कानून हम पर आने वाला है ये हमारा कर्तव्य है, कि जैसे हम उस खतरें के चिन्ह को देखते है, हम काम करने के लिये तत्पर हो जाये। कोई भी शांत न बैठे क्योकि शैतान ता यही चाहता है कि हम अपने आप को सात्वना दे, यह कहकर कि हमारा तो विश्वास है कि ऐसा होगा क्योकि इसकी भविश्य वाणी पहले से हुई है और प्रभु हमें बचायेगा। हम शांत बैठकर यदि कुछ नहीं करते तो परमेश्वर की इच्छा का पालन नहीं करते है, इससे हमारी आत्मा की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिये हम कुछ नहीं कर रहे ऐसे में प्रार्थनाओं का सिलसिला जारी रखना होगा। जिससे कि ये आपत्ति तब तक न आये जब तक की परमेश्वर का वह काम जो अब तक नही हुआ था वह पूरा न कर लिया जाये और लगातार प्रार्थनाओ के साथ काम भी जारीरखा जाये । (द टेस्टमनीज फार द चर्च 5:713,714) ChsHin 224.2
ये हमारा कर्तव्य है कि आने वाले खतरे का सामना करने के लिये वह सब करें जो हमें शक्तिशाली बनाता है। हमें ईर्ष्या को कमजोर बनाने के प्रयास करने के साथ अपने आप को एक नई रौशनी के रूप में लोगों के सामने लाना है। उनके सामने आज का ज्वलत प्रश्न रखना है और इस प्रकार अंतर आत्मा की स्वतंत्रता को बचाने के लिये प्रभावशाली व उचित मात्रा में विरोध प्रगट कर अपने आपको सामने लाना है। (द टेस्टमनीज फार द चर्च 5:452) ChsHin 225.1
जब प्रभु ने अपनी ज्योति हमें दिखाई है, ताकि हम आगे आने वाले खतरे को देख सकें हम अपने आपको उसके सामने साफ कैसे दिखा सकेगें यदि हमारे सामने रखे गये हर एक काम जो हमारी सामर्थ के अनुसार है लोगों के सामने जाये क्या यह हमारे लिये उचित होगा कि इस सामयिक मुददे से उन्हें बिना चितौनी के छोड दिय जाये । (द टेस्टमनीज फार द चर्च 5:712) ChsHin 225.2
जब राश्ट्रीय सुधारकों ने धामिर्क स्वतंत्रता को बचाये रखने के लिये प्रयास प्रारंभ किये थे उस परिस्थिति में हमारे अगुवों को सुदढ बने रहना था और मिलकर सामना करने के लिये पूरे प्रयास करने थे । ये परमेश्वर का नियम नहीं है कि जो रौशनी हमें मिली है वह हम तक ही सीमित रह जाये। क्योकि वर्तमान समय का सत्य यही है, जिसकी उन्हें जानकारी होना अवश्य है सारे के सारे प्रभु के सेवक शायद तीसरे स्वर्गदूत के संदेश को जिससे वे प्रचार करते है भलीभांति उसके अर्थ को समझते ही नहीं है। राश्ट्रीय सुधार आंदोलन भी कुछ लोगें के द्वारा अधिक महत्वपूर्ण नहीं माना गया हे इसी लिये उन्होने उसे लोगो को बताना आवश्यक ही नहीं समझा। और ऐसा महसूस किया कि ऐसा करके शायद वे तीसरे स्वर्गदूत के संदेश पर सवाल न उठाने लगे। ऐसा सोचने व समझने वालों को प्रभु माफ करे, जो आज के संदेश को सही अर्थो में समझने में असफल रहे। (द टेस्टमनीज फार द चर्च 5:715) ChsHin 225.3
हम कई वर्शो से रविवारीय आराधना के नियम को हमारे देश में लागू होने की प्रतिक्षा कर रहे है। और अब वह परिवर्तन हमारे ठीक सामने है । हम पूछते है क्या हमारे लोग इस बारे में अपना कर्तव्य निभायेगें क्या हम एक साथ सहयोग कर अपने स्तर को ऊंचा उठाने और शैतान के ठीक सामने खड़े होकर मुकाबला करने का प्रयास करेगे। वे जिन्हें इस काम को करने के लिये ठहराय गया है। और अपनी धार्मिकता के अधिकार एवं अवसरों के लिये काम करेगे समय बहुत ही करीब जल्दी आता जा रहा है जिसमें वे प्रभु की आज्ञा मानते मनुश्यों की नहीं। उन पर सांसारिक दबाब बढने लगेगा। क्योकि तब हम चुपचाप बैठकर प्रभु का तिरस्कार होते देखते रहेगें जिसमें उसकी आज्ञाओं को पैरो तले रौंदा जा रहा होगा। जबकि प्रोटेस्टेंन्ट जगत अपने आपसे घंमड के कारण रोम राज्य का सहयोग करने को तैयार है। आइये हम उठ खडे हों ताकि इस स्थिति को समझे ओर इस प्रतियोगिता को और इसके होने वाले परिणामों पर गौर करें अब सब जागरूक लोगों को अपनी आवाज बुलंद करना है और लोगों को वर्तमान सच्चाई बताना है लोगों को दिखाना है कि भविश्यवाणी के इतिहास में अब हम कहां पर है। और अब हमें सही अर्थो में विरोध करने के लिये निकल पडना है, जगत के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता के अवसर की कीमत समझाकर उसे लम्बे समय तक आत्मसम्मान करने के लिये जागरूक करना है । (द टेस्टमनीज फार द चर्च 5:716) ChsHin 226.1
देश के लोगों को इस सबसे खतरनाक शत्रु जो सामान्य लोगों और धार्मिक स्वत्रंता का विरोधी है, का सामना कर उसे रोकने के लिये जागरूक करने की आवश्यकता है । (द रिपरिट ऑफ प्रोफेंसी 4:382 ChsHin 226.2
क्या हम हाथ बांधकर बैठे रहेगे और इस कठिन परिस्थिति में कुछ नहीं करेगें परमेश्वर हमारी इस जडता से जो वर्शो से होने वाली थी और जो अब हमारे सामने है मदद करें । (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड 18 दिसम्बर 1888 ) ChsHin 226.3