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अंधकार में ज्योति ChsHin 229

पष्थ्वी के रहवासियों के बीच चारों तरफ फैले हुये, कुछ ऐसे लोग भी है, जो बाल देवता के सामने घुटने नहीं टेके है। जैसे आकाश में तारे केवल रात में दिखाई देतेहै, वैसे ही ये वफादार सेवक तक चमकेगें जब पूरी पष्थ्वी पर अंधकार छा जायेगा और उन दुश्ट लोगों को घेर लेगा । मूर्तिपूजन व असम्य अफ्रीका में, यूरोप के पोलिक भाग और दक्षिण अमेरिका, चीन, भारत, समुद्र के बीच पाये जाने वाले टापू और दुनिया के हर उस अंध कार में बिखरेगे। इस विधर्मी जगत के लोगों को पूरी तरह से दिखायेगें। कि उसके नियम का पालन करना कौन सा शक्तिशाली बदलाव लाता है। आज भी वे अपने देश में देश में दिखाई देते है, हर भाशा हर जाति के बीच और विशेश कर, इस गंभीर विधर्म के समय में जब शैतान को सर्वश्रेश्ट ताकत, सभी को क्या बड़े क्या छोट, क्या अमीर क्या गरीब, स्वतंत्र और गुलाम, पाप की सजा मष्यु को प्राप्त करेगें। उस झूठे विश्राम वार को मानने का परिणाम जो प्रतिश्ठा का चिन्ह बनाया गया था। ये वफादार लोग, निर्दोश व हानि रहित, परमेश्वर के पुत्र बिना दोश के जगत को ज्योति के रूप में चमकेगें । जितनी अंधेरी रात होगी, उतना ही ज्यादा रौशन इनकी चमक होगी। (प्रोफेटस एंड किग्स 188,189 ) ChsHin 229.1

जब ताडना व अत्याचार का तूफान व सच में आ पडेगा, तब सच्चे चरवाहे की आवाज उसकी सच्ची भेडे सुनेगी। स्वयं का इंकार करने का प्रयास खोये हुओं को बचाने में करना होगा। और अनेक वे लोग जो झुण्ड से अलग हो गये वह उस मकान चरवाहे के पीछे हो लेने के लिये वापस आयेगें । (ऑस्ट्रेलियन द साइज ऑफ द टाइम्स 26 जनवरी 1903,सप्लीमेंट) ChsHin 229.2