सब्बत का पालन करने वालों में सच्ची प्रतिष्ठा का और मसीही शिष्टता की कमी होना हमारे विरुद्ध है और जिस सच्चाई का हम बखान करतें है उसे बचाने में नाकामयाबा होगें। अतः हमारे सोच विचार और नैतिकता को काम करने के योग्य बनाने के लिये उसे शिक्षित करना और प्रवीणता व परिपूर्णता की और ले जाना होगा। यदि वे जो सच्चाई सिखाते है, अपन अवसरोंव मौकों को अभी भी पूरी तरह से स्त्री व पुरुषों को प्रभु यीशु के ढांचे में ढालने में इस्मेमाल नही करतें, तो सच्चाई के लिये किये गये काम का सम्मान नही होगा, न ही प्रभु यीशु का सम्मान होगा। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-4:358,359) ChsHin 302.2
इस काम की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिये एक व्यस्थित जीवन और स्वर्गीय बातों का होना अवश्य है। कभी भी अपने स्तर उँचा उठाने से डरना नही । सारी कठारेता हमारे जीवन से जाती रहे। सौभ्यता, शुद्धता और मसीही नम्रता हमेशा बढ़ती रहें। आशिष्ट और रुखे व्यवहार से बचें। ऐसे विशेषताओं को अपने आचरण में न आने दे । परमेश्वर भी इन बातों से सहमत नही होता । कभी भीकिसी को बेवजह गुस्सा मत दिखाओं। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड, 25 नवम्बर 1890) ChsHin 302.3
आज बहुत अधिक जरुरत है कि स्त्री व पुरुष जो परमेश्वर की इच्छा को जानते है, उन्हें प्रभु के काम को सफलता पूर्वक करने के लिये सीखना चाहिये। समझदारी केवल छलावे या दिखावे को जीवन नही और न ही सांसारिक वस्तुओं के प्रति लगाव पाया जाये, बल्कि पवित्रता और सच्ची नम्रता जिसमें स्वर्गीय झलक हो, और जो हर एक मसीही में होगी जो प्रभु यीशु के स्वभाव में भागीदार होता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च—4:358) ChsHin 303.1
हमारे पास वह महानतम सच्चाई और आशा है, जो पहले कभी इस जगत को नही दी गई। और साथ वह भरोसा भी जिसे हम चाहते हैं कि इसके महानतम चरित्र को जगत के सामने प्रस्तुत करें। हम यहाँ पर ये न दर्शायो जैसे कि हम तो केवल जबत के लोगो के लिये क्षमा-प्रार्थना करते हुये जीवन बिता रहें थे कयोकि हम केवल दिखावे के लिये इस बहुमुल्य और पवित्र सत्य का प्रचार करते है, किन्तु हम चाहते है कि प्रभु के साथ नम्रता से चलें ओर परमेश्वर के बेटे- बेटियाँ होने के लिये शुद्ध आचरण रखें, यधपि परमेश्वर के हाथों में एक कमजोर सहायक के रुप में किन्तु सबसे महत्वपूर्ण और रोचक विषय लेकर उपर और बढ़ते हुये, संसार की हर एक नाशवान वस्तु और विषयों से कही उँचे स्तरों को प्राप्त करें। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड,-26 जुलाई 1887) ChsHin 303.2
आत्माओ की सेवकाई के लिये मजदूरों को समर्पण एकता, प्रवीणता, उधमी, जोशिले और समझदार होना आवश्यक है। इन गुणों के होने पर कोई व्यक्ति तरह कम नही होगा वल्कि वह अच्छे कामों के लिये प्रभावशाली अगुवाई करेगा। (गॉस्पल वर्क्स-111) ChsHin 303.3
उन व्यक्तियों को काम पर लग जाना चाहिये जो स्व0 की इच्छा से वचन सिखानके के लिये सबसे अच्छे तरीका परिवारों और व्यक्तियों तक पहुँचने के लिये अपनाते है। उनके वस्त्र स्वच्छ, किन्तु भडकिले नही हो और व्यवहार भी ऐसा न हो जो लोगों के सामने लज्जित होना पडे, परमेश्वर के लाब होने के लिये सच्ची नम्रता की बहुत जरुरत है। और से गुण हर किसी में पाया जाता चाहिये जो प्रचार—कार्य को अपने हाल में लेता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-4:391,392) ChsHin 303.4
उनके जीवन में किसी भी प्रकार की मिथ्या नही होना चाहियों जिनके पास इतना पवित्र और महत्वपूर्ण संदेश है जिसे हमें सौपा गया है। सब्बत पालन करने वालों को सारा जगत ताक रहा हैं | क्योकि वह जानता है कि कुछ तो उनके विश्वास के काम ओर उनका उँचा स्तर है किन्तु जब वे उन्हें उस स्तर पर नही पाते तो उन्हें तिरस्कार की दुष्टि से देखते हैं। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-9:23) ChsHin 304.1
मनुष्य के पास चाहे बढिया उपहार, उच्छी योग्यता शानदार शिक्षा का स्तर हो, किन्तु केवल एक बुराई एक छुपा हुआ पाप उस जहाज के सामन है जिसमें दिमक के द्वारा खाया गया लकडी कापटटा जो पूरे जहाज के विनाश का कारण होता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-4:90) ChsHin 304.2
पौलुस अपने साथ हमेशा स्वर्गीय वातावरण को बनाय रखा जितने भी उसके साथ रहे वे ये जान सके कि वह प्रभु के साथ चलता है।यह स चकि उसका स्वयं का जीवन प्रभु यीशु की सच्चाई की उदघोषणा करना था जिससे उसके प्रचार कार्य को शक्ति मिली लोग उसके जीवन को देखकर प्रभावित होते थे। यही पर सच की सामर्थ दिखती है। अंजाने में, बिना पढाये व समझायें पवित्र जीवन जीने का प्रभावकिसी घर्मा-उपदेश से कम नही होता। जो मसीहीयत के पक्ष में दिया जा सके। कई बार बहस के मुददे या कोई ऐसा प्रश्न-जिका उतर न दिया गया हो , केवल सत्य का विराधी हो सकता है, किन्तु एक परमेश्वर की इच्छा द्वारा बिताया गया जीवन एक ऐसी शक्ति है, जो पूरी तरह से सामना करने में अयोग्य व असंभव होती है। (गॉस्पल वर्क्स-59) ChsHin 304.3
प्रभ का सच्चा चरित्र बिना किसी प्रयास के ही नही बन जाता या पहना जाता है। ये एक-एक आन्तरिक प्रकिया है। यदि मह किसी को ६ रार्मिकता के मार्ग पर चलाना चाहते है, तो धर्मिकता को हमारा परमेश्वर में भरोसा रखना शायद लोगों को धर्म का सिद्धांत सिखासकता है, किन्तु हमारी स्वयं की धर्मिकता जो वचन की सत्यता को पकडे रखती है, और जीवन, वचन की पवित्र बाते, तथा प्रभु के साथ एकता क्रियाशील, भलाई का आत्मा और प्रभु के उदाहरण इन सब के द्वारा परमेश्वर की ज्योति जगत को पहुंचाई जाती है। (द डिजायर आफ एजेज-307) ChsHin 304.4
प्रार्थनाओ का सिलसिला और केवल बाते सामान्य फल हैं। जो बार-बार बांध दिये जाते है । किन्तु वह फल जो भले कामों से, जरुरत मंदो की मदद करने, विधवाओं और अनाथों के मददगार हो वे उचित व उतम फल है, जो अपने आप ही अच्छे वक्षों पर उगते है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च-2:24) ChsHin 305.1