पवित्र आत्मा प्रभु यीशु का प्रतिनिधि है किन्तु मनुष्य के व्यक्तित्व के अनुरूप नही और इसीलिये स्वतंत्र हैं मानव के रूप में होते हुये प्रभु यीशु हर जगह उपस्थित नहीं हो सकते थे। इसलिये उनका विचार था कि पिता के पास जाकर पवित्र आत्मा को पथ्वी पर उसके बाद आने वाले के रूप में भेजें। तब कोई भी उसकी स्थिति अथवा प्रभु यीशु से व्यक्तिगत संबंध होने का फायदा नहीं उठा सकता था। आत्मा के द्वारा प्रभु यीशु उद्धारकर्ता सब तक पहुँच सकेगा। इस अर्थ में वह उन लोगों के करीब होगा। अपेक्षा इसके कि वह स्वर्ग न चला गया हो। (द डिजायर आफॅ एजेज 669) ChsHin 325.2