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असफल होने का विचार ही नहीं होना चाहिये ChsHin 333

प्रभु यीशु के कामगारों को कभी भी ज्यादा नहीं सोचना और असफल होने के बारे बोलना ही नहीं। प्रभु यीशु हर बात का पूरा करने वाला है। उसका आत्मा हमें उत्साहित करने वाला है और हम जैसे ही ही अपने आप को उसे सौंप देते है, ताकि उसकी रौशनी को फैलाने वाले जारिया बन सकें तो दूसरो का भला करने वाले साधन कभी खत्म नहीं होते। हम उसकी भरपूरी में से प्राप्त कर सकते और वह अनुग्रह पा सकते है जिसकी कोई सीमा नहीं। (गॉस्पल वर्क्स 19) ChsHin 333.1

जब हम अपने आप को पूर्ण रूप से प्रभु को समर्पित कर देते और उसके निर्देशों का पालन करने लगते है, तो अपने आप को हर एक उस काम को सफल बनाने की जिम्मेदारी स्वयं पर ले लेता है। वह केवल हमें सफलता पाने के लिये किये गये ईमानदारी से प्रयास को केवल एक काल्पनिक विचार नहीं ठहरायेगा। असफलता के बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं है। हम सिर्फ उसके साथी है जिसके साथ निराशा या असफलता का कोई स्थान नहीं। (काइस्ट ऑब्जेक्ट् लैसन्स 5:363) ChsHin 333.2

प्रभु निराश होता है जब उसके लोग अपनी कीमत तक आंकते है। अपना महत्व घआ देते हैं। वह चाहता है उसकी चुनी हुई धरोहर को अपना मोल समझना चाहिये क्योंकि उनके बदले में एक बड़ी कीमत चुकाई गई है। परमेश्वर को उनकी जरूरत है। वरना वह अपने पुत्र को भेजकर, इतनी बडी कीमत उनको छुड़ाने के लिये नहीं चुकाता। प्रभु को उनकी उपयोगिता है। और वह बड़ा प्रसन्न होता है जब वे उसके सामने अपनी बड़ी मांग रखते है, जिससे कि वे उसकी महिमा कर सकें। यदि वे उसके वायदों पर भरोसा रखते है, तो इससे बड़ी वस्तुयें भी मांग सकते हैं। (द डिजायर ऑफ एजेज 668) ChsHin 333.3