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जगत एक महामारी का घर ChsHin 70

मनुश्य अपनी आश्चर्यजनक प्रगति और चमक-धमक के लिये अपनी अंधी सोच पर घमण्ड करता है, किन्तु स्वर्गीय निगाहें देख रही हैं कि पष्थ्वी हिंसा और भ्रश्टाचार से भर गई है। संसार का वातावरण पाप के कारण फैली महामारी से ग्रसित हो गया है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:10, 11) ChsHin 70.1