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उस भारी भरकम ताज को पाने का उद्देश्य ChsHin 141

हमें परिश्रम से थकना नहीं है, और न ही निराष होना है। ये हमारे लिये बहुत बड़ा नुकसान होगा जब हम आशिश भरे महिमामयी जीवन को थोड़े से आराम सहूलियत मनोरंजन जैसे सांसारिक रूचियों के पीछे दांव पर लगा दें। इन सभी पर जीत पाने वाले के लिये प्रभु के हाथों से मिलने वाला एक उपहार प्रतिक्षा करता है, हममें से कोई उसके योग्य नहीं ये तो प्रभु की और से उपहार है, ये उपहार क्या ही अद्भुत और महिमा से पूर्ण होगा। पर हम यह याद रखें कि “एक तारा दूसरे तारे की तुलना में अलग होता है पर हम से जैसे विनती की गई है कि हम उसे पाने के लिये लालायित हों। प्रभु की ताकत में होकर हम तारों से भरे हुये भारी-भरकम ताज को लक्ष्य बनायें। “वे जो बुद्धिमान हैं वे आकाष के समान चमकदार होंगे और वे जो बहुत सी आत्माओं को प्रभु की धार्मिकता में जीत कर लायेंगें, वे तारों के समान हमेशा-हमेशा के लिये चमकेंगे। (द रिव्यू एण्ड हैराल्ड — 25 अक्टूबर 1881) ChsHin 141.2