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मसीही सेवकाई

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    अधिकारिक समर्थन प्राप्त किया

    जैसे नेहम्याह की विनती राजा ने सहर्ष स्वीकार की। उसे प्रोत्साहन मिला था कि वह राजा से एक सहायक की जरूरत की मांग कर सका जो उसे अपनी योजना को पूरा कने में जरूरी था। अपने उस कार्य को प्रतिश्ठा और अधिकार दिलाने, तथा यात्रा के दौरान सुरक्षित रहने के लिये उसने सेना का सहारा प्राप्त किया। उसने फरात नदी के आगे तक के संभागों के शासकों के लिये शाही पत्र प्राप्त किये ताकि रास्ते में आने वाले प्रांतो के शासक उन्हें यहूदा तक जाने से न रोके । उसने लबानोन के पर्वतों की देख रेख करने वाले राजा द्वारा ठहराये गये संरक्षको के लिये भी पत्र प्राप्त किये उसे निर्देश करते हुये कि वह अच्छी से अच्छी लकड़ी तैयार करे जो येरूशलेम की दिवार और जो ईमारत उसने बनाने के लिये पहल की है, उसमें इस्तेमाल हो सके। अतः इस काम के करने में शिकायत का कोई मौका किसी को न मिले की उसने काम को बढ़ा चढा के बताया है। नेहम्याह सावधान था। इन सब अधिकारों और अवसरो के लिये साथ ही अपने काम को उसने सबसे सामने सफाई से प्रकट किया था।ChsHin 237.3

    (द सदर्न वॉचमेन 15 मार्च 1904) ChsHin 238.1

    शाही पत्र जो नेहम्याह ने अपनी यात्रा के दौरान उन मार्गो वाले शासको के लिये प्राप्त उचित सहायता के लिये भी काम आये। अतः किसी शत्रु की हिम्मत नहीं हुई कि इस अधिकारी को जो फाारस के राजा की ताकत से घिरा हुआ और मार्ग के प्रान्त के शासकों के द्वारा उचित सम्मान प्राप्त करता हुआ आगे बढ़ा। नेहम्याह की यात्रा सुरक्षित एवं समृद्धिपूर्ण थी। (द सदर्न वॉचमेन 22 मार्च 1904)ChsHin 238.2

    नहेम्याह का यरूशेलेम में प्रवेश, जो कि सेना के संरक्षकों से घिरा हुआ था। यह दिखा रहा था कि वह किसी विशेष उद्देश्य से आया है, और इस कारण इजराईल का शत्रु ईष्या, जलन व घृणा से भर गया ये मूर्ति पूजक जन जाति येरूशेलेम पास ठही गये जो पहले यहूदियों के प्रति शत्रुता बनाये हुये थे, उनको बहुत सी बुराईयाँ अपमान और आघात पहुंचा चुके थे। इन बुरे कामों में इनज न जाति के कुछ मुखिया आगे थे, हरमाइट का सनबालाट, अम्मानी न किसी तरह से रोकने उसकी योजना में विध्न डालने का हर संभव प्रयास करते रहे। (द सदर्न वॉचमेन 22 मार्च 1904)ChsHin 238.3

    उन्होंने पूरे प्रयास किये कि उनक काम करने वालों के बीच अविश्वास, संदेह आदि डालकर उनके बीच में मतभेद डाल दे कि वे इस काम में सफन न हो, उन्होंने भवन बनाने वालो का मजाक भी बनाया और उनकी यह योजना में असंभव है और बुरी तरह से असफल होने वाली है ऐसा कह कर उन्हें हतोत्साहित भी किया। किन्तु उस दिवार के बनाने वाले, उनके पीछे पड़ा था। शत्रु के जासूसों ने उनकी हिम्मत को तोड़ने के लिये गयेलत समाचार प्रसारित करने लगे झूठी खबर भेजने लगे। नहेम्याह षड़यत्र में फंसाने के लिये कई प्रकार के जाल बुने । और ये झूठ बोलने व गढ़ने वाले यहूदी इस काम को किसी तरह अपने कब्जे में लेने के लिये सहायता करने के लिये तैयार भी हो गये। शत्रु के गुप्तचर वित्रभाव दर्शाते हुये भवन निर्माताओं से मिल गये, योजना में परिवर्तन करने की सलाह देने लगे, अनेक तरह से कर्मचारियों का ध्यान भटकाने के तरीके खोजने लगे, उनमें असंमजस और मुसीबते पैदा करने लगे और एक-दूसरे के बीच शक संदेह और धोखा जैसा वातावरण बनाने लगे। (द सदर्न वॉचमेन 12, अप्रैल 1904)ChsHin 238.4