प्रचार सभाओं को रोचक बनायें
प्रचार सभााओं को लोगों को मिषनरी कार्य सिखाने के लिये उपयोग में लाओं (एन अपील टू अवर चर्चेज इन बिहाफ ऑफ होमू मिषनरी वर्क II) हमारी प्रार्थनाओं और सामाजिक सभायें विषेश सहायता और उतसाहित करने वाली होना चाहिये । इन सभाओं को जितना संभव हो सके उतना रोचक व फायदेमंद बनाना चाहिये। ये सबसे बढ़िया तरीके से तभी हो सकता है जब प्रतिदिन नये-नये अनुभव परमेष्वर की बातों में किये जायें और इन महा सभाओं में लोगों के सामने प्रभु यीषु के प्रेम के बारे में बताने से झिझकेगें नहीं। यदि तुम अपने हष्दय में अविष्वास के अंधकार को प्रवेष नहीं करने दोगें तो वे इन सभाओं में दिखाई नहीं देगें। (द सदर्न वॉचमेन 7 मार्च 1905) ChsHin 285.1
हमारी सभायें काफी रूचिकार बनाई जानी चाहियें। उन्हें ठीक स्वर्गीय वातावरण की तरह विस्तष्त होना चाहियें वहाँ बहुत लम्बे-लम्बे और थकने वाले भाशण और सामान्य प्रार्थनायें न हो, जिनमें केवल समय बिताया जायें। हर एक को अपना-अपना काम करने के लिये ठीक प्रकार तैयार होना चाहिये और जब उनका काम पूरा हो जाता है, तो सभा समाप्त हो जाना चाहिये। इस प्रकार सभी की रूचि अंत तक बरकरार रहेगी। इस प्रकार की धन्यवादी प्रार्थना परमेष्वर को भाती है। उसकी आराधना रूचि कर बनाई जाना चाहियें न कि लोगों को थका देन वाली हो। हमें प्रभु के लिये हर पल, हर घड़ी हर दिन जीना चाहियें, तब मसीह हम में होगा, और जब हम मिलेंगे तो उसका प्रेम हमारे हष्दयों में उमड़ेगा और रेगिस्तान में जल के स्रोत के रूप में फूट निकलेगा। सभी को तरोताजा करता हुआ। उन लोगों तक भी पहुंचेगा जो नाष होने के करीब हैं, वे जीवन का जल पीकर बचायें जायेगें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 5609)ChsHin 285.2
ये अंदाज मत लगाओं की नौजवानों को रूचि व जोष जगाने के लिये उन्हें सभाओं में जाना और धर्म उपदेष प्रचार कर प्रेरित किया जा सकता है। योजनाबद्ध तरीके से एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत कर उनकी रूचि जगाई जा सकती है। हफ्ते दर हफ्ते नवयुवकों को अपना रिपोर्ट लाना चाहिये कि उन्होंने प्रभु यीषु उद्धारकर्ता के लिये क्या-क्या किया और उन्होंने कहॉ तक सफलता मिली। यदि प्रचार सभाओं को अवसर ठहरा दिया जायें कि उसमें अपने काम की रिपोर्ट लाकर बताई जायें तो सभायें निश्क्रिय, बोरिंग और थकाने वाली नहीं होगी। वे काफी रोचक होगी। और उसमें अधिक लोग उपस्थित होंगे। (गॉस्पल वर्क्स 210, 211)ChsHin 285.3
जब पूरा भरोसा मसीह यीषु पर होता हैं, तब सत्य से आत्मा खुष हो जाती है। और तब धार्मिक सेवायें थकाने वाली या अरूचिकर लगने वाली नहीं होगी। आपकी सामाजिक सभायें आजकल जो पालतु और बेमानी हो गई है।, वे पवित्र आत्मा की अगुवाई से षक्तिषाली हो जायेगी। जो मसीहीयत आप में है उसे आप प्रतिदिन अपने जीवन में बहुतायत से अभ्यास करें, एक मसीह की तरह काम करें। तो काफी अनुभवी हो जायेंगे। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च 6:437)ChsHin 286.1