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मसीही सेवकाई

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    मौलिक प्रयोगो से बात की षुरूआत

    पौलुस एक अच्छा वक्ता था, उसमें बदलाव के पहले वह हमेषा अपने सुनने वालों को अच्छे वक्तव्यों से प्रभावित कर देता था। किन्तु अब उसने ये सब बन्द कर दिया था। और कविताओं की व्याख्या करना और उन्हें अभिनय करके दिखाता, जो षायद देखने में अच्छा लगता और कल्पना को एक रूप दे सकता था। किन्तु ये सब प्रतिदिन के अनुभवों से मेल नहीं खाते थे। तब पौलुस ने साधारण भाशा का प्रयोग कर लोगों के हृदयों में सच्चाई को घर करने दिया जो अधिक महत्व का था। सच्चाई का काल्पनिक प्रस्तुतिकरण षायद लोगों में सनकी होने की भावना पैदा कर सकता था। और अधिकतर इस प्रकार पेष किया गया सत्य वह जरूरी भोजन की पूर्ति नहीं करता जो लोगों के विश्वास को ताकतवर व मजबूत बनाने में जरूरी थी। जो उन्हें जीवन के संघर्श में काम आती। समय पर पूरी की जाने जरूरतें, वर्तमान परेषानियाँ, संघर्शरत जीवन ये सब बातों का हल मसीही मूलभूत सिद्धान्तों के आधार पर दिये निर्देशों के द्वारा निकाला जाना चाहिये। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स-251, 252)ChsHin 163.2

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